बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए तरह-तरह की जुगत लगाई जा रही है। सूची में एक ही नाम को दो-दो बार दिखाकर दागियों को बचाया जा रहा है। डॉ. बीआरए विश्वविद्यालय आगरा से वर्ष 2005 की फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी पाए अध्यापक बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ लोगों के लिए दुधारू गाय सिद्ध हो गए। पुष्ट सूत्रों के मुताबिक एसआईटी की सूची में से जनपद में कार्यरत अध्यापकों के वेतन के डेटा से मिलान शिक्षकों के दौरान 300 से अधिक फर्जी डिग्रीधारक अध्यापक जनपद में चिन्हित किए गए थे। लेकिन विभाग के जिम्मेदार लोगों ने ही इसमें से दर्जनों अध्यापकों से सेटिंग कर उनके नाम कार्यवाही की सूची से हटाने का आश्वासन दिया। शिक्षा निदेशक ने कई बार अध्यापकों को चिन्हित कर कार्यवाही करने के लिए कहा, लेकिन तीन साल में सिर्फ नोटिस ही दिए गए। वे भी सिर्फ उन्हीं 249 को जिनसे सेटिंग नहीं हो सकी। 2823 में से मात्र मात्र 24 अध्यापकों को चिन्हित कर उनकी बर्खास्तगी की गई है। वहीं अन्य का वेतन रोकने के आदेश बीएसए राजीव यादव ने किए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव का कहना है कि जिन 24 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जिन्होंने यूनिवर्सिटी में अपना कोई पक्ष नहीं रखा, इन्हें बर्खास्त किया गया है। वहीं 814 ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने अपने पक्ष को रखा है। न्यायालय की ओर से इन्हें तीन महीने का समय दिया गया है।
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