संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी : लॉकडाउन में स्कूलों के बन्द रहने से बच्चों को बढ़ा खतरा, स्कूलों को सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए वैश्विक संगठन ने जारी की गाइडलाइंस।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी : लॉकडाउन में स्कूलों के बंद रहने से बच्चों को खतरा बढ़ा
स्कूलों को सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए गाइडलाइंस जारी की वैश्विक संगठन ने
संयुक्त राष्ट्र ने शिक्षण संस्थानों बंद होने से बच्चों के लिए खतरा होने की चेतावनी दी है। यूएन से जुड़े संगठनों ने स्कूलों को दोबारा सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ज्यादातर देशों में स्कूलों को बंद कर दिया गया था। यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक कारकों से जुडे भाव व खतरों के आकलन के आधार पर दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इनके मुताबिक, स्कूलों के बंद रहने से संक्रमण स्थानांतरण दर पर बहुत ज्यादा प्रभाव होने के पर्याप्त पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। लेकिन स्कूलों के बंद रहने का बच्चों की सुरक्षा और सीखने पर प्रतिकूल प्रभाव पहले से ज्यादा है। इससे हालिया दशकों में बच्चों की शिक्षा को बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास प्रभावित हो सकते हैं और ज्यादा बुरे हालत में इसका बिल्कुल विपरीत असर भी हो सकता है यानी बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का दौर फिर से लौट सकता है।
154 करोड़ बच्चे हैं प्रभावित अधिकार हीन वर्ग पर ज्यादा प्रभाव
यूनेस्को के आकलन के हिसाब से वैश्विक स्तर पर शिक्षण संस्थानों के बंद रहने का प्रभाव करीब 154 करोड़ बच्चों पर पड़ा है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्कूल बंद रहने से खासतौर पर समाज के अधिकार हीन वर्ग के बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा, जो अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और पोषण के लिए स्कूलों पर ही निर्भर हैं। स्कूलों में इन बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य व स्वच्छता सेवाओं के अलावा मानसिक स्वास्थ्य व मनोवैज्ञानिक सहयोग भी मिलता और नाटकीय तरीके से हिंसा को खतरे, कम उम्र में गर्भधारण आदि समेत कई तरह के लाभ मिलते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी : लॉकडाउन में स्कूलों के बंद रहने से बच्चों को खतरा बढ़ा
स्कूलों को सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए गाइडलाइंस जारी की वैश्विक संगठन ने
संयुक्त राष्ट्र ने शिक्षण संस्थानों बंद होने से बच्चों के लिए खतरा होने की चेतावनी दी है। यूएन से जुड़े संगठनों ने स्कूलों को दोबारा सुरक्षित तरीके से खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ज्यादातर देशों में स्कूलों को बंद कर दिया गया था। यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक कारकों से जुडे भाव व खतरों के आकलन के आधार पर दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इनके मुताबिक, स्कूलों के बंद रहने से संक्रमण स्थानांतरण दर पर बहुत ज्यादा प्रभाव होने के पर्याप्त पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। लेकिन स्कूलों के बंद रहने का बच्चों की सुरक्षा और सीखने पर प्रतिकूल प्रभाव पहले से ज्यादा है। इससे हालिया दशकों में बच्चों की शिक्षा को बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास प्रभावित हो सकते हैं और ज्यादा बुरे हालत में इसका बिल्कुल विपरीत असर भी हो सकता है यानी बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का दौर फिर से लौट सकता है।
154 करोड़ बच्चे हैं प्रभावित अधिकार हीन वर्ग पर ज्यादा प्रभाव
यूनेस्को के आकलन के हिसाब से वैश्विक स्तर पर शिक्षण संस्थानों के बंद रहने का प्रभाव करीब 154 करोड़ बच्चों पर पड़ा है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्कूल बंद रहने से खासतौर पर समाज के अधिकार हीन वर्ग के बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा, जो अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और पोषण के लिए स्कूलों पर ही निर्भर हैं। स्कूलों में इन बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य व स्वच्छता सेवाओं के अलावा मानसिक स्वास्थ्य व मनोवैज्ञानिक सहयोग भी मिलता और नाटकीय तरीके से हिंसा को खतरे, कम उम्र में गर्भधारण आदि समेत कई तरह के लाभ मिलते हैं।
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