बिना परीक्षा के प्रमोट करने पर कठिन होगी नौकरी की राह
प्रयागराज। लॉक डाउन में लगातार यह मांग की जा रही है कि छात्रों को बिना परीक्षा प्रमोट कर दिया जाए। इसके लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) प्रशासन पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, इविवि प्रशासन इसके लिए अभी तैयार नहीं है। इसके बावजूद अगर ऐसा कोई निर्णय लिया जाता है तो इससे मेधावी छात्र-छात्राओं को काफी नुकसान होगा।
खासतौर पर स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रतियोगी सभी को औसत अंक परीक्षाओं में सफलता हासिल कर पाना मुश्किल हो जाएगा। कई छात्र संगठनों की ओर से मिले तो प्रतियोगी मांग की जा रही है कि स्नातक परीक्षाओं में प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र- कम हो छात्राओं को बिना परीक्षा अगली जाने चयन कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए। साथ ही स्नातक अंतिम वर्ष के के अवसर क छात्र-छात्राओं को न्यूनतम 55 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण घोषित किया जाए, ताकि अन्य शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने में उन्हें कोई दिक्कत न हो।
जानकार मानते हैं कि ऐसा हुआ तो इसमें छात्र-छात्राओं को काफी नुकसान होगा। अगर स्नातक प्रथम एवं तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा प्रमोट किया जाता है तो उन्हें औसत अंक मिलेंगे और स्नातक अंतिम वर्ष के रिजल्ट पर इसका असर पड़ेगा। वहीं, स्नातक अंतिम वर्ष में 55 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण किए जाने से भी विद्यार्थियों को नुकसान होगा, क्योंकि तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं की मेरिट में स्नातक के अंक जोड़े जाते हैं।
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