केंद्रीय बोर्डों की बची परीक्षाओं पर 30 जून तक निर्णय ले केंद्र सरकार : कोर्ट
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय बलों की बची परीक्षाएं टक्कर विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उन्हें अंक देने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को जनहित को ध्यान में रखकर 30 जून तक निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने यह अहम आदेश राजधानी के छात्र अनुज निषाद की जनहित याचिका पर दिया। याची ने दसवीं व बारहवीं बोर्ड की बची परीक्षा कराने के सीबीएसई और आईसीएसई के निर्णय को चुनौती दी थी।
याची के अधिवक्ता केके पाल की दलील थी कि कोरोना के बढ़ रहे मरीजों के मद्देनजर परीक्षा के दौरान स्कूलों में शारीरिक दूरी बनाए रखने व मास्क आदि लगाने के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन संभव नहीं है। याचिका में केंद्र सरकार समेत केंद्रीय बोर्डों ( सीबीएसई और आईसीएससीई) की माध्यमिक स्तर की बची परीक्षाएं न करवाकर विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उन्हें अंक दिए जाने के निर्देश देने की गुजारिश की गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा विशेषज्ञों द्वारा गौर किए जाने लायक है। ऐसे में याचिका गृह मंत्रालय को संदर्भित की जाए जो प्रत्यावेदन मानी जाएगी और सक्षम अधिकारी इस मामले में समुचित निर्णय लेंगे। इस आदेश के तहत कोई निर्णय लेते समय सर्वाधिक जनहित को ध्यान में रखना होगा। कोर्ट को यह बताए जाने पर कि परीक्षाएं पहली जुलाई से होने वाली हैं, अदालत ने अपेक्षा की कि केंद्र के समुचित प्राधिकारी परीक्षा शुरू होने के पहले इस आदेश के तहत समुचित निर्णय लेंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील एसबी पांडेय को कहा कि वह तत्काल इस आदेश को केंद्रीय गृह मंत्रालय के संबंधित अफसर को भेजें।
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय बलों की बची परीक्षाएं टक्कर विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उन्हें अंक देने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को जनहित को ध्यान में रखकर 30 जून तक निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने यह अहम आदेश राजधानी के छात्र अनुज निषाद की जनहित याचिका पर दिया। याची ने दसवीं व बारहवीं बोर्ड की बची परीक्षा कराने के सीबीएसई और आईसीएसई के निर्णय को चुनौती दी थी।
याची के अधिवक्ता केके पाल की दलील थी कि कोरोना के बढ़ रहे मरीजों के मद्देनजर परीक्षा के दौरान स्कूलों में शारीरिक दूरी बनाए रखने व मास्क आदि लगाने के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन संभव नहीं है। याचिका में केंद्र सरकार समेत केंद्रीय बोर्डों ( सीबीएसई और आईसीएससीई) की माध्यमिक स्तर की बची परीक्षाएं न करवाकर विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उन्हें अंक दिए जाने के निर्देश देने की गुजारिश की गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा विशेषज्ञों द्वारा गौर किए जाने लायक है। ऐसे में याचिका गृह मंत्रालय को संदर्भित की जाए जो प्रत्यावेदन मानी जाएगी और सक्षम अधिकारी इस मामले में समुचित निर्णय लेंगे। इस आदेश के तहत कोई निर्णय लेते समय सर्वाधिक जनहित को ध्यान में रखना होगा। कोर्ट को यह बताए जाने पर कि परीक्षाएं पहली जुलाई से होने वाली हैं, अदालत ने अपेक्षा की कि केंद्र के समुचित प्राधिकारी परीक्षा शुरू होने के पहले इस आदेश के तहत समुचित निर्णय लेंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील एसबी पांडेय को कहा कि वह तत्काल इस आदेश को केंद्रीय गृह मंत्रालय के संबंधित अफसर को भेजें।
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