अनामिका मामले के बाद 6 साल पुराने फर्जीवाड़े से उठा पर्दा, फर्जीवाड़े में नियुक्त अंजली ने जिले में खूब पाई थी तरक्की, नहीं होई कोई कार्यवाही
गृह विज्ञान की पार्ट टाइम शिक्षिका से भर्ती होकर अंग्रेजी की बन गई फुल टाइम शिक्षिका जून 2011 से नवंबर 2014 तक की नौकरी तीन दिसंबर से हो गई लापता...
हरदोई : कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में फर्जी नियुक्ति के मामले में पूरे प्रदेश में खलबली मची है, हरदोई में अनामिका के नाम पर तो कोई शिक्षिका तैनात नहीं रही, लेकिन फर्जीवाड़े से शिक्षिका बनी अंजली पर खूब कृपा बरती। प्रधान लिपिक की कृपा से पार्ट टाइम शिक्षिका के रूप में नियुक्ति पाकर वह वार्डन तक बनी। साढ़े तीन वर्ष नौकरी कर फर्जीवाड़े की पोल खुलने पर विद्यालय से गायब हो गई। जिसके बाद से मामला भी फाइलों में दब गया।
फर्जीवाड़े के सरगना पुष्पेंद्र सिंह ने एसटीएफ को बताया था कि उसने हरदोई बीएसए कार्यालय के प्रधान लिपिक रामनाथ के सहयोग से अंजली नाम की महिला को नियुक्त कराया। फर्जीवाड़े में नियुक्त हुई अंजली ने जिले में खूब तरक्की भी पाई। जिला समन्वयक बालिका शिक्षा अविनाश पांडेय ने बताया कि दर्ज अभिलेखों के अनुसार अंजली 20 जून 2011 को सुरसा में गृह विज्ञान की पार्ट टाइम शिक्षिका के रूप में नियुक्त हुई थी।
करीब एक महीना 10 दिन बाद ही 30 जुलाई 2011 को उसकी अंग्रेजी की फुल टाइम शिक्षिका बना दी गई। जिसके बाद पांच दिसंबर 2011 को अंजली का बेंहदर विद्यालय में स्थानांतरण कर दिया गया और छह दिसंबर को ही वह विद्यालय की वार्डन बन गई। जिसके बाद आराम से नौकरी करने के साथ ही वेतन भी लेती रही। हालांकि इस बीच उसके फर्जीवाड़े का कई बार मामला उठा भी लेकिन दब गया।
जब ज्यादा मामला उठा तो 30 नवंबर 2014 को अंजली ने विद्यालय में हस्ताक्षर किए और फिर दो दिन एक और दो दिसंबर का अवकाश पंजीकृत कर चली गई। तीन दिसंबर को तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी आरपी भार्गव ने विद्यालय का निरीक्षण किया और रजिस्टर में अंजली के अभिलेख फर्जी होने की बात दर्ज करते हुए उसकी संविदा समाप्ति का उल्लेख किया। जिसके बाद से अंजली भी गायब हो गई और मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। न नियुक्ति करने वालों और न ही कराने वालों पर कोई कार्रवाई हुई, न ही वेतन वसूली के लिए कदम उठाया गया। अब अनामिका का मामला उठा तो अंजली के मामले से भी पर्दा उठा है।
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