रिजल्ट घोषित करने के साथ शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर गया यूपी बोर्ड
वर्ष 2020 के हाईस्कूल और इंटर का रिजल्ट घोषित होने के साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाला यूपी बोर्ड अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर गया। प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के उद्देश्य से इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत माध्यमिक शिक्षा परिषद गठित किया गया था। बोर्ड ने 1923 में पहली बार परीक्षा कराई थी जिसमें हाईस्कूल के 5655 और इंटर के 89 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे। 2020 की परीक्षा बोर्ड की 98वीं परीक्षा थी। 2022 में परीक्षा के 100 साल पूरे हो जाएंगे।
परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ ही सरकार ने 1972 में मेरठ, 1978 में वाराणसी, 1981 में बरेली, 1986 में इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) तथा 2017 में गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की। छात्रसंख्या के लिहाज से यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। 2020 की परीक्षा के लिए 56,07,118 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। जितने छात्र 10वीं-12वीं की परीक्षा देते हैं उतनी दुनिया के 80-85 देशों की आबादी नहीं है।
हर दो दशक में ऐसे बढ़ी परीक्षार्थियों की संख्या
वर्ष 10वीं 12वीं ( छात्र-छात्राओं की संख्या)
1923 5655 89
1939 15545 5447
1959 155211 100970
1979 874438 516047
1999 2276571 1114301
2019 3192587 2603169
समय के साथ बदला काम का तरीका
समय के साथ बोर्ड ने अपने काम का तरीका भी बदला है। पिछले कुछ सालों में बोर्ड ने तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर नकल पर रोक लगाई है। वहीं, परीक्षार्थियों को सहूलियत दी है। उदाहरण के तौर पर इस साल से स्क्रूटनी के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। जनहित गारंटी अधिनियम 2011 के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को अंकपत्रों एवं प्रमाणपत्रों में संशोधन, द्वितीय प्रतिलिपि आदि घर बैठे मिल रही है। परीक्षा के लिए केंद्रों के आवंटन से लेकर डिजिटल हस्ताक्षर वाली मार्क्सशीट तक ऐसे दर्जनों काम हैं जो बोर्ड ने तकनीक के माध्यम से बेहतर किए हैं।
प्रमुख बदलाव
2018 से बोर्ड परीक्षा केंद्रों का निर्धारण कम्प्यूटर के जरिए ऑनलाइन
2019 से सीसीटीवी के साथ वॉयस रिकॉर्डर की निगरानी में परीक्षा
2020 में परीक्षा केंद्रों की वेबकास्टिंग कराने की शुरुआत की गई
2018-19 सत्र से मान्यता संबंधी कार्रवाई ऑनलाइन कराई गई
2017-18 से फर्जी पंजीकरण रोकने को बच्चों के आधार नंबर लिए गए
2019 में 39 विषयों की परीक्षा में दो की जगह एक पेपर देना पड़ा
2018-19 सत्र से कक्षा 9 से 12 तक में एनसीईआरटी कोर्स लागू किया गया
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