फतेहपुर : अब कायाकल्प नहीं पहला "विकल्प", पंचायत चुनावों की संभावना देखते हुए ग्राम प्रधानों की प्राथमिकताओं में आया बदलाव।
फतेहपुर : शासन की आपरेशन कायाकल्प के जरिए परिषदीय स्कूलों के तेवर व कलेवर सुधारने की मंशा फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही है। कागजों में प्रस्ताव तैयार होने के बाद जमीन पर काम होते नहीं दिख रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि अब ऑपरेशन कायाकल्प ग्राम प्रधानों के लिए पहला विकल्प नहीं है। पंचायत चुनावों की संभावना देखते हुए ग्राम प्रधानों की प्राथमिकताओं में बदलाव आ गया है। शासन ने आपरेशन कायाकल्प को प्राथमिकताओं में शामिल किया है। शासन के अलावा स्कूली शिक्षा महानिदेशक ने भी जून में ऑपरेशन कायाकल्प समेत अन्य कार्यों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं लेकिन ग्राउन्ड जीरों में हालात अलहदा हैं। अब भी तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां दिए गए प्रस्तावों के अनुसार काम शुरू नहीं हो सके हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों ने बताया कि उनके स्कूलों में प्रस्तावित कार्य शुरू नहीं कराए जा सके हैं। ग्राम प्रधान संपर्क करने परकभी बजट न होने का रोना रोते हैं तो कभी दूसरे विकास कार्यों में उलझे रहने का हवाला देते हैं।
प्राथमिकता के दिए थे निर्देश डीएम ने जनवरी माह में ही ऑपरेशन कायाकल्प को प्राथमिकता प्रदान करने के कड़े निर्देश दिए थे। उन्होंने पंचायतीराज विभाग एवं विकास विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया था कि पहले सभी परिषदीय स्कूलों को अवस्थापना सम्बन्धी सुविधाओं से संतृप्त कर दिया जाए। इसके बाद ही 14वें वित्त एवं राज्य वित्त की निधि से अन्य कार्य किए जाएंगे।
चुनावों पर है नजर सूत्र बताते हैं कि ग्राम प्रधानों का पूरा ध्यान अब पंचायत चुनावों पर है। ग्राम प्रधान अब उन्हीं कार्यों को कराने में दिलचस्पी ले रहे हैं जो उनके वोटर्स पर सकारात्मक प्रभाव डाले व गांव में उनकी पैठ को मजबूत करे। प्रधानों का अब पूरा ध्यान स्कूलों की बजाए गांवों की तरफ है।
फर्श में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे अधिकांश परिषदीय स्कूलों में अब भी स्कूली बच्चे फर्श पर टाट पट्टी बिछाकर पढ़ाई करते हैं। ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत सबसे अधिक डिमांड फर्नीचर की ही है। हेडमास्टर चाहते हैं कि उनके प्रत्येक कक्षा कक्ष में मेज एवं बेंच स्थापित कराई जाएं जिससे बच्चों को गर्मी एवं सर्दी में जमीन पर बैठकर पढ़ाई न करनी पड़े।
निर्धारित किए गए हैं यह सात घटक :
ब्लैक बोर्ड
स्वच्छ पेयजल, मल्टीपल हैंडवाश एवं जल निकासी का कार्य
बालक बालिका पृथक शौचालय
विद्यालय भवन मरम्मत, छत, दरवाजे, खिड़कियां एवं फ्लोर टाइलिंग
विद्युतीकरण
किचन शेड जीर्णोद्धार एवं सुसज्जतीकरण
फर्नीचर
बोले जिम्मेदार : ऑपरेशन
कायाकल्प में चुनौतियां तो सामने आ रही हैं लेकिन इसकी लगातार मानीटरिंग की जा रही है। करीब 300 स्कूलों में कार्य प्रगति पर है। ग्राम प्रधानों से प्रतिदिन बात की जा रही है। 30 सितंबर तय की गई डेड लाइन से पहले सारे विद्यालयों का कायाकल्प का काम पूरा कराया जाएगा। शिवेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए फतेहपुर
फतेहपुर : शासन की आपरेशन कायाकल्प के जरिए परिषदीय स्कूलों के तेवर व कलेवर सुधारने की मंशा फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही है। कागजों में प्रस्ताव तैयार होने के बाद जमीन पर काम होते नहीं दिख रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि अब ऑपरेशन कायाकल्प ग्राम प्रधानों के लिए पहला विकल्प नहीं है। पंचायत चुनावों की संभावना देखते हुए ग्राम प्रधानों की प्राथमिकताओं में बदलाव आ गया है। शासन ने आपरेशन कायाकल्प को प्राथमिकताओं में शामिल किया है। शासन के अलावा स्कूली शिक्षा महानिदेशक ने भी जून में ऑपरेशन कायाकल्प समेत अन्य कार्यों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं लेकिन ग्राउन्ड जीरों में हालात अलहदा हैं। अब भी तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां दिए गए प्रस्तावों के अनुसार काम शुरू नहीं हो सके हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों ने बताया कि उनके स्कूलों में प्रस्तावित कार्य शुरू नहीं कराए जा सके हैं। ग्राम प्रधान संपर्क करने परकभी बजट न होने का रोना रोते हैं तो कभी दूसरे विकास कार्यों में उलझे रहने का हवाला देते हैं।
प्राथमिकता के दिए थे निर्देश डीएम ने जनवरी माह में ही ऑपरेशन कायाकल्प को प्राथमिकता प्रदान करने के कड़े निर्देश दिए थे। उन्होंने पंचायतीराज विभाग एवं विकास विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया था कि पहले सभी परिषदीय स्कूलों को अवस्थापना सम्बन्धी सुविधाओं से संतृप्त कर दिया जाए। इसके बाद ही 14वें वित्त एवं राज्य वित्त की निधि से अन्य कार्य किए जाएंगे।
चुनावों पर है नजर सूत्र बताते हैं कि ग्राम प्रधानों का पूरा ध्यान अब पंचायत चुनावों पर है। ग्राम प्रधान अब उन्हीं कार्यों को कराने में दिलचस्पी ले रहे हैं जो उनके वोटर्स पर सकारात्मक प्रभाव डाले व गांव में उनकी पैठ को मजबूत करे। प्रधानों का अब पूरा ध्यान स्कूलों की बजाए गांवों की तरफ है।
फर्श में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे अधिकांश परिषदीय स्कूलों में अब भी स्कूली बच्चे फर्श पर टाट पट्टी बिछाकर पढ़ाई करते हैं। ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत सबसे अधिक डिमांड फर्नीचर की ही है। हेडमास्टर चाहते हैं कि उनके प्रत्येक कक्षा कक्ष में मेज एवं बेंच स्थापित कराई जाएं जिससे बच्चों को गर्मी एवं सर्दी में जमीन पर बैठकर पढ़ाई न करनी पड़े।
निर्धारित किए गए हैं यह सात घटक :
ब्लैक बोर्ड
स्वच्छ पेयजल, मल्टीपल हैंडवाश एवं जल निकासी का कार्य
बालक बालिका पृथक शौचालय
विद्यालय भवन मरम्मत, छत, दरवाजे, खिड़कियां एवं फ्लोर टाइलिंग
विद्युतीकरण
किचन शेड जीर्णोद्धार एवं सुसज्जतीकरण
फर्नीचर
बोले जिम्मेदार : ऑपरेशन
कायाकल्प में चुनौतियां तो सामने आ रही हैं लेकिन इसकी लगातार मानीटरिंग की जा रही है। करीब 300 स्कूलों में कार्य प्रगति पर है। ग्राम प्रधानों से प्रतिदिन बात की जा रही है। 30 सितंबर तय की गई डेड लाइन से पहले सारे विद्यालयों का कायाकल्प का काम पूरा कराया जाएगा। शिवेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए फतेहपुर
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