संकट : स्कूल खुलने की स्थिति स्पष्ट न होने से बढ़ी दुविधा, बिना फीस टीचरों की सैलरी काटने लगे राजधानी के निजी स्कूल!
लखनऊ कोरोना से बचाव के लिए स्कूल बंद चल रहे हैं। स्कूल खोलने को लेकर प्रबंधक सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच तीन महीने से स्कूल बंद होने और फीस न मिलने से आर्थिक संकट भी छाने लगा है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जब फीस ही नहीं मिलेगी तो शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को वेतन कैसे देंगे। ऐसे में कई स्कूलों ने मई के वेतन में कटौती भी की है।
60% मिली सैलरी
सेंट फ्रांसिस कॉलेज और सेंट पॉल जैसे मिशनरीज स्कूलों ने टीचिंग स्टाफ की सैलरी में 40 फीसदी कटौती की है। शहर में लखनऊ डायोसिस सोसायटी के तहत चलने वाले स्कूलों में सैलरी में कटौती कर दी गई है। सोसायटी के प्रवक्ता फादर डोनॉल्ड डिसूजा ने बताया कि स्कूलों में मई की सैलरी में कटौती का फैसला लिया गया है। हमने सभी स्कूलों में टीचिंग स्टाफ को 60 फीसदी और फोर्थ क्लास कर्मचारियों को 75 फीसदी सैलरी देने का फैसला लिया है। जुलाई में फीस आने के बाद बाकी बची राशि दी जाएगी। यह फैसला शहर में चल रहे हमारे 20 स्कूलों और बाकी 10 जिलों में चल रहे स्कूलों पर लागू होगा।
बढ़ेगी दिक्कत
एसकेडी अकैडमी के निदेशक मनीष सिंह का कहना है कि उनके यहां 650 का स्टाफ है। मई की सैलरी तो दे दी गई, लेकिन वर्तमान हालात में जून की सैलरी में दिक्कत हो सकती है। बमुश्किल दस फीसदी अभिभावकों ने बच्चों की फीस जमा की है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि जुलाई में स्कूल खुलेंगे या नहीं। नए दाखिले भी नहीं हो रहे। खर्चों में की कटौती पायनियर मांटेसरी स्कूल की प्रिंसिपल शर्मिला सिंह के अनुसार स्कूल के दूसरे खर्चों में कटौती करके स्टाफ की सैलरी दी गई है। स्कूलों के लिए सबसे बड़ा रेवेन्यू फीस ही हैं। कई लोग 3 महीने की फीस माफी के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं। सरकार को स्कूल, अभिभावक सभी की स्थिति पर विचार करते हुए कोई रास्ता निकालना चाहिए।
सक्षम हैं तो फीस दें
दिल्ली पब्लिक स्कूल के मीडिया प्रवक्ता अर्चना मिश्रा के अनुसार सामान्य तौर पर फीस से सैलरी निकाली जाती थी। वर्तमान में मैनेजमेंट दे रहा है, लेकिन कब तक। सक्षम अभिभावक भी फीस नहीं दे रहे। स्थितियों को देखते हुए लोगों को फीस देनी चाहिए।
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