कोरोना काल में रिजल्ट देने में यूपी बोर्ड सबसे आगे, CBSE और CISCE नहीं करा सके पेपर।
प्रयागराज : कोरोना काल में 10वीं- 12वीं का रिजल्ट देने में यूपी बोर्ड आगे है। सीबीएसई और सीआईएससीई जैसे बड़े बोर्ड जहां अपनी पूरी परीक्षा तक नहीं करा सके हैं, वहीं यूपी बोर्ड 27 जून को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 50 लाख से अधिक छात्र छात्राओं का परिणाम घोषित करने जा रहा है। बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं कोरोना का संक्रमण फैलने से पहले क्रमशः 3 और 6 मार्च को समाप्त हो गई थी। कॉपी जांचने का काम 16 मार्च को शुरू हुआ था लेकिन कोरोना के कारण 18 मार्च से टालना पड़ा था। उसके बाद 5 मई से ग्रीन जोन और 12 मई से ऑरेंज जोन में मूल्यांकन शुरू होकर जून के पहले सप्ताह तक सभी जिलों में कॉपियां जांचने का काम पूरा हो गया। समय से रिजल्ट देने के लिए पहली बार यूपी बोर्ड ने अलग से पोर्टल बनाकर छात्र-छात्राओं के प्रैक्टिकल एवं लिखित परीक्षा समेत अन्य सूचनाओं को अपडेट किया। इससे एक तो बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिजल्ट तैयार करने के लिए दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ा और समय के अंदर रिजल्ट भी तैयार हो गया। वैसे तो एक अप्रैल से ही 2020 21 सत्र शुरू हो चुका है लेकिन कोरोना के कारण स्कूलों के खुलने की स्थिति नहीं बन सकी है। तकनीक का भरपूर उपयोग करते हुए इस बार बोर्ड रिजल्ट घोषित होने के बाद सचिव नीना श्रीवास्तव के डिजिटल हस्ताक्षर से मार्कशीट उपलब्ध कराने जा रहा है ताकि उन्हें अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने में देरी से आगे प्रवेश आदि में परेशानी न हो। कुछ बोर्ड घोषित कर चुके हैं परिणाम प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम 27 जून को घोषित होगा। बोर्ड परीक्षा में शामिल 50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि लॉकडाउन के कारण परिणाम पिछले साल की तुलना में एक महीने देरी से घोषित हो रहा है।
क्या है मॉडरेशन, छात्रों को क्या लाभ।
प्रयागराज : मॉडरेशन में 10वीं-12वीं की परीक्षा कराने वाले बोर्ड सभी बच्चों को विषय विशेष में अतिरिक्त नंबर देते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए 12वीं साइंस के छात्रों ने गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, हिन्दी और अंग्रेजी की परीक्षा दी। चार विषयों में तो सभी बच्चों को बहुत अच्छे नंबर मिले लेकिन अधिकतर छात्रों को अंग्रेजी में औसत से भी कम अंक मिले तो बोर्ड के जिम्मेदार लोग एक फार्मूला को आधार मानते हुए उस विषय में सभी छात्रों को अतिरिक्त नंबर देते हैं।
प्रयागराज : कोरोना काल में 10वीं- 12वीं का रिजल्ट देने में यूपी बोर्ड आगे है। सीबीएसई और सीआईएससीई जैसे बड़े बोर्ड जहां अपनी पूरी परीक्षा तक नहीं करा सके हैं, वहीं यूपी बोर्ड 27 जून को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 50 लाख से अधिक छात्र छात्राओं का परिणाम घोषित करने जा रहा है। बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं कोरोना का संक्रमण फैलने से पहले क्रमशः 3 और 6 मार्च को समाप्त हो गई थी। कॉपी जांचने का काम 16 मार्च को शुरू हुआ था लेकिन कोरोना के कारण 18 मार्च से टालना पड़ा था। उसके बाद 5 मई से ग्रीन जोन और 12 मई से ऑरेंज जोन में मूल्यांकन शुरू होकर जून के पहले सप्ताह तक सभी जिलों में कॉपियां जांचने का काम पूरा हो गया। समय से रिजल्ट देने के लिए पहली बार यूपी बोर्ड ने अलग से पोर्टल बनाकर छात्र-छात्राओं के प्रैक्टिकल एवं लिखित परीक्षा समेत अन्य सूचनाओं को अपडेट किया। इससे एक तो बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिजल्ट तैयार करने के लिए दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ा और समय के अंदर रिजल्ट भी तैयार हो गया। वैसे तो एक अप्रैल से ही 2020 21 सत्र शुरू हो चुका है लेकिन कोरोना के कारण स्कूलों के खुलने की स्थिति नहीं बन सकी है। तकनीक का भरपूर उपयोग करते हुए इस बार बोर्ड रिजल्ट घोषित होने के बाद सचिव नीना श्रीवास्तव के डिजिटल हस्ताक्षर से मार्कशीट उपलब्ध कराने जा रहा है ताकि उन्हें अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने में देरी से आगे प्रवेश आदि में परेशानी न हो। कुछ बोर्ड घोषित कर चुके हैं परिणाम प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम 27 जून को घोषित होगा। बोर्ड परीक्षा में शामिल 50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि लॉकडाउन के कारण परिणाम पिछले साल की तुलना में एक महीने देरी से घोषित हो रहा है।
क्या है मॉडरेशन, छात्रों को क्या लाभ।
प्रयागराज : मॉडरेशन में 10वीं-12वीं की परीक्षा कराने वाले बोर्ड सभी बच्चों को विषय विशेष में अतिरिक्त नंबर देते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए 12वीं साइंस के छात्रों ने गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, हिन्दी और अंग्रेजी की परीक्षा दी। चार विषयों में तो सभी बच्चों को बहुत अच्छे नंबर मिले लेकिन अधिकतर छात्रों को अंग्रेजी में औसत से भी कम अंक मिले तो बोर्ड के जिम्मेदार लोग एक फार्मूला को आधार मानते हुए उस विषय में सभी छात्रों को अतिरिक्त नंबर देते हैं।
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