निर्णय : CBSE एवं ICSE बोर्ड की 10वीं और 12वीं की बची परीक्षाएं रद्द।
नई दिल्ली : विशेष संवाददाता कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है। दोनों बोर्ड ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। इस पर अदालत ने केंद्र और सीबीएसई को 12वीं की परीक्षा पर नई अधिसूचना जारी करने को कहा है। इस मामले में शुक्रवार को दोबारा सुनवाई होगी।
हालात ठीक होने पर परीक्षा : केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि एक से 15 जुलाई तक होने वाली परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। महाराष्ट्र, दिल्ली और ओडिशा ने हलफनामा दाखिल परीक्षा कराने में असमर्थता जताई है। अब परीक्षाएं तब होंगी, जो वातावरण अनुकूल होगा। नई अधिसूचना जारी करें : शीर्ष अदालत ने सीबीएसई और केंद्र सरकार से कहा कि नई सूचना में आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा के बीच विकल्प का मामला भी स्पष्ट करें। साथ ही राज्य बोर्ड परीक्षाओं की वर्तमान स्थिति, परीक्षाओं की तारीख के बारे में भी बताएं। कोर्ट ने शुक्रवार की सुबह तक सीबीएसई से नई अधिसूचना और हलफनामा मांगा है। वहीं, आईसीएसई बोर्ड ने बताया कि 10वीं और 12वीं के छात्रों को दोबारा परीक्षा का विकल्प नहीं मिलेगा। अभिभावकों ने दायर की याचिका कोरोना के कारण कुछ अभिभावकों ने बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने तथा आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट बनाने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है, ऐसे में परीक्षा के लिए बच्चों को भेजने से उन्हें खतरा हो सकता है।
संभावना
12वीं के लिए दो विकल्प आंतरिक मूल्यांकन : पिछली तीन परीक्षाओं के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करा सकते हैं बाद में परीक्षा : यदि कोई छात्र परिणाम से संतुष्ट नहीं है तो वह बाद में परीक्षा दे सकता है
10वीं के लिए...
10वीं के छात्रों को पुनः परीक्षा का विकल्प नहीं मिलेगा।
संशय यूनिवर्सिटी दाखिला : परीक्षाएं रद्द होने से डीयू समेत तमाम विश्वविद्यालयों में दाखिले को लेकर भी असमंजस बढ़ गया है। छात्र : मेरिट के आधार पर कॉलेजों में दाखिले में परेशानी बढ़ेगी। ड्रॉप लेने वाले छात्रों को भी नुकसान। प्रतियोगी परीक्षाएं : सरकार ने सीटेट रद्द कर दी है। अब जेईई मेंस, जेईई एडवांस और नीट पर भी संशय के बादल मंडराए।
29 विषयों की परीक्षा बाकी थी छात्रों की,
16 लाख से अधिक छात्रों पर फैसले का असर
नई दिल्ली : विशेष संवाददाता कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है। दोनों बोर्ड ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। इस पर अदालत ने केंद्र और सीबीएसई को 12वीं की परीक्षा पर नई अधिसूचना जारी करने को कहा है। इस मामले में शुक्रवार को दोबारा सुनवाई होगी।
हालात ठीक होने पर परीक्षा : केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि एक से 15 जुलाई तक होने वाली परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। महाराष्ट्र, दिल्ली और ओडिशा ने हलफनामा दाखिल परीक्षा कराने में असमर्थता जताई है। अब परीक्षाएं तब होंगी, जो वातावरण अनुकूल होगा। नई अधिसूचना जारी करें : शीर्ष अदालत ने सीबीएसई और केंद्र सरकार से कहा कि नई सूचना में आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा के बीच विकल्प का मामला भी स्पष्ट करें। साथ ही राज्य बोर्ड परीक्षाओं की वर्तमान स्थिति, परीक्षाओं की तारीख के बारे में भी बताएं। कोर्ट ने शुक्रवार की सुबह तक सीबीएसई से नई अधिसूचना और हलफनामा मांगा है। वहीं, आईसीएसई बोर्ड ने बताया कि 10वीं और 12वीं के छात्रों को दोबारा परीक्षा का विकल्प नहीं मिलेगा। अभिभावकों ने दायर की याचिका कोरोना के कारण कुछ अभिभावकों ने बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने तथा आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट बनाने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है, ऐसे में परीक्षा के लिए बच्चों को भेजने से उन्हें खतरा हो सकता है।
संभावना
12वीं के लिए दो विकल्प आंतरिक मूल्यांकन : पिछली तीन परीक्षाओं के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करा सकते हैं बाद में परीक्षा : यदि कोई छात्र परिणाम से संतुष्ट नहीं है तो वह बाद में परीक्षा दे सकता है
10वीं के लिए...
10वीं के छात्रों को पुनः परीक्षा का विकल्प नहीं मिलेगा।
संशय यूनिवर्सिटी दाखिला : परीक्षाएं रद्द होने से डीयू समेत तमाम विश्वविद्यालयों में दाखिले को लेकर भी असमंजस बढ़ गया है। छात्र : मेरिट के आधार पर कॉलेजों में दाखिले में परेशानी बढ़ेगी। ड्रॉप लेने वाले छात्रों को भी नुकसान। प्रतियोगी परीक्षाएं : सरकार ने सीटेट रद्द कर दी है। अब जेईई मेंस, जेईई एडवांस और नीट पर भी संशय के बादल मंडराए।
29 विषयों की परीक्षा बाकी थी छात्रों की,
16 लाख से अधिक छात्रों पर फैसले का असर
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