बिहार : स्कूल फीस मामले में पटना हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार, HC बोला- विकट परिस्थिति में किसको फीस देने को कहें
पटना हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों की फीस वसूली के लिए डीएम की ओर से जारी निर्देश पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने स्कूल को डीएम व आपदा प्रबंधन विभाग से गुहार लगाने की छूट दी है। कोर्ट का कहना था कि इस विकट परिस्थिति में किसी को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती। इस समय किसको पैसा देने का आदेश दिया जाए, जबकि हर किसी का काम-धंधा लगभग ठप है। वकील की प्रैक्टिस बंद है। ऐसे में आप ही बताइए कि किसे फीस देने के लिए कहा जाए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार को संत पॉल इंटरनेशनल स्कूल की अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट को बताया गया कि 25 मार्च को आपदा प्रबंधन विभाग और 10 अप्रैल को डीएम ने आदेश जारी कर एक साथ तीन महीने की फीस नहीं लेने तथा बस फीस व अन्य शुल्क नहीं लेने का निर्देश दिया है। स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा चाहिए। मगर स्कूल के पास इतना पैसा नहीं है कि वह दे सकें। स्कूल की हर दलील को कोर्ट ने नामंजूर कर अर्जी खारिज कर दी। हालांकि कोर्ट के रुख को देखते हुए स्कूल के वकील गौतम केजरीवाल ने अपना पक्ष डीएम व आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव तथा डीईओ के समक्ष रखने की बात कही। कोर्ट ने उनके अनुरोध को मंजूर करते हुए स्कूल को डीएम, प्रधान सचिव तथा डीईओ के समक्ष बात रखने की छूट देते हुए अर्जी को निष्पादित कर दिया।
देखकर नहीं लगता कि स्कूल की माली हालात खराब है
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अशुतोष रंजन पांडेय ने कोर्ट को बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग और डीएम ने कोरोना संक्रमण से बचाव के दौरान लॉकडाउन को देखते हुए यह निर्देश जारी किया है। स्कूल नामी तथा काफी पुराना है। स्कूल को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि इसकी माली हालत खराब है और स्कूल को फीस वसूलने की छूट दी जाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कई स्कूल मनमानी कर रहे हैं। डीएम के आदेश के बावजूद फीस के साथ बस चार्ज और अन्य शुल्क वसूलने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं।
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