उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को प्रोन्नति में मिलेंगे औसत अंक समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट, आज मुख्यमंत्री से मंथन के बाद होगा निर्णय
कोरोना संक्रमण के चलते राज्य विश्वविद्यालयों में नहीं होंगी परीक्षाएं
लखनऊ। प्रदेश विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों के विद्यार्थियों को उनके पिछली कक्षाओं में प्राप्त अंकों के औसत अंक के आधार पर प्रोन्नत किया जाएगा। विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा की अध्यक्षता में बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। समिति की रिपोर्ट पर बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति लेकर निर्णय किया जाएगा।
कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं नहीं होगी। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को प्रोन्नत करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए गठित समिति ने स्नातक तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम और द्वितीय वर्ष में प्राप्त अंकों के औसत अंक, द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में प्राप्त अंकों के औसत अंक देकर प्रोन्नत करने का सुझाव दिया है। इसी प्रकार प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को इस वर्ष केवल प्रोन्नत करने का सुझाव हैं, उनके प्रथम वर्ष के अंकों का निर्धारण अगले वर्ष द्वितीय वर्ष की परीक्षा में मिले अंकों के औसत से किया जाए।
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि जिन विषयों की अनुसार वास्तविक प्राप्तांक दिए परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले हो गई थीं, उनकी उत्तर पुस्तिकाओं जाएं। समिति ने अन्य प्रदेशों में औसत अंक देकर विद्यार्थियों को का मूल्यांकन हो गया तो विद्यार्थियों पदोन्नति देने का उदाहरण भी प्रस्तुत को उस विषय में उनकी मेहनत के किया है।
48 लाख विद्यार्थियों पर होगा असर
समिति ने पूर्व में शासन को दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्वविद्यालय की परीक्षाएं सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से करा पाना संभव नहीं है। इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों में कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा रहेगा। समिति ने दूसरे प्रदेशों की तर्ज पर यूपी में भी विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं नहीं कराने और विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के प्रोन्नत करने का सुझाव दिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में विद्यार्थियों को प्रोन्नत करने का फार्मूला भी दिया है।
प्रदेश में 18 राज्य विश्वविद्यालय, 27 निजी विश्वविद्यालय, 169 राजकीय महाविद्यालय, 331 सहायता प्राप्त महाविद्यालय, 6531 वित्तविहीन महाविद्यालयों में करीब 48 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस मामले में उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने समिति के अध्यक्ष प्रो. तनेजा से सभी विश्वविद्यालयों की स्थिति के अनुसार प्रोन्नत करने का सुझाव मांगा था।
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