माध्यमिक शिक्षकों के स्थानांतरण पर निर्णय लेने का आदेश, हाईकोर्ट ने अपर निदेशक को चार सप्ताह में निर्णय लेने को कहा।
प्रयागराज :: माध्यमिक शिक्षा विभाग के अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में निर्णय लेने के लिए कहा है। कोर्ट ने अपर निदेशक से कहा है कि वह नियमानुसार शिक्षकों के स्थानांतरण प्रार्थना पत्र पर निर्णय लेकर निस्तारित करें। महेंद्र कुमार और दर्जनों अन्य की याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने दिया है।
याची का कहना है कि उन्होंने एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। स्थानांतरण की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। मगर उनकी पत्रावलियां जून 2019 से शिक्षा निदेशालय माध्यमिक प्रयागराज में लंबित हैं। याचीगण ने कई बार अपर निदेशक माध्यमिक को प्रत्यावेदन भी दिया मगर उनकी पत्रावलियां का निस्तारण नहीं हो रहा है। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील से जानकारी मांगी थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग का लिंक भेजने के बावजूद सरकारी वकील सुनवाई के समय जानकारी नहीं दे सके। इस पर अदालत ने याचिका निस्तारित करते हुए अपर निदेशक को चार सप्ताह में याचीगण की पत्रावलियों पर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज :: माध्यमिक शिक्षा विभाग के अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में निर्णय लेने के लिए कहा है। कोर्ट ने अपर निदेशक से कहा है कि वह नियमानुसार शिक्षकों के स्थानांतरण प्रार्थना पत्र पर निर्णय लेकर निस्तारित करें। महेंद्र कुमार और दर्जनों अन्य की याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने दिया है।
याची का कहना है कि उन्होंने एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। स्थानांतरण की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। मगर उनकी पत्रावलियां जून 2019 से शिक्षा निदेशालय माध्यमिक प्रयागराज में लंबित हैं। याचीगण ने कई बार अपर निदेशक माध्यमिक को प्रत्यावेदन भी दिया मगर उनकी पत्रावलियां का निस्तारण नहीं हो रहा है। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील से जानकारी मांगी थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग का लिंक भेजने के बावजूद सरकारी वकील सुनवाई के समय जानकारी नहीं दे सके। इस पर अदालत ने याचिका निस्तारित करते हुए अपर निदेशक को चार सप्ताह में याचीगण की पत्रावलियों पर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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