संसाधनों के अभाव में भी वर्कशीट पर बच्चे गढ़ रहें भविष्य, जानिए कैसे?
ऑनलाइन पढ़ाई न कर पा रहे बच्चों को वर्कशीट पर शिक्षक दे रहें होमवर्क। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का भविष्य संवारने की पहल बच्चों के घर तक पहुंचा रहे होमवर्क।
लखनऊ : अब एंड्रॉयड मोबाइल न होने पर भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की पढाई नहीं रुकेगी। बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए शिक्षक, शिक्षामित्र, रसोइयां और अनुदेशक खुद बच्चों के घर पर वर्कशीट पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा विद्यालय में निःशुल्क पुस्तक लेने के लिए आ रहे अभिभावकों के माध्यम से भी वर्कशीट बच्चों के पास पहुंचाई जा रही है।
वर्कशीट पर दिए गए प्रश्नों को हल करके बच्चें उसे स्कूल तक फिर किसी न किसी माध्यम से भेज रहे हैं। शिक्षक वर्कशीट को चेक करके बच्चों की योग्यता का आंकलन करके सूची तैयार कर रहे हैं। इसके बाद हफ्ते में एक दिन बच्चों के घर जाकर अथवा उनके अभिभावकों को विद्यालय बुलाकर उन्हें बच्चों की कमियों से अवगत कराते हैं। उसके बाद अभिभावकों के सहयोग से फिर बच्चों तक वर्कशीट पहुंचा रहे हैं। जिससे कोरोना काल मे भी बच्चों को पढाई बाधित न हो। राजधानी के बीकेटी ब्लॉक से एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) अनुराग सिंह राठौर और उनकी टीम से इसकी शुरुआत कर दी है। यह व्यवस्था इस लिए शुरू की गई है कि परिषदीय विद्यालयों के करीब 90 फीसद बच्चों के घर पर एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। जिसके चलते वह ऑनलाइन क्लास नहीं ले पा रहे हैं।
मिशन प्रेरणा के तहत बच्चों को होनी चाहिए यह जानकारी
कक्षा एक के बच्चों को गणित विषय में एक से 99 के बीच सभी संख्याओं की जानकारी होनी चाहिए। पांच अलग-अलग संख्याओं में कौन सी बड़ी और कौन सी छोटी है। बच्चों को यह पता होना चाहिए। वहीं, भाषा विषय में निर्धारित सूची में दिए गए 10 शब्दों में से पांच को पढ़ना, पहचानना और समझना बच्चों को आना चाहिए।
राजधानी में स्कूल : 1841
शिक्षक : 4865
शिक्षामित्र : 2000
अनुदेशक : 381
विद्यार्थी : पौने दो लाख
क्या कहते हैं बीएसए ?
बीएसए दिनेश कुमार के मुताबिक, शासन के निर्देश और स्लेबस के अनुसार बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। इसके साथ ही बच्चों को वर्कशीट पर होमवर्क भी उसी आधार पर दिया जा रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई न कर पा रहे बच्चों को वर्कशीट पर शिक्षक दे रहें होमवर्क। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का भविष्य संवारने की पहल बच्चों के घर तक पहुंचा रहे होमवर्क।
लखनऊ : अब एंड्रॉयड मोबाइल न होने पर भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की पढाई नहीं रुकेगी। बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए शिक्षक, शिक्षामित्र, रसोइयां और अनुदेशक खुद बच्चों के घर पर वर्कशीट पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा विद्यालय में निःशुल्क पुस्तक लेने के लिए आ रहे अभिभावकों के माध्यम से भी वर्कशीट बच्चों के पास पहुंचाई जा रही है।
वर्कशीट पर दिए गए प्रश्नों को हल करके बच्चें उसे स्कूल तक फिर किसी न किसी माध्यम से भेज रहे हैं। शिक्षक वर्कशीट को चेक करके बच्चों की योग्यता का आंकलन करके सूची तैयार कर रहे हैं। इसके बाद हफ्ते में एक दिन बच्चों के घर जाकर अथवा उनके अभिभावकों को विद्यालय बुलाकर उन्हें बच्चों की कमियों से अवगत कराते हैं। उसके बाद अभिभावकों के सहयोग से फिर बच्चों तक वर्कशीट पहुंचा रहे हैं। जिससे कोरोना काल मे भी बच्चों को पढाई बाधित न हो। राजधानी के बीकेटी ब्लॉक से एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) अनुराग सिंह राठौर और उनकी टीम से इसकी शुरुआत कर दी है। यह व्यवस्था इस लिए शुरू की गई है कि परिषदीय विद्यालयों के करीब 90 फीसद बच्चों के घर पर एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। जिसके चलते वह ऑनलाइन क्लास नहीं ले पा रहे हैं।
मिशन प्रेरणा के तहत बच्चों को होनी चाहिए यह जानकारी
कक्षा एक के बच्चों को गणित विषय में एक से 99 के बीच सभी संख्याओं की जानकारी होनी चाहिए। पांच अलग-अलग संख्याओं में कौन सी बड़ी और कौन सी छोटी है। बच्चों को यह पता होना चाहिए। वहीं, भाषा विषय में निर्धारित सूची में दिए गए 10 शब्दों में से पांच को पढ़ना, पहचानना और समझना बच्चों को आना चाहिए।
राजधानी में स्कूल : 1841
शिक्षक : 4865
शिक्षामित्र : 2000
अनुदेशक : 381
विद्यार्थी : पौने दो लाख
क्या कहते हैं बीएसए ?
बीएसए दिनेश कुमार के मुताबिक, शासन के निर्देश और स्लेबस के अनुसार बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। इसके साथ ही बच्चों को वर्कशीट पर होमवर्क भी उसी आधार पर दिया जा रहा है।
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