फतेहपुर : जल संचयन का मॉडल बनेंगे परिषदीय विद्यालय।
फतेहपुर : दिनों दिन गिरते जा रहे पृथ्वी के जलस्तर को रोकने के लिए जल संचयन पर चिंतन और मंथन हो रहा है। जल संचयन के लिए नदी, तालाब खोदवाए जा रहे हैं तो सरकारी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा के स्कूल सालों साल पुराने हैं। तब रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी कोई बात ही नहीं थी। बेसिक शिक्षा महानिदेशक ने परिषदीय स्कूलों में इस सिस्टम को मजबूत बनाने का काम लघु डाल सिंचाई को दिया है।
सर्वे करके सिस्टम की बिंदुवार रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। गिरते भू-गर्भ जल स्तर को बचाने के लिए अब बेसिक शिक्षा के स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। भवन की छतों का पानी से प्यासी धरती की कोख को भरा जाएगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना बनाई गई है। शासन ने इसकी जिम्मेदारी लघुडाल सिंचाई को दी है। विभाग सर्वे 1. करने में जुट गया है। सर्वे में कितने विद्यालयों में सिस्टम है, कितने में नहीं है, कितने है तो निष्प्रयोज्य हो चुके हैं जैसे बिंदु जुटाए जा रहे हैं।
कवायद
▪️लघुडाल सिंचाई विभाग को सर्वे का दिया गया काम
▪️रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को मजबूत करने की कवायद
परिषदीय विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सुदृढ़ किया जाएगा। इसके लिए शासन ने लघु डाल सिंचाई को जिम्मेदारी दी है। विभाग के द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर शासन से लघु डाल को धन मुहैया होगा और सिस्टम बनाया जाएगा। शिवेंद्र प्रताप सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
प्राथमिक स्कूल - 1384
उच्च प्राथमिक स्कूल - 263
कंपोजिट स्कूल - 482
कुल परिषदीय स्कूल - 2129
जिले में यूं तो अभी तक 2650 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे थे। संविलियन के बाद स्कूलों की संख्या महज 2129 बची है। में यह सिस्टम लगा हुआ है।धरातल पर जिसकी दशा बेहद खराब है।
फतेहपुर : दिनों दिन गिरते जा रहे पृथ्वी के जलस्तर को रोकने के लिए जल संचयन पर चिंतन और मंथन हो रहा है। जल संचयन के लिए नदी, तालाब खोदवाए जा रहे हैं तो सरकारी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा के स्कूल सालों साल पुराने हैं। तब रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी कोई बात ही नहीं थी। बेसिक शिक्षा महानिदेशक ने परिषदीय स्कूलों में इस सिस्टम को मजबूत बनाने का काम लघु डाल सिंचाई को दिया है।
सर्वे करके सिस्टम की बिंदुवार रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। गिरते भू-गर्भ जल स्तर को बचाने के लिए अब बेसिक शिक्षा के स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। भवन की छतों का पानी से प्यासी धरती की कोख को भरा जाएगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना बनाई गई है। शासन ने इसकी जिम्मेदारी लघुडाल सिंचाई को दी है। विभाग सर्वे 1. करने में जुट गया है। सर्वे में कितने विद्यालयों में सिस्टम है, कितने में नहीं है, कितने है तो निष्प्रयोज्य हो चुके हैं जैसे बिंदु जुटाए जा रहे हैं।
कवायद
▪️लघुडाल सिंचाई विभाग को सर्वे का दिया गया काम
▪️रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को मजबूत करने की कवायद
परिषदीय विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सुदृढ़ किया जाएगा। इसके लिए शासन ने लघु डाल सिंचाई को जिम्मेदारी दी है। विभाग के द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर शासन से लघु डाल को धन मुहैया होगा और सिस्टम बनाया जाएगा। शिवेंद्र प्रताप सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
प्राथमिक स्कूल - 1384
उच्च प्राथमिक स्कूल - 263
कंपोजिट स्कूल - 482
कुल परिषदीय स्कूल - 2129
जिले में यूं तो अभी तक 2650 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे थे। संविलियन के बाद स्कूलों की संख्या महज 2129 बची है। में यह सिस्टम लगा हुआ है।धरातल पर जिसकी दशा बेहद खराब है।
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