10वीं और 12वीं परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक पाने वाले होंगे सम्मानित।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पिछले शैक्षिक सत्र में हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को जल्द ही पुरस्कृत करेगा। संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष डा.सदानंद गुप्त ने बताया कि इण्टर की परीक्षा में एक छात्र और एक छात्रा को हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर प्रत्येक को 35000 रुपये की राशि का पुरस्कार दिया जाता है।
इसी तरह हाईस्कूल की परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक पाने वाले एक छात्र व एक छात्रा में से प्रत्येक को 25000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान की ओर से माध्यमिक शिक्षा परिषद से हिन्दी में सर्वाधिक अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं के नाम मांगे गये हैं। नाम आते ही यह पुरस्कार वितरित कर दिए जाएंगे। कोरोना संकट की वजह से कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं होगा बल्कि मुख्यमंत्री से निवेदन उनके आवास पर ही उनके हाथों से यह पुरस्कार दिलवाए जाएंगे।
बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पिता पं.कृष्ण बिहारी वाजपेयी के नाम से यह पुरस्कार अपनी सांसद निधि से एक कोष बनवाकर शुरू करवाए थे। बाद में हिन्दी संस्थान ने खुद अपनी तरफ से यह पुरस्कार देने शुरू कर दिए। हालांकि इन पुरस्कारों का नाम पं.कृष्ण बिहारी वाजपेयी की स्मृति पर ही है।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पिछले शैक्षिक सत्र में हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को जल्द ही पुरस्कृत करेगा। संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष डा.सदानंद गुप्त ने बताया कि इण्टर की परीक्षा में एक छात्र और एक छात्रा को हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर प्रत्येक को 35000 रुपये की राशि का पुरस्कार दिया जाता है।
इसी तरह हाईस्कूल की परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक पाने वाले एक छात्र व एक छात्रा में से प्रत्येक को 25000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान की ओर से माध्यमिक शिक्षा परिषद से हिन्दी में सर्वाधिक अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं के नाम मांगे गये हैं। नाम आते ही यह पुरस्कार वितरित कर दिए जाएंगे। कोरोना संकट की वजह से कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं होगा बल्कि मुख्यमंत्री से निवेदन उनके आवास पर ही उनके हाथों से यह पुरस्कार दिलवाए जाएंगे।
बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पिता पं.कृष्ण बिहारी वाजपेयी के नाम से यह पुरस्कार अपनी सांसद निधि से एक कोष बनवाकर शुरू करवाए थे। बाद में हिन्दी संस्थान ने खुद अपनी तरफ से यह पुरस्कार देने शुरू कर दिए। हालांकि इन पुरस्कारों का नाम पं.कृष्ण बिहारी वाजपेयी की स्मृति पर ही है।
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