पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की मदद नहीं कर पायेगा सीबीएसई।
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि इस महीने 12वीं कक्षा प्रवेश कॉलेजों और की पूरक परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों की सीबीएसई की खास मदद नहीं कर पाएगा। क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए उनका विश्वविद्यालयों में होना है।
याचिका पर सुनवाई : शीर्ष अदालत ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह कहा। उक्त याचिका में केंद्रीय माध्यमिकशिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की पूरक परीक्षाएं आयोजित करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह परीक्षार्थियों की सेहत के लिए नुकसानदायक होगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा से कहा, "उन छात्रों का प्रवेश कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में होना है, इसमें सीबीएसई पूरक परीक्षा देने वाले छात्रों की कुछ खास मदद नहीं कर पाएगी।"
कोरोना के कारण मुख्य परीक्षाएं नहीं हो सकी : तन्खा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सीबीएसई मुख्य परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा सका और मूल्यांकन की मिश्रित प्रणालियों के आधार पर परिणाम घोषित किए गए। इसकी वजह से कई छात्रों को पूरक परीक्षा में बैठना पड़ रहा है।उन्होंने कहा,"पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले करीब पांच लाख छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ करना जरूरी है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा कि करीब 87,000 छात्र फेल हो गए और सीबीएसई के पास इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं है।
फिलहाल, कोर्ट ने याचिका की एक प्रति केंद्र को भेजने का निर्देश देने के साथ ही मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 14 सितंबर तय की।
अस्थायी प्रवेश देने का अनुरोध कर सकती है : न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी पीठ का हिस्सा हैं। इस पर तन्खा ने कहा कि सीबीएसई कॉलेजों से इन छात्रों को अस्थायी प्रवेश देने या पूरक परीक्षाओं का परिणाम घोषित होने तक इंतजार करने का अनुरोध कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि पूरक परीक्षाएं 22 सितंबर से 29 सितंबर के मध्य होनी हैं। तब तक विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश बंद हो चुका होगा। ऐसे में पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पाएगा और उनका पूरा साल बेकार चला जाएगा।
सुनवाई : याचिका में पूरक परीक्षाएं आयोजित करने के फैसले को चुनौती दी गई, परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के हितों का ध्यान रखना जरूरी बताया
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि इस महीने 12वीं कक्षा प्रवेश कॉलेजों और की पूरक परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों की सीबीएसई की खास मदद नहीं कर पाएगा। क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए उनका विश्वविद्यालयों में होना है।
याचिका पर सुनवाई : शीर्ष अदालत ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह कहा। उक्त याचिका में केंद्रीय माध्यमिकशिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की पूरक परीक्षाएं आयोजित करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह परीक्षार्थियों की सेहत के लिए नुकसानदायक होगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा से कहा, "उन छात्रों का प्रवेश कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में होना है, इसमें सीबीएसई पूरक परीक्षा देने वाले छात्रों की कुछ खास मदद नहीं कर पाएगी।"
कोरोना के कारण मुख्य परीक्षाएं नहीं हो सकी : तन्खा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सीबीएसई मुख्य परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा सका और मूल्यांकन की मिश्रित प्रणालियों के आधार पर परिणाम घोषित किए गए। इसकी वजह से कई छात्रों को पूरक परीक्षा में बैठना पड़ रहा है।उन्होंने कहा,"पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले करीब पांच लाख छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ करना जरूरी है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा कि करीब 87,000 छात्र फेल हो गए और सीबीएसई के पास इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं है।
फिलहाल, कोर्ट ने याचिका की एक प्रति केंद्र को भेजने का निर्देश देने के साथ ही मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 14 सितंबर तय की।
अस्थायी प्रवेश देने का अनुरोध कर सकती है : न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी पीठ का हिस्सा हैं। इस पर तन्खा ने कहा कि सीबीएसई कॉलेजों से इन छात्रों को अस्थायी प्रवेश देने या पूरक परीक्षाओं का परिणाम घोषित होने तक इंतजार करने का अनुरोध कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि पूरक परीक्षाएं 22 सितंबर से 29 सितंबर के मध्य होनी हैं। तब तक विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश बंद हो चुका होगा। ऐसे में पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पाएगा और उनका पूरा साल बेकार चला जाएगा।
सुनवाई : याचिका में पूरक परीक्षाएं आयोजित करने के फैसले को चुनौती दी गई, परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के हितों का ध्यान रखना जरूरी बताया
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