छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में कटौती कर सकती है सरकार, नियमों में करना होगा बदलाव
लखनऊ : गरीब विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में प्रदेश सरकार इस बार कटौती कर सकती है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल कॉलेजों के खर्च में भी कमी आई है। इसलिए सरकार शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति की रकम कम करने पर विचार कर रही है। साथ ही ऑनलाइन कक्षाओं को मान्यता देने के लिए नियमावली में भी बदलाव किया जाएगा।
प्रदेश में समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग हर साल 57 लाख से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण छात्रवृत्ति की तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। पहले चरण की छात्रवृत्ति दो अक्टूबर को बांटी जाती है। इसलिए समाज कल्याण विभाग ने दिशा-निर्देश मांगे हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में छात्रवृत्ति किस प्रकार बांटी जाए, इसे लेकर अपर मुख्य सचिव वित्त के साथ समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण के अफसरों की एक बैठक हो चुकी है। इसमें कोई निर्णय नहीं हो सका। ऑनलाइन पढ़ाई में स्कूल, कॉलेज व संस्थानों का खर्च कम हुआ है, जबकि डेटा, लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन के लिए विद्यार्थियों का खर्च बढ़ गया है। शिक्षण संस्थान में छात्रों के न जाने से बिजली-पानी व प्रयोगशाला से संबंधित खर्च भी बच रहे हैं।
’>>उच्चस्तरीय बैठक में जल्द हो सकता है फैसला
’>>हर साल 57 लाख विद्यार्थियों को दी जाती है छात्रवृत्ति
नियमों में करना होगा बदलाव
कक्षा में 75 फीसद उपस्थिति के नियम में भी बदलाव करना होगा। पाठ्यक्रम के लिए एनबीए (नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन) व नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल) की अनिवार्यता भी इस साल स्थगित करनी होगी।
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