दो फर्जी प्राथमिक शिक्षकों समेत तीन विभूति खंड से गिरफ्तार
--मानव संपदा पोर्टल का दुरुपयोग करने की कोशिश में धरे गए --बाराबंकी व लखनऊ में काम रहे हैं दोनों फर्जी शिक्षक
राज्य मुख्यालय : स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मानव संपदा पोर्टल का दुरुपयोग कर धांधली करने करने वाले दो फर्जी प्राथमिक शिक्षकों समेत तीन को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। एक फर्जी शिक्षक बाराबंकी में तो दूसरा गोरखपुर में कार्यरत है। तीनों के विरुद्ध लखनऊ के विभूति खंड थाने में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अलग-अलग फर्जी नाम से कर रहे थे नौकरी पकड़ा गया अभियुक्त यदुनंदन यादव पुत्र इन्द्रमणि यादव गोरखपुर के सहजनवां थाना क्षेत्र स्थित हरदी गांव का रहने वाला है।
वह वर्तमान में बाराबंकी जिले के कोतवाली क्षेत्र स्थित सिंघला रेजीडेंसी के मकान नंबर 26 में रहता है और प्रमोद कुमार सिंह के फर्जी नाम से बाराबंकी जिले के बनीकोडर ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय ककराहा में सहायक अध्यापक के रूप में काम कर रहा है, जबकि गिरफ्तार दूसरा अभियुक्त सत्यपाल यादव उसका भाई है। तीसरा अभियुक्त प्रमोद कुमार यादव पुत्र इंद्रदेव यादव देवरिया जिले के सलेमपुर थाना क्षेत्र स्थित बरसीपार का रहने वाला है। वह आशीष कुमार सिंह के फर्जी नाम से गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय खोरी पट्टी में सहायक अध्यापक के रूप में नौकरी कर रहा है। तीनों के कब्जे से 6 अदद मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक अल्टो कार (यूपी 32 एचबी 5831), दो कूटरचित सीआरपीएफ का पहचान पत्र, प्रमोद कुमार सिंह के नाम को दो कूटरचित आधार कार्ड, एक कूटरचित प्रमोद कुमार सिंह के नाम का डीएल व एक पैनकार्ड, दो एटीएम कार्ड तथा 8.60 लाख रुपये नकद बरामद हुए हैं। तीनों को सोमवार को गोमती नगर में वेब सिनेमा के निकट पराग बूथ से गिरफ्तार किया गया।
अर्चना पांडेय के नाम से पत्नी बनी शिक्षक फर्जी मार्कशीट के आधार पर विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक के पद पर नौकरी करने वालों के विरुद्ध एएसपी सत्यसेन यादव के नेतृत्व में एसटीएफ मुख्यालय के अलावा फील्ड इकाई गोरखपुर की टीमें लगातार काम कर रही हैं। इसी दौरान पता चला कि प्रमोद कुमार सिंह उर्फ यदुनंदन यादव मानव सम्पदा पोर्टल का दुरुपयोग कर अपने गैंग के सदस्यों के साथ धांधली करके लोगों से पैसा इकट्ठा कर रहा है। यह भी पता चला कि वह अपने गैंग के सदस्य के साथ एक फर्जी शिक्षक से मिलने लखनऊ आएगा। इस सूचना पर इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश सिंह फील्ड इकाई गोरखपुर के नेतृत्व में एक टीम ने तीनों को दबोच लिया। यदुनंदन ने पूछताछ में बताया कि वह प्रमोद कुमार सिंह के नाम से फर्जी शिक्षक है। वह अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र बनवा कर वर्ष 2000 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। इस मामले में वर्ष 2007 में उसके विरुद्ध गोरखपुर के सहजनवां थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था और वह उसमें जेल भी गया था। उसकी पत्नी श्रीलता वर्तमान समय में अर्चना पांडेय के नाम से उच्च प्राथमिक विद्यालय गदिया बाराबंकी में अध्यापक के पद पर नौकरी कर रही है।
पोर्टल का अधिकारी बनकर करता था फोन यदुनंदन ने एसटीएफ को बताया कि वह मानव संपदा पोर्टल से पब्लिक विंडो में दी गई सूची के आधार का इस्तेमाल करके यह जानकारी प्राप्त कर लेता था कि कौन फर्जी अध्यापक है। इसके बाद वह उनसे वसूली करता था। इसके बाद वह फर्जी अध्यापकों के हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक व बीएड आदि शैक्षिक दस्तावेजों का अध्ययन कर लेता था। इससे पता चल जाता था कि कौन कूटरचित शैक्षिक दस्तावेज के आधार पर चयनित होकर नौकरी कर रहा है। जिन शिक्षकों का मोबाइल नंबर नहीं मिलता था, उनसे सम्पर्क करने के लिए उनके जिले के पोर्टल से ग्राम प्रधान के नंबर पर सम्पर्क कर शिक्षक का मोबाइल नंबर प्राप्त कर लेता था। फिर उनके मोबाइल नंबर पर सम्पर्क कर बताता था कि वह मानव संपदा पोर्टल का अधिकारी बोल रहा है। इसी तरह उसने सोमवार को आशीष कुमार सिंह को पैसा लेकर लखनऊ बुलाया था, जिसका वास्तविक नाम प्रमोद कुमार यादव है। अपनी गाड़ी से बरामद कागजात के बारे में पूछताछ पर बताया कि उसने बताया कि ये सभी फर्जी अध्यापक हैं। ये सारे कागजात उसने मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से निकाले हैं। इनमें से कुछ फर्जी अध्यापकों से वह पैसा वसूल चुका है और कुछ से पैसा वसूलना बाकी है। सत्यपाल यादव ने पूछताछ पर बताया कि वह यदुनंदन यादव का भाई है। जब कोई फर्जी शिक्षक मिलने आता है तो वह यदुनंदन का ड्राइवर या स्टाफ बन कर उससे मिलता है। इसी तरह प्रमोद कुमार यादव ने भी फर्जी शिक्षक होने की जानकारी दी।
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