प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आयु निर्धारण को लेकर विवाद की स्थिति में दस्तावेजी साक्ष्य में स्पष्टता नहीं है तो मेडिकल साक्ष्य को वरीयता दी जाएगी। पीड़िता के आयु निर्धारण को लेकर विवाद पर हाईकोर्ट ने सीजेएम गाजीपुर की ओर से मेडिकल साक्ष्य को वरीयता देने के लिए निर्णय को सही करार देते हुए निगरानी याचिका खारिज कर दी है। याचिका पर न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र प्रथम ने सुनवाई की। पीड़िता के पिता ने निगरानी अर्जी दाखिल कर छह जनवरी 2020 के सीजेएम के आदेश को चुनौती दी थी। कहा गया कि इस मामले में हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर कोर्ट ने पीड़िता के अभिभावकों को भी सुनकर आयु निर्धारण का आदेश दिया था। सीजेएम ने उनको सुने बिना ही मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर एकतरफा आदेश दे दिया, जबकि उन्होंने पीड़िता की जन्म तारीख का प्रमाणपत्र जूनियर हाईस्कूल की मार्कशीट है, जिसमें उसकी जन्म तारीख 25 जनवरी 2004 दर्ज है, प्रस्तुत की थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया है। इस हिसाब से पीड़िता को नाबालिग मानना चाहिए।
अधिकारी निर्णय लेकर चुनाव कराने का करें आदेश पारित : यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रीयल एसोसिएशन के जिला शाखा वाराणसी के द्विवार्षिक चुनाव में चुनाव अधिकारी की ओर से मतदान पूर्व चुनाव कार्रवाई स्थगित किए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल की गयी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याची से कहा है कि वह प्रत्यावेदन अधिकारी को दें और वह विचार कर निर्णय लें व चुनाव कराने का आदेश पारित करें।
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