राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के सेवा विस्तार में सत्र लाभ का पेंच।
राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों की अधिवर्षता (रिटायरमेंट) आयु के निर्धारण में पेंच फंस गया है। यह तय नहीं हो पा रहा है कि सत्र लाभ की अवधि दो वर्ष के सेवा विस्तार में जोड़ी जाएगी या नहीं? लखनऊ विश्वविद्यालय ने गेंद अब शासन के पाले में डालते हुए मार्गदर्शन मांगा है।
शासनादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया जाएगा। राष्ट्रीय पुरस्कारों में पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, डॉ. बीसी रॉय अवार्ड, नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन एंड ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड व अर्जुन पुरस्कार को शामिल किया गया है। इसी तरह राज्य पुरस्कारों में सरस्वती सम्मान, शिक्षकश्री सम्मान, विज्ञान सम्मान पुरस्कार, विज्ञान गौरव एवं विज्ञान रत्न पुरस्कार को शामिल किया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय का कहना है कि राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वर्ष का सेवा विस्तार देने के संबंध में वर्ष 2017 में जारी शासनादेश में स्पष्टता नहीं है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। उन्होंने पूछा है कि दो वर्ष का सेवा विस्तार देने के बाद सत्रांत लाभ देय होगा या नहीं? साथ ही यह भी पूछा है कि उन शिक्षकों को सेवा विस्तार में वार्षिक वेतन वृद्धि की देयता होगी या नहीं?
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