निजी स्कूल जवाबदेही से रहे बच, बच्चों में कोरोना संक्रमण होने पर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं
कोरोना काल में स्कूल खोलने के मुद्दे पर अभिभावकों में भी एक राय नहीं बन सकी है। निजी स्कूलों के छात्रों के 40 प्रतिशत अभिभावकों में इसकी सहमति बनती दिख रही है।
वहीं, सरकारी स्कूलों के छात्रों के महज 15 फीसदी अभिभावक ही सहमति देते दिख रहे हैं। उधर, अब कई स्कूल 15 अक्तूबर के बजाय दो नवंबर से खोले जाने को लेकर तैयारी कर रहे हैं।
राजधानी में 15 अक्तूबर से स्कूल खोले जाने को लेकर शुरुआती रुझान मिलने लगे हैं। स्कूलों ने व्हाट्सएप मैसेज, गूगल फॉर्म, एप आदि से अभिभावकों से स्कूल खोले जाने को लेकर सहमति मांगी है।
अब धीरे-धीरे अभिभावकों ने जवाब देना शुरू कर दिया है। फिलहाल निजी स्कूल खोले जाने को लेकर अभिभावकों में ज्यादा सहमति दिख रही है, वहीं सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के अभिभावक अभी सोच विचार कर रहे हैं।
अनुमान के मुताबिक निजी स्कूल खोलने को लेकर 40 फीसदी अभिभावक तैयार दिख रहे हैं। सरकारी स्कूलों को लेकर यह आंकड़ा 15 प्रतिशत तक ही है।
निजी स्कूलों को लेकर स्थिति
सेंट जोसेफ स्कूल के निदेशक अनिल अग्रवाल ने बताया कि उनकी चार ब्रांच में स्कूल खोलने की सहमति को लेकर अभिभावकों का आंकड़ा 50 प्रतिशत पार कर गया है। 13 अक्तूबर तक सहमति पत्र मंगवाया है। उस दिन सहमति की गणना होगी। अवध कॉलेजिएट के प्रबंधक सर्वजीत सिंह ने बताया कि स्कूल खोले जाने को लेकर अभिभावक काफी सकारात्मक दिख रहे हैं। 30 प्रतिशत से ज्यादा राजी हैं। यह आंकड़ा 50 प्रतिशत को भी पार कर जाएगा। वरदान इंटरनेशनल एकेडमी की प्रधानाचार्य रिचा खन्ना ने बताया कि स्कूल खोले जाने को लेकर 35 प्रतिशत अभिभावकों ने सहमति दे दी है। रोजाना अभिभावकों के सहमति पत्र आ रहे हैं। साथ ही यह प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है।
सरकारी स्कूलों को लेकर रुझान
अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य साहेब लाल मिश्रा ने बताया कि अभिभावकों की सहमति महज 15 से 20 प्रतिशत के बीच है। इससे ज्यादा रुझान देखने को नहीं मिले। जीजीआईसी सरोसा भरोसा की प्रवक्ता डॉ वंदना तिवारी ने बताया कि सरकारी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों को कोरोना व अन्य मुद्दों को लेकर जागरूकता की कमी है। बहुत कम अभिभावक स्कूल खोले जाने को लेकर राजी हैं। धीरे-धीरे स्कूल खुले और व्यवस्थाएं अच्छी होगी तो अभिभावकों के विचार में बदलाव आएगा। राजकीय जुबली इंटर कॉलेज, राजकीय हुसैनाबाद इंटर कॉलेज, राजकीय इंटर कॉलेज निशातगंज में भी अभिभावकों की सहमति 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। स्कूलों ने कहा कि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि सहमति पत्र पर अभिभावक जवाब दे रहे हैं या छात्र।
कई स्कूल दशहरा बाद खुलने की तैयारी में
कई स्कूल दशहरा के बाद खुलने की तैयारी में हैं। इस महीने अभिभावकों को तैयार करने के बाद दो नवंबर से स्कूल खोलेंगे। पायनियर मांटेसरी इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य शर्मिला सिंह ने बताया कि उनके यहां पर परीक्षाएं होनी हैं। इसके बाद दशहरा अवकाश हो जाएगा। ऐसे में दशहरा की छुट्टियों के बाद ही स्कूल खोलने का मन बनाया गया है। वरदान इंटरनेशनल एकेडमी की प्रधानाचार्या रिचा खन्ना ने बताया कि उनका स्कूल भी दशहरा अवकाश के बाद दो नवंबर से खोला जाएगा। एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल ने भी दो नवंबर से स्कूल खोले जाने का फैसला लिया है। जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सर्वेश गोयल ने बताया कि अभिभावकों के साथ बैठक करने के बाद दो नवंबर से स्कूल खोला जाएगा।
राजधानी लखनऊ में 15 अक्तूबर से स्कूल खोले जाने को लेकर बच्चों में संक्रमण मिलने पर जिम्मेदारी तय होने का पेंच फंस गया है। जहां निजी स्कूल सहमति पत्र पर अभिभावकों से इस शर्त के साथ हस्ताक्षर करा रहे हैं कि यदि छात्र संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी। वहीं, जिला विद्यालय निरीक्षक ने साफ किया है कि ऐसी स्थिति में स्कूल से जवाब-तलब जरूर किया जाएगा। वे जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उधर, बजट की कमी सरकारी स्कूलों को खोले जाने में बाधा बन रही है।
जारी शासनादेश के अनुसार, स्कूल खोलने के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी है। उनकी सहमति पर ही छात्रों को बुलाया जाएगा। अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने एक कॉमन सहमति पत्र तैयार किया है। इस पर यह शर्त लिखी है कि यदि बच्चा संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी।
स्कूलों ने अपने सहमति पत्र पर यही शर्त रखी है और अभिभावकों को हस्ताक्षर करने के लिए भेज रहे हैं। इस पर शिक्षा विभाग ने ऐतराज जताया है। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि कैंपस में बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की है। पढ़ाई के दौरान यदि कोई छात्र संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल से जवाब-तलब किया जाएगा। वे जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
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लखनऊ : अभिभावकों की सहमति बिना स्कूल नहीं खुलेंगे, शर्तो के साथ 11 व 12 वीं क्लास को मिली अनुमति।
● शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक में फैसला
● प्रोटोकॉल के पालन व अभिभावकों की अनुमति से ही स्कूल में प्रवेश
● अभिभावकों की सहमति बिना स्कूल नहीं खुलेंगे
लखनऊ : स्कूल खोले जाने को लेकर बच्चों में कोरोना संक्रमण पर फंसा पेंच
स्कूल खोले जाने को लेकर बच्चों में कोरोना संक्रमण पर फंसा पेंच
राजधानी में 15 अक्तूबर से स्कूल खोले जाने को लेकर बच्चों में संक्रमण मिलने पर जिम्मेदारी तय होने का पेंच फंस गया है।
जहां निजी स्कूल सहमति पत्र पर अभिभावकों से इस शर्त के साथ हस्ताक्षर करा रहे हैं कि यदि छात्र संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी।
वहीं, जिला विद्यालय निरीक्षक ने साफ किया है कि ऐसी स्थिति में स्कूल से जवाब-तलब जरूर किया जाएगा। वे जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उधर, बजट की कमी सरकारी स्कूलों को खोले जाने में बाधा बन रही है।
जारी शासनादेश के अनुसार, स्कूल खोलने के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी है। उनकी सहमति पर ही छात्रों को बुलाया जाएगा। अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने एक कॉमन सहमति पत्र तैयार किया है।
इस पर यह शर्त लिखी है कि यदि बच्चा संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी। स्कूलों ने अपने सहमति पत्र पर यही शर्त रखी है और अभिभावकों को हस्ताक्षर करने के लिए भेज रहे हैं।
इस पर शिक्षा विभाग ने ऐतराज है। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि कैंपस में बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की है।
पढ़ाई के दौरान यदि कोई छात्र संक्रमित पाया जाता है तो स्कूल से जवाब-तलब किया जाएगा। वे जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। यह पता लगाया जाएगा कि कहीं स्कूल में तो संक्रमण नहीं फैला है।
साथ ही स्कूल में वायरस की रोकथाम के लिए की गई व्यवस्था जांची जाएगी। स्कूलों की जिम्मेदारी होगी कि वे छात्रों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुरक्षित रखें। इसमें कोताही पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
स्कूल संगठन अभी भी शर्त पर अड़ा
शिक्षा विभाग के द्वारा रुख साफ किए जाने के बावजूद निजी स्कूल संगठन शर्त पर अड़ा है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि जिलाधिकारी की बैठक में सारे नियम साफ कर दिए गए हैं। क्या करना है क्या नहीं करना है, इसके दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यदि कोई स्कूल कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते करने में लापरवाही बरतता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन पालन के बावजूद कार्रवाई की जाएगी तो गलत होगा। बताया कि स्कूलों ने एसओपी में साफ निर्देश दिया है कि अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उनकी जरा सी भी तबीयत खराब हो तो दवाई देकर स्कूल न भेजें। जब पूरी तरह से स्वस्थ और संतुष्ट हो जाएं तभी स्कूल भेजें। छात्र यदि पॉजिटिव होता है तो किस आधार पर शिक्षा विभाग यह आरोप लगा सकता है कि संक्रमण स्कूल ने ही फैलाया होगा। इस तरह का आरोप निराधार होगा। अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने संगठन द्वारा बनाई गई एसओपी और सहमति पत्र शासन और जिलाधिकारी के सामने रखा है। इस पर कोई विवाद नहीं है।
सरकारी स्कूलों में बजट ने लगाया अड़ंगा
स्कूल खोले जाने को लेकर सरकारी स्कूलों में अलग समस्या हो गई है। वे कोविड प्रोटोकॉल का पालन में आ रहे खर्चे को लेकर परेशान हैं। स्कूल यह खर्चा उठाने को तैयार नहीं है। वे सरकार से इसके लिए ग्रांट की मांग कर रहे हैं। जिले में 51 राजकीय और 101 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। समय-समय पर कक्षाओं व परिसर का सैनिटाइजेशन, छात्रों व स्टाफ के लिए हर वक्त सैनिटाइजर उपलब्ध रखना, अतिरिक्त थर्मल स्कैनर व ऑक्सीमीटर खरीदना और मास्क उपलब्ध कराना आदि का खर्च स्कूल प्रशासन वहन करने को तैयार नहीं। जबकि जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल में व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा स्कूल प्रबंधन का होगा। इसे आधार बनाकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि अभी परिस्थितियां अच्छी नहीं है। स्कूल नहीं खोला जाना चाहिए। छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर खतरा है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रत्येक स्कूल में रोजाना 800 से 1000 रुपये का होने वाला खर्चा कहां से आएगा। उन्होंने बताया कि संगठन सरकार से इसके लिए अतिरिक्त ग्रांट की मांग करती है।
अभिभावक के बजाय बच्चे भेज रहे सहमति पत्र
कई निजी स्कूल अभिभावकों से सहमति गूगल फॉर्म पर मांग रही हैं। गूगल फॉर्म पर अभिभावकों को हां और न में जवाब देना है। यहां तक कि जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से जो सर्वे कराया जा रहा है वह भी गूगल फॉर्म पर ही है। विद्यालय खुलने पर अभिभावकों को लिखित में सहमति पत्र छात्र के हाथ भिजवाना पड़ेगा। इसमें कई स्कूलों में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। कई स्कूल प्रशासन ने बताया कि छात्र खुद ही गूगल फॉर्म पर स्कूल आने के लिए न का विकल्प भर कर भेज दे रहे हैं। अभिभावकों से बातचीत पर गड़बड़ी की पोल खुलने लगी है। स्कूल प्रशासन अब अभिभावकों के साथ मीटिंग कर सहमति लेंगे।
राजधानी में बच्चों के अभिभावकों की सहमति बिना स्कूल नहीं खोले जाएंगे। यह फैसला जिला प्रशासन ने बुधवार को स्कूल प्रबंधकों व अभिभावक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद लिया है। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने साफ किया कि इस दौरान ऑनलाइन कक्षाएं जारी रहेंगी। उन्होंने इसे प्राथमिकता देने को कहा।
डीएम ने बताया कि प्रथम चरण में कक्षा 10 व 12, द्वितीय चरण में कक्षा 9 व 11 और तृतीय चरण में फीड बैक आने के बाद छोटे बच्चों के स्कूल खोलने पर निर्णय लिया जायेगा। डीएम ने कहा कि हर स्कूल में एक मेडिकल रूम बनाया जाए। इसमें दो बेड हो। चिकित्सीय सुविधा के साथ जानकारी रखने वाला व्यक्ति उपस्थित रहे।
LUCKNOW: प्रशासन की हरी झंडी मिलने के साथ ही 15 अक्टूबर से राजधानी में स्कूल खोलने को लेकर बना असमंजस समाप्त हो गया। बुधवार को स्कूल प्रबंधकों और शिक्षा विभाग की बैठक के बाद प्रशासन ने शर्तो के साथ अनुमति प्रदान कर दी। फिलहाल नौ से बारह तक की कक्षाओं को ही कड़ी शतरें के साथ ही चलाने की अनुमति दी गई है। पहले चरण में कक्षा 11 और 12 तथा द्वितीय चरण में कक्षा नौ और 10 के विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों को चिकित्सा सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी।
कोरोना के चलते बीते कई महीनों से स्कूल बंद हैं और बच्चे ऑनलाइन क्लास के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा स्कूल खोलने की घोषणा के बाद भी राजधानी में कई स्कूल असमंजस में थे। बच्चों की सुरक्षा को फिक्रमंद स्कूल प्रबंधक स्पष्ट दिशा-निर्देशों का इंतजार कर रहे थे। बुधवार को डीएम के साथ विद्यालय प्रबंधकों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों की बैठक में शतरे के साथ स्कूल खुलने पर सहमति बनी। स्कूलों के सुरक्षा इंतजामों से संतुष्ट होकर डीएम ने हरी झंडी दिखा दी।
बच्चों की सुरक्षा अहम
डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि विद्यालय खोलकर बच्चों को बुलाए जाने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल से संबंधित जो गाइडलाइन शासन द्वारा जारी की गई है उसका पूरी तरह से पालन कराया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा हमारे लिए सबसे अहम है। सभी राजकीय, एडेड और निजी माध्यमिक विद्यालयों को शासन की गाइडलाइन जारी कर दी गई है। विद्यालयों के कक्ष, जहां बच्चे बैठेंगे वहां उसका रोजाना सैनिटाइज करना होगा। बिना मास्क के किसी भी बच्चे को विद्यालय के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
बच्चों को स्कूल भेजने की पक्ष में नहीं हैं अभिभावक
कई अभिभावक संगठनों की ओर से अभी स्कूल न शुरू किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। इन संगठनों की मांग है कि जब तक वैक्सीन न आ जाए, बच्चों के जीवन को खतरे में न डाला जाए।
अभी स्थितियां अच्छी नहीं है। बच्चों की जान को जोखिम में डालना ठीक नहीं होगा। फिलहाल, स्कूल न खोले जाएं।
राकेश सिंह, अध्यक्ष, लखनऊ अभिभावक विचार परिषद
निजी स्कूल प्रबंधन सिर्फ अपना लाभ देख रहे हैं। उन्हें बच्चों की चिंता नहीं है। अभिभावकों पर सहमति देने के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है।
प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ
इन प्रबंधनों ने स्कूल खोलने से किया इनकार
एलपीएस : निदेशिका रश्मि पाठक ने बताया कि उन्होंने अभिभावकों से सहमति मांगी थी। बहुमत में अभिभावकों ने असहमति जताई है। इस वजह से ही फिलहाल स्कूल न शुरू करने का फैसला लिया है।
जीडी गोयनका : चेयरमैन सर्वेश गोयल ने बताया कि मौजूदा संक्रमण के मामलों को देखते हुए अभी स्कूल नहीं शुरू करने का निर्णय लिया है।
स्कूल शुरू करने के पक्ष में प्रबंधनों का तर्क
15 अक्तूबर से स्कूल शुरू करने पर निजी स्कूलों के संगठनों का कहना है कि परीक्षा शुरू होने जा रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पर शासन के निर्देशों के हिसाब से ही स्कूल शुरू किए जाएंगे।
सैनिटाइजेशन से लेकर थर्मल स्कैनिंग तक की व्यवस्था है। शासन के निर्देश का पालन करते हुए ही स्कूल शुरू किए जाएंगे। लेकिन, प्रबंधन जिम्मेदारी नहीं लेगा।
अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
बच्चों की सुरक्षा के लिये सभी सावधानियां बरती जा रही हैं। ऐसे में स्कूल शुरू करने की अनुमति मिलनी चाहिए।
आनंद द्विवेदी, अध्यक्ष, स्ववित्तपोषित विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन
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