फतेहपुर : बीएलओ की ड्यूटी से स्कूलों की बिगड़ सकती है व्यवस्थाएं, शिक्षकों को तैनाती वाले गांव की बजाय दूर दराज के गांव में बना दिया गया बीएलओ।
आयोग की वेबसाइट से बीएलओ ड्यूटी का ब्यौरा सार्वजनिक होते ही तहसील क्षेत्र के परिषदीय शिक्षकों में हड़कंप मच गया। इस बार शिक्षामित्रों, नलकूप ऑपरेटर, लेखपालों व अन्य कर्मियों की बजाए शिक्षकों को ही बीएलओ ड्यूटी में तैनात किया गया है। इसका जमकर विरोध हो रहा है लेकिन कार्रवाई के भय से कई शिक्षकों ने जहां चार्ज ग्रहण कर लिया है तो अनेक ने अब तक सामग्री नहीं ली है।
पिछले वर्षों में बूथ लेविल अफसर की ड्यूटी शिक्षामित्रों, नलकूप ऑपरेटर व लेखपालों के हवाले रहती थी। शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जाता था। इस बारतमाम शिक्षकों को ही बीएलओ बना दिया गया है। इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें कई बूथों की जिम्मेदारी दी गई जबकि कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनके एक से अधिक शिक्षकों को बीएलओ बना दिया गया है। इसका भीतरखाने जबरदस्त विरोध हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन द्वारा सूची भेजे जाने के चलते विभागीय अधिकारी व शिक्षक इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं लेकिन जबरदस्त नाराजगी है। शिक्षकों का तर्क है कि इस वक्त भले ही स्कूलों में उतना अधिक काम नहीं है लेकिन इसके बाद भी ऑपरेशन कायाकल्प, प्रशिक्षण, ई पाठशाला, आनलाइन शिक्षण, मिड डे मील सूची समेत कई कार्य हैं जो प्रभावित हो जाएंगे।
शिक्षकों की दूसरे गांवों में भी लगा दी गई ड्यूटी : शिक्षकों को उनके तैनाती वाले गांव की बजाए दूर दराज के गांवों में भी बीएलओ बना दिया गया। ऐसे में इन्हें स्कूल छोड़कर काम करने जाना होगा। संकुल शिक्षकों और प्रभारी प्रधानाध्यापकों को भी बीएलओ बनाने से स्कूलों की व्यवस्था चरमराने का खतरा भी पैदा हो गया है।
बच्चों के आने पर बढ़ेंगी मुश्किलें : बताया जा रहा है कि जब आने वाले समय में सरकार बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति देगी तो उस समय हालात और मुश्किल हो जाएंगे। शिक्षकों के बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त रहने से स्कूल सम्बन्धी कार्यों के प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
No comments:
Write comments