आधार वेरिफिकेशन के लिए छात्रवृत्ति के सॉफ्टवेयर में किए गए तीन बड़े बदलाव।
लखनऊ : आधार वेरिफिकेशन के लिए छात्रवृत्ति के सॉफ्टवेयर में तीन बड़े बदलाव किए गए हैं। ये मूल नाम नाम से पहले कुमारी या श्रीमती और विवाह के बाद लड़कियों के सरनेम में परिवर्तन से संबंधित हैं। इस साल से आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिए जाने से ये बातें बड़ी समस्या बनकर उभरी थीं, उन्हें दूर कर लिया गया है।
प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपये तक सालाना और अन्य वर्गों के लिए दो लाख रुपये तक सालाना आय होने पर छात्रवृति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ देती है। यह सुविधा पूरी तरह से ऑनलाइन है। इस साल से भुगतान के लिए आधार सीडिंग अनिवार्य कर दी गई है। यानी, विद्यार्थी का हाईस्कूल का रिकॉर्ड और आधार कार्ड में दी गई सूचना मैच करने पर ही उसके डाटा को ओके किया जाएगा। देखने में आया कि हाईस्कूल की मार्कशीट में छात्र या छात्रा के नाम से पहले कुमार या कुमारी है, लेकिन आधार कार्ड में मूल नाम से पहले इनका इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसी तरह से हाईस्कूल की मार्कशीट में बालिकाओं के मूल नाम के आगे सरनेम कुछ और है, जबकि शादी हो जाने के कारण अब सरनेम बदल गया है। एनआईसी सी के सॉफ्टवेयर ने इस तरह के आवेदकों के डाटा को बड़े पैमाने पर खारिज करना प्रारंभ कर दिया। यह समस्या शासन की जानकारी में लाई गई, तो निर्णय लिया गया कि मूल नाम से पहले कुमार या कुमारी के आधार पर कोई भी डाटा खारिज नहीं किया जाएगा। इसी तरह से छात्राओं को पोर्टल पर शादी के बाद परिवर्तित हुआ सरनेम भी देने का ऑप्शन दिया गया है। अलबता, मूल नाम में वर्तनी का मामूली अंतर भी तभी स्वीकार होगा, जब उसे जिलास्तरीय अधिकारी वेरीफाई करेंगे।
समाज कल्याण निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि छात्रों की सुविधाओं को देखते हुए सॉफ्टवेयर में ये जरूरी बदलाव कर दिए गए हैं। हर साल करीब 60 से 70 लाख विद्यार्थी इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करते हैं।
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