आंगनवाड़ी केंद्रों पर अब मिलेगा राशन और दूध, पंजीरी वितरण होगा बंद
आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाले पोषाहार वितरण से स्वयं सहायता समूहों को होगा 400 करोड़ का लाभ
लखनऊ : आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाले पोषाहार में महिला स्वयं सहायता समूहों को सालाना 400 करोड़ रुपये का लाभ होगा। प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार वितरण का काम स्वयं सहायता समूहों को सौंप दिया है। इस निर्णय से जहां ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं पोषाहार की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। सरकार ने अपने इस निर्णय से प्रदेश में पंजीरी सिंडीकेट भी तोड़ दिया है।
पंजीरी के नाम पर वर्षों से खेल चल रहा था। इसको लेकर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में भी भ्रष्टाचार व्याप्त था। सरकार ने व्यवस्था को विकेन्द्रीकृत करते हुए ब्लॉक स्तर पर यह काम महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंप दिया है। फिलहाल पोषाहार बनाने व वितरण करने के लिए जरूरी अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने दो वर्ष का समय मांगा है।
अब आंगनवाड़ी केंद्रों से पंजीरी की जगह सूखा राशन दिया जाएगा। टेक होम राशन के रूप में गेहूं, चावल, दाल, सूखा दूध , देसी घी आदि दिया जाएगा। इसका वितरण स्वयं सहायता समूह के द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि प्रदेश में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पोषाहार की आपूर्ति कराए जाने के आदेश हुए हैं ।
लेकिन राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने बाल विकास सेवा व पुष्टाहार विभाग को जानकारी दी है कि इस काम में 2 वर्ष का समय लगना तय है। लिहाजा विभागीय अपर मुख्य सचिव राधा एस चौहान ने अन्य प्रदेशों की तरह टेक होम राशन की व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं।
इसके लिए गेहूं चावल भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से और देशी घी व सूखा दूध पाउडर प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड से निर्धारित मानकों के अनुसार स्वयं सहायता समूह को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा। समूह दालों को स्थानीय स्तर पर खरीदेंगे और निर्धारित मात्रा में वजन व पैकिंग कर आंगनबाड़ियों से विभिन्न श्रेणी के लाभार्थियों को हर महीने उपलब्ध कराएंगे।
पंजीरी वितरण में लगातार हो रही धांधली और कुछ कम्पनियों के वर्चस्व को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने 18 जिलो में स्वयं सहायता समूहों को काम देने का निर्णय लिया। बाद में 57 जिलो में टेंडर प्रक्रिया में कंपनियों के भाग न लेने के कारण पूरे प्रदेश में ये काम स्वयं सहायता समूहों को सौप दिया गया है। लेकिन पोषाहार उत्पादन प्लांट लगाने और इसकी अवस्थापना सुविधाओ को विकसित करने में न्यूनतम 2 वर्ष का समय लगेगा। तब तक लाभार्थियों को सूखा राशन दिया जाएगा।
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