माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित वर्ष 2021 की हाईस्कूल /इण्टरमीडिएट परीक्षाओं हेतु परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण ऑनलाइन प्रक्रिया द्वारा कराये जाने हेतु नीति निर्धारण के सम्बन्ध में।
यूपी बोर्ड : कोरोना के चलते परीक्षा केंद्रों की संख्या करीब दोगुनी होने के आसार, परीक्षा में दिव्यांग छात्र-छात्राओं को स्वकेंद्र
यूपी बोर्ड परीक्षा अप्रैल से पहले संभव नहीं, नए कालेजों में संसाधन बड़ी चुनौती
यूपी बोर्ड परीक्षाओं हेतु केंद्र निर्धारण नीति जारी, कोरोना के चलते केंद्रो की संख्या बढ़ेगी
यूपी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद ने तैयारियां तेज कर दी हैं। विभाग द्वारा परीक्षा केंद्रों पर मानक निर्धारित कर दिए गए हैं। इस बार केंद्रों पर कोविड-19 के प्रोटोकॉल ध्यान रखा जाएगा। खासकर शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
यूपी बोर्ड 2020-21 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण नीति जारी कर दी गई है। अब कमरे में एक-दूसरे परीक्षार्थी के बीच में 36 वर्ग फीट (3.34 वर्ग मीटर) दूरी रखना अनिवार्य होगा। केंद्र बनाने के लिए दोनों पालियों में आवंटित परीक्षार्थियों की कुल संख्या न्यूनतम 150 एवं अधिकतम 800 होगी। अभी तक यह संख्या 300 और अधिकतम 1200 थी। शासन की गाइड लाइन जारी होने पर डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं।
परीक्षा केंद्रों का निर्धारण ऑनलाइन किया जाएगा। सभी प्रधानाचार्यो को परिषद की वेबसाइट पर सभी आधारभूत सुविधाओं की जानकारी अपलोड करनी होगी। इन सूचनाओं के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम मौके पर जांच करेगी। यदि किसी भी प्रधानाचार्य ने आधारभूत सूचनाएं अपलोड नहीं की या फिर गलत सूचनाएं दीं तो उनके विद्यालय को परीक्षा केंद्र की पात्रता सूची से बाहर कर दिया जाएगा। साथ ही उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के लिए सॉफ्टवेयर बनेगा। विद्यालयों के बीच दूरी निर्धारण के लिए संस्थानों की मै¨पग/ जियो टै¨गग कराई जाएगी। परिषद के मोबाइल एप से विद्यालयों के प्रधानाचार्यो को यह मै¨पग खुद ही करनी होगी। यह एप पर उपलब्ध है। प्रधानाचार्य इस एप को अपने स्मार्ट फोन में डाउनलोड करेंगे। फिर अपने संस्थान परिसर में इस एप में विद्यालय की यूजर आइडी व पासवर्ड के माध्यम से लॉगइन करेंगे, जिससे विद्यालय का अक्षांश एवं देशांतर परिषद की वेबसाइट के सर्वर पर स्वत: दर्ज हो जाएगा।
’>>केंद्र में दोनों पालियों में परीक्षार्थियों की संख्या न्यूनतम 150 एवं अधिकतम होगी 800
’>>अभी केंद्रों के लिए छात्रों की संख्या 300 व अधिकतम 1200 थी
मेरिट सूची से बनेंगे सेंटर
वेबसाइट पर अपलोड सूचनाओं के आधार पर अंक दिए जाएंगे। इसमें राजकीय, एडेड और वित्त विहीन विद्यालयों की अलग-अलग मेरिट सूची तैयार की जाएगी। इंटर व हाईस्कूल स्तर के विद्यालयों के पिछले साल के नतीजों पर दिए जाने वाले अंक बढ़ा दिए हैं। हाईस्कूल और इंटर के पिछले साल के स्कूल के नतीजे 90 फीसद से ज्यादा होने पर 10 की जगह 20-20 अंक दिए जाएंगे। इसी आधार पर सेंटर बनेंगे।
प्रयागराज: यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के लिए केंद्र फरवरी के पहले पखवारे में तय होंगे। उसी समय इंटर की प्रायोगिक परीक्षाएं भी होनी है। नीति जारी होने में देरी से केंद्र बनने में समय लगेगा। इससे अब अप्रैल के पहले परीक्षा शुरू हो पाने के आसार नहीं है। दिसंबर में कार्यक्रम पर मंथन जरूर शुरू हो रहा है।
परीक्षा में उन सभी बालिका विद्यालयों को अनिवार्य रूप से केंद्र बनाया जाएगा, जो केंद्र बनने की शर्ते पूरा करते हैं। इसमें पहले राजकीय फिर एडेड व अंत में वित्तविहीन विद्यालय का भेद नहीं होगा। यह क्रम सिर्फ बालक विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाने में देखा जाएगा। केंद्र बनने वाले बालिका विद्यालयों में बालक परीक्षार्थी आवंटित न किए जाएं, बल्कि पांच किमी की परिधि में आने वाले उन विद्यालयों की बालिकाओं को यहां परीक्षा देने का मौका दिया जाए, जो केंद्र नहीं बन सके हैं। 40 फीसद दिव्यांग छात्र-छात्रओं को यदि उनका विद्यालय केंद्र बना है तो स्वकेंद्र की सुविधा मिलेगी।
कोरोना संक्रमण ने केवल स्कूलों की पढ़ाई ही प्रभावित नहीं की है, बल्कि यूपी बोर्ड की अहम परीक्षा तक में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। बोर्ड ने पिछले साल ही 50 लाख से अधिक परीक्षार्थियों का इम्तिहान महज 7,786 केंद्रों पर कराकर रिकार्ड बनाया था। यह रिकार्ड इस वर्ष ही टूटने जा रहा है, क्योंकि परीक्षार्थियों के हित में शारीरिक दूरी का अनुपालन करने में केंद्रों की संख्या करीब दोगुनी होने के आसार हैं। केंद्र निर्धारण नीति जारी हो चुकी है और अब 28 हजार माध्यमिक कालेजों में से मानक वाले केंद्रों की तलाश शुरू होगी।
केंद्रों पर तय मानक के अनुरूप संसाधन हो और उनका पर्यवेक्षण आसानी से सके इसके लिए केंद्रों की संख्या कम करने की रणनीति बनी। हालांकि, हर बार की परीक्षा नीति में इसका उल्लेख रहता है कि पहले राजकीय फिर एडेड और अंत में वित्तविहीन कालेजों को अवसर दिया जाए। इसका सही से अनुपालन न होने से 2017 तक केंद्रों की संख्या अधिक रही। उसके बाद से लेकर पिछले वर्ष तक लगातार केंद्र कम होते गए। इस वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से 36 वर्ग फिट की दूरी रखनी है इसलिए केंद्रों की संख्या दोगुनी होने के आसार हैं, क्योंकि परीक्षार्थियों की संख्या पिछले वर्ष से कुछ कम है।
बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि हाईस्कूल परीक्षा 2021 के लिए 29 लाख 85 हजार 973 संस्थागत, 17 हजार 498 व्यक्तिगत सहित कुल 30 लाख तीन हजार 471 व इंटरमीडिएट परीक्षा 2021 के लिए 24 लाख 97 हजार 541 संस्थागत व 73 हजार 69 व्यक्तिगत सहित 25 लाख 70 हजार 600 ने परीक्षा फार्म भरा है। हाईस्कूल व इंटर में 55 लाख 74 हजार 71 परीक्षार्थी हैं।
नए कालेजों में संसाधन बड़ी चुनौती
बोर्ड की परीक्षा में जिन नए कालेजों को केंद्र बनाया जाएगा। वहां वायस रिकार्डर युक्त सीसीटीवी कैमरा, रिकार्डिग के लिए डीवीआर होना जरूरी है। वेबकास्टिंग से मानीटरिंग किए जाने के लिए राउटर डिवाइस व हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन के साथ ही डीवीआर में रिकार्डिग क्षमता 30 दिनों की होना बड़ी चुनौती होगी।
प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा-2021 की नीति के तहत 40 फीसद स्थायी दिव्यांग छात्र-छात्रओं को स्वकेंद्र मिलेगा। इसके लिए सीएमओ से प्रमाणित दिव्यांग प्रमाणपत्र देना होगा। स्वकेंद्र नहीं होने की दशा में करीबी स्कूल आवंटित होगा। यदि बालिका व दिव्यांग को पांच किलोमीटर की परिधि में केंद्र देना संभव न हो तो विकल्प सहित प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में हाईस्कूल व इंटर की संस्थागत व व्यक्तिगत बालिकाओं को यदि उनके विद्यालय (अग्रसारण केंद्र) को ही परीक्षा केंद्र बनाया गया है तो उन्हें संबंधित विद्यालय स्वकेंद्र की सुविधा के तहत आवंटित हो। जहां स्वकेंद्र की सुविधा न दी जा सके वहां अधिकतम पांच किलोमीटर में ही परीक्षा देने का अवसर दिया जाए। जिन विद्यालयों को स्वकेंद्र बनाया जाएगा, वहां अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक के साथ ही 50 प्रतिशत स्टाफ बाह्य कालेजों का भी रखा जाए।
न्यूनतम व अधिकतम का फॉर्मूला
नकल रोकने को राजकीय विद्यालयों में 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले न्यूनतम गुणांक के वित्तविहीन स्कूलें के परीक्षार्थियों का आवंटन होगा। इसी तरह से एडेड विद्यालयों में भी आवंटन होगा। वहीं, वित्तविहीन विद्यालयों में उच्च गुणांक वाले वित्तविहीन और न्यूनतम गुणांक वाले परीक्षार्थियों का आवंटन होगा।
No comments:
Write comments