छात्रों को आने वाले बजट में मिल सकता है स्मार्टफोन या लैपटॉप का तोहफा, अनिवार्य बन चुकी आनलाइन पढ़ाई से सभी को जोड़ने की तैयारी
कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से सभी को जोड़ने में जुटी सरकार
अभी 38 फीसद से ज्यादा बच्चों के पास नहीं है कोई साधन
संसाधन विहीन छात्रों में करीब 44 फीसद बच्चे सरकारी स्कूलों के
नई दिल्ली:- कोरोना महामारी के चलते घरों में रहकर ही पढ़ने को मजबूर स्कूली छात्रों को केंद्र सरकार आने वाले आम बजट में कुछ बड़ा तोहफा दे सकती है। फिलहाल जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन, टैब, लैपटॉप या टेलीविजन जैसे उपकरणों की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। इन दिनों सरकार का ध्यान ऑनलाइन पढ़ाई पर केंद्रित है। पहली से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए सरकार पहले ही 12 नए टीवी चैनल लांच करने की घोषणा कर चुकी है, जिसकी तैयारी तेजी से चल रही है।
सूत्रों की मानें तो स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन, टैब, लैपटॉप या फिर टीवी जैसे साधन मुहैया कराने के विकल्पों पर सरकार इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि हाल में आई विभिन्न रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया है कि अभी भी 38 फीसद से अधिक छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़ने के लिए कोई साधन नहीं हैं। असर (एनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) नामक गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक संसाधन विहीन छात्रों में करीब 44 फीसद बच्चे सरकारी स्कूलों के हैं। वहीं, निजी स्कूलों में ऐसे बच्चों की संख्या भी करीब 26 फीसद है।
शिक्षा मंत्रालय के सामने कई राज्यों ने उठाया है यह मुद्दा
केंद्रीय शिक्षा मंत्रलय के सामने यह मुद्दा कई राज्यों ने भी उठाया है। खास कर जब वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर राज्यों के साथ सीधी चर्चा करने में जुटी है। राज्यों का कहना है कि वह अपने यहां ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बनाना चाहते हैं, लेकिन सभी बच्चों के पास इससे जुड़ने के लिए साधन नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक यह हाल तब है जबकि, बड़ी संख्या में अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए स्मार्टफोन खरीदे भी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में नामांकित छात्रों में से सिर्फ 36 फीसद बच्चों और उनके परिवारों के पास स्मार्टफोन थे, जो बढ़कर अब करीब 61 फीसद हो गई है। सरकार स्कूली शिक्षा को मजबूती देने के लिए हर साल राज्यों को वित्तीय मदद देती है। यह साल और भी खास है, क्योंकि इस साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर तेजी से काम होना है। ऐसे में बजट में भी इसके लिए खास प्रावधान किए जा सकते हैं।
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