ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को कितना हो रहा नुकसान, बेसिक शिक्षा विभाग से माँगा जवाब
स्कूलों की फीस माफी के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब
प्रयागराज। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को रहे नुकसान तथा कक्षा आठ तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नत करने सहित कई मांगों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से जवाब मांगा है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन की अवधि की फीस अभिभावकों से न बसूलें।
मेरठ की संस्था मासूम बचपन फाउंडेशन की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश गोबिंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। - याचिका की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी। संस्था ने याचिका में एक शोध का हवाला देते हुए कहा है कि ऑनलाइन कक्षा से मासूम छात्रों को शारीरिक और मानसिक नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई उनकी क्षमताओं को प्रभावित कर रही है।
ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को कितना हो रहा नुकसान, हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक से मांगा जवाब
ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को रहे नुकसान तथा कक्षा आठ तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नत करने सहित कई मांगों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से जवाब मांगा है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन की अवधि की फीस अभिभावकों से न वसूलें।
मेरठ की संस्था मासूम बचपन फाउंडेशन की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। याचिका की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी। संस्था ने याचिका में एक शोध का हवाला देते हुए कहा है कि ऑनलाइन कक्षा से मासूम छात्रों को शारीरिक और मानसिक नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई उनकी क्षमताओं को प्रभावित कर रही है। संस्था का कहना है कि वह एक ट्रस्ट है, जो बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा, विकास व कल्याण के लिए काम करता है।
संस्था का कहना है कि जब लॉकडाउन में स्कूल बंद थे तो प्राइवेट स्कूलों को फीस नहीं लेनी चाहिए और स्कूलों की फीस व अध्यापकों के वेतन को रेगुलेट किया जाए। साथ ही बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नति दी जाए। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से याचिका में उठाए गए मुद्दों पर हलफनामा मांगा है। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता राजीव सिंह ने प्रतिवाद किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कक्षा आठ तक के बच्चों को परीक्षा के बगैर प्रोन्नत करने और लॉकडाउन के दौरान गैर वित्त पोषित प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस मांगने पर रोक लगाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने मेरठ की संस्था मासूम बचपन फाउंडेशन की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से याचिका में उठाए गए मुद्दों पर हलफनामा मांगा है। याचिका पर राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता राजीव सिंह ने प्रतिवाद किया। बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा, विकास व कल्याण के कार्य कर रही संस्था का कहना है कि जब लाकडाउन में स्कूल बंद थे तो प्राइवेट स्कूलों को फीस नहीं लेनी चाहिए। स्कूलों की फीस व अध्यापकों का वेतन रेगुलेट किया जाए। साथ ही कक्षा आठ तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए अगली कक्षा में प्रोन्नति दी जाए।
याची का यह भी कहना है कि आन लाइन कक्षा से मासूम छात्रों को शारीरिक व मानसिक नुकसान हो रहा है। उनकी क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसके लिए शोध का भी हवाला दिया गया।
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