DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, November 15, 2020

राजधानी लखनऊ में RTE अंतर्गत हज़ार से अधिक बच्चों की पढ़ाई दांव पर, नहीं म‍िल सका प्रवेश, निजी स्कूलों के खिलाफ कार्यवाई हेतु हिम्मत नहीं जुटा पा रहा विभाग।

राजधानी लखनऊ में RTE अंतर्गत हज़ार से अधिक बच्चों की पढ़ाई दांव पर, नहीं म‍िल सका प्रवेश, निजी स्कूलों के खिलाफ कार्यवाई हेतु हिम्मत नहीं जुटा पा रहा विभाग।


 कई साल से शिक्षा के अधिकार के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी करने वाले निजी स्कूलों पर बेसिक शिक्षा विभाग इस बार भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। हर बार की तरह इस बार भी दाखिले की समय सीमा समाप्त हो गई और करीब एक हज़ार से अधिक बच्चे दाखिले से वंचित रह गए। मगर जिम्मेदारों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। जिम्मेदार हर बार की तरह इस बार भी नोटिस जारी करने तक सीमित रह गए। ऐसे में सवाल इस बात का है की दाखिला न पाने वाले एक हज़ार बच्चों का भविष्य क्या होगा? स्वाभाविक है कि उन्हें इस बार क्या बिना दाखिले व पढ़ाई के ही रहना होगा।


दरअसल, राजधानी में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए इस बार तीसरे चरण में 17 जुलाई से 10 अगस्त तक आवेदन करना था। 11 से 12 अगस्त के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा आवेदन पत्र का सत्यापन कर उन्हें लॉक करना था। विभाग की ओर से 14 अगस्त को लॉटरी निकाली गई और 30 अगस्त तक पात्र बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित कराया जाना था। मगर हर साल की तरह इस बार भी जिम्मेदार तमाम बच्चों को दाखिला दिलाने में नाकाम साबित हुए। इससे भी अधिक गंभीर बात यह रहेगी जिम्मेदारों ने इन निरंकुश निजी स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई करने की इस बार भी हिम्मत नहीं दिखाई। शायद यही कारण है कि निजी स्कूल शिक्षा के अधिकार के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने में दिलचस्पी नहीं दिखाते।


राजधानी में ऑनलाइन माध्यम से 11729 और ऑफलाइन माध्यम से करीब 900 पात्र बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला दिलाया जाना था। मगर दाखिले को लेकर विभाग द्वारा निर्धारित तारीख बीतने के बाद भी महज करीब 10000 बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला मिल सका। जबकि करीब एक हजार से अधिक बच्चे इस बार अभी दाखिले से वंचित रह गए हैं। आरटीई को लेकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया कराने को लेकर अधिकारियों की ओर से बड़े-बड़े दावे भी किए जाते हैं, मगर  राजधानी के हाल को देखकर  प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।


'इस सत्र अभी तक करीब 10000 बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला दिलाया गया है। व्यवहारिक रूप से अभी भी दाखिले हो रहे हैं। जिन स्कूलों ने बच्चों को दाखिला नहीं दिया हैं, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई भी होगी।'  -दिनेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ

No comments:
Write comments