बिना प्रवेश परीक्षा, फिर भी 1.34 लाख सीटें खाली, पॉलीटेक्निक के प्रवेश पर कोरोना का ग्रहण।
अंतिम चरण की काउंसिलिंग शुरू
प्राविधिक शिक्षा विभाग ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का निर्णय लिया तो संस्थावार 10 फीसद सीटें बढ़ा दी गई। सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी संस्थानों में आरक्षण देने के लिए भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने सीटें बढ़ाने की हरी झंडी भी दे दी, पर उन्हें क्या पता कि पहले से मौजूद सीटों को ही भरना चुनौती हो जाएगी। नौ चरण पूरे होने के बावजूद अभी भी 1.34 लाख सीटें खाली हैं।
कोरोना संक्रमण का ऐसा असर रहा कि निजी संस्थानों में अंतिम चरण तक एक लाख से अधिक सीटों पर प्रवेश का इंतजार है। सरकारी संस्थानों में भी दो हजार से अधिक सीटों पर अभी प्रवेश होने हैं। पांच दिसंबर तक प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो रही है। ऐसे में सीटों को भर पाने में मुश्किलें होंगी।
पहली बार परीक्षा से वंचित डेढ़ लाख आवेदकों को प्रवेश का मौका दिया गया। संयुक्त प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर प्रवेश के प्रावधानों के बावजूद कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा किया गया। काउंसिलिंग के तीन अतिरिक्त चरण हुए, फिर भी सीटें नहीं भर सकी हैं। परिषद के साथ ही संस्थानों के प्रधानाचार्य भी हैरान हैं।
रिक्त सीटों पर एक नजर
* 150 सरकारी संस्थानों में रिक्त सीटें 8019 हैं। इनमें सवर्णों के लिए आरक्षित रिक्त सीटें-2547 हैं।
*19 अनुदानित संस्थानों में रिक्त सीटें 2958 हैं। इनमें सवर्णों के लिए आरक्षित रिक्त सीटें-717 हैं।
*1202 निजी संस्थानों में रिक्त सीटें 123682 है, इनमें सवर्णों के लिए आरक्षित रिक्त सीटें 15836 हैं।
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