दस्तावेज सत्यापन के नाम पर मनमानी का खेल हुआ फेल, आखिर अनुदेशकों को वापस करने लगे सत्यापन की डीडी
परिषदीय स्कूल
▪️दस्तावेज सत्यापन के लिए रुपये मांगने का आरोप
▪️एक हजार रुपये तक का डिमांड ड्राफ्ट बनवा रहे।
प्रयागराज : परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों से दस्तावेज सत्यापन के लिए लिया गया डिमांड ड्राफ्ट वापस होने लगा है । आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने 8 दिसंबर के अंक में अनुदेशकों से नियम विरुद्ध सत्यापन फीस लेने का समाचार प्रकाशित किया था। दबाव बढ़ने के बाद सत्यापन फीस के रूप में लिया गया डिमांड ड्राफ्ट वापस किया जाने लगा है। चाका ब्लॉक में सभी अनुदेशकों का डिमांड ड्राफ्ट वापस कर दिया गया है।
अनुदेशकों से अलग-अलग विश्वविद्यालय और बोर्ड की सत्यापन फीस के रूप में 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के डिमांड ड्राफ्ट जमा करवाए गए थे। खबर प्रकाशित होने के बाद सभी अनुदेशकों को बुलाकर डीडी वापस कर दिया गया। उच्च प्राथमिक अनुदेशक कल्याण समिति के जिला अध्यक्ष भोलानाथ पांडेय का कहना है कि सोरांव समेत अभी कुछ ब्लॉकों में अनुदेशकों को सत्यापन फीस वापस नहीं की गई है।
सरकार ने अधिकारियों को अनुदेशकों के दस्तावेज सत्यापन के निर्देश दिए थे। इस मद में बजट जारी नहीं हुआ। खंड शिक्षाधिकारियों ने मनमाने तरीके से महज सात हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पाने वाले अनुदेशकों से ही फीस जमा करवाना शुरू कर दिया।माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों का सत्यापन बजट न होने के कारण नहीं हो सका है।
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