लख़नऊ : स्वेटर बांट दिए, पर नहीं कराई गुणवत्ता की जांच, लैब टेस्टिंग के लिए स्वेटर का एक सैम्पल तक नहीं भेजा गया
लखनऊ। जिले के परिषदीय विद्यालयों के छात्रों को स्वेटर तो बांट दिए गए हैं, लेकिन विभाग ने उनकी लैब टेस्टिंग कराने की जहमत नहीं उठाई। अभी तक किसी भी ब्लॉक से एक भी स्वेटर का सैंपल लैब टेस्टिंग के लिए नहीं भेजा गया है।
जिले में परिषद विद्यालयों के प्राइमरी और जूनियर में करीब 1.96 लाख छात्र पंजीकृत हैं। करीब 98 प्रतिशत छात्रों को स्वेटर बांट दिए गए हैं, लेकिन अधिकारियों ने स्वेटर की लैब टेस्टिंग नहीं कराई है। उल्टा सत्यापन कराया जा रहा है, जबकि लैब टेस्टिंग प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा लैब टेस्ट से स्वेटर की गुणवत्ता का पता चलता है स्वेटर में कितने प्रतिशत ऊन है, इसकी जानकारी लैब टेस्टिंग से ही होती है। अक्सर देखा गया है स्वेटर पहनने के कुछ दिनों बाद उनकी सिलाई खुलने लगती है। कई जगहों से वे फटने लगते हैं लैब टेस्टिंग में इसकी गड़बड़ी पकड़ में आ जाती है।
जिन्होंने बंटवाए स्वेटर, वही कर रहे सत्यापन
स्वेटरों का विभागीय अधिकारियों की ओर से सत्यापन कराए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। जिन खंड शिक्षा अधिकारियों ने स्वेटर वितरित कराए उन्हीं से उनका सत्यापन भी कराया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि जिन्होंने गड़बड़ी को अंजाम दिया उनको ही जांच अधिकारी बनाया गया है। ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे ! होगी। कोई भी अधिकारी अपने क्षेत्र के 10 अच्छे की ओर से सत्यापन करवाना खानापूर्ति करना है।
हर अधिकारी 10-10 स्वेटर का करेगा सत्यापन
बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि अभी लैब टेस्टिंग के लिए कोई स्वेटर नहीं भेजा गया है। फिलहाल गुणवत्ता को लेकर गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं आई है। केवल स्वेटर की साइज को लेकर शिकायत है इसलिए रैंडम सत्यापन कराया जा रहा है। प्रत्येक खंड शिक्षा अधिकारी अपने क्षेत्र के 10-10 स्वेटरों का सत्यापन करके रिपोर्ट देगे। वहीं 117 न्याय पंचायतों में भी सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन के बाद पता चल जाएगा कि छात्रों को सही साइज के स्वेटर मिले हैं या नहीं।
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