पटना हाईकोर्ट ने दी शिक्षा विभाग को नसीहत : शिक्षकों की तैनाती शिक्षा देने के लिए होती है, उन्हें शिक्षा के काम में ही लगाएं, ठेकेदार न बनाएं।
निर्माण कार्य में आवंटित राशि का उपभोग न किये जाने पर शिक्षक पर एफआईआर किये जाने पर पटना हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी।
हाईकोर्ट ने फंड का दुरुपयोग करने के मामले में शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर बिहार सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की बहाली छात्रों को शिक्षा देने के लिए की जाती है। लेकिन शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में लगाने की बजाए उन्हें दूसरे काम में लगाया दिया जाता हैं।
शिक्षकों का मुख्य कार्य छात्रों को शिक्षित करने के लिए उन्हें शिक्षा प्रदान करने का है।
हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि दुर्भाग्य है कि बिहार में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र से हटा कर उन्हें स्कूल भवन के निर्माण कार्य में लगा ठेकेदार के रूप में स्थापित कर दिया है। यही नहीं आवंटित राशि का उपयोग नहीं किये जाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर अभियुक्त बना दिया गया। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक को अभियुक्त बनाये जाने के पूर्व विभाग ने जिम्मेवारी तक तय नहीं की है। कोर्ट ने शिक्षक को अग्रिम जमानत दे दी।
मामला गोपालगंज जिले के कटेया थाना कांड संख्या 172/2016 से सम्बंधित है। इस केस में शिक्षक शैलेश कुमार को आवंटित निधि का उचित उपयोग नहीं किये जाने को लेकर विभाग ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी। निचली अदालत से अग्रिम जमानत नहीं मिलने पर शिक्षक ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर अग्रिम जमानत देने का गुहार लगाई गई थी। अग्रिम जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया। कोर्ट ने पचास हजार के दो मुचलकों पर अग्रिम जमानत दे दी।
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