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Sunday, February 28, 2021

नई शिक्षा नीति से बदलेगा भाषाओं का पाठ्यक्रम, कई स्तरों पर दिखाई देगा उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रस्तावित बदलाव

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदल जाएगा भाषाओं का भी पाठ्यक्रम

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रस्तावित बदलाव कई स्तरों पर दिखाई देगा। नए पाठ्यक्रम में गैर प्रायोगिक विषयों में भी व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया जाएगा। भाषाओं के पाठ्यक्रम में भी इसका असर दिखेगा। नया पाठ्यक्रम पहली जुलाई 2021 से शुरू होने वाले नए सत्र से लागू हो सकता है।


स्नातक स्तर पर लागू होने वाले न्यूनतम समान पाठ्यक्रम के संबंध में शासन से जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर ये पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। शासन ने भाषाओं के पाठ्यक्रम में अनुवाद व स्क्रिप्ट राइटिंग समेत रोजगार से जुड़ी वाली लेखन की अन्य विधाओं को शामिल करने का सुझाव दिया है। इस तरह हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं के पाठ्यक्रम को अब ज्यादा उपयोगी बनाया जाएगा। तैयार कराए जा रहे पाठ्यक्रम पर फीडबैक लेकर उसमें बदलाव भी किया जाना है। यह जिम्मेदारी उच्च शिक्षा परिषद को दी गई है। परिषद ने ही पाठ्यक्रमों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर फीडबैक भी मांगे हैं।


नई नीति के तहत 12वीं के बाद उच्च शिक्षा के पहले वर्ष में प्रवेश लेने के इच्छुक छात्र को प्रथम वर्ष के लिए दो मुख्य विषयों के साथ एक संकाय का चुनाव करना होगा। दो प्रमुख विषयों के अलावा उन्हें प्रत्येक सेमेस्टर में किसी भी अन्य संकाय के एक और मुख्य विषय का चुनाव करना होगा। इसके साथ ही एक गौण विषय किसी अन्य संकाय से, एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम (अपनी अभिरुचि के अनुसार) तथा एक अनिवार्य सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम का चयन करना होगा। शासन ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना से संबंधित जानकारी भी शिक्षकों को भी देने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को रेफ्रेशर कोर्स आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। मार्च के महीने में होने वाले रेफ्रेशर कोर्स में विश्वविद्यालयों के अलावा महाविद्यालयों के शिक्षक भी शामिल किए जाएंगे।

शिक्षकों, कर्मचारियों के लिए डेथ वारंट है सरकार का नया विधेयक, प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर पांच मार्च को विरोध प्रदर्शन करने का माध्यमिक शिक्षक संघ का फैसला

 
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार की ओर से विधानमंडल में पारित शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक को प्रदेश के प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के डेथ वारंट बताया है। शिक्षक संघ ने शिक्षक विरोधी शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक का वापस लेने के लिए प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर पांच मार्च को विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। विरोध प्रदर्शा के बाद जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश पांडेय ठकुराई की अध्यक्षता में बर्चुअल बैठक में तय किया गया कि विधेयक के वापस होने तक विरोध जारी रहेगा। प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने बताया कि सरकार इस अधिकरण के माध्यम से न केवल सेवा संबंधी सभी मामलों में शिक्षकों के उच्च न्यायालय में जाने पर रोक लगाई जा रही है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 226 में दिए गए शिक्षकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मूल अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है। बैठक में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ उमेश त्यागी, अयोध्या प्रसाद अग्रवाल, जयप्रकाश नायक, विनोद यादव अरुण पाल अआत्रेय, केदार वर्मा, गणेश पटेल, जगतारण शरण, सतीश पचौरी, दीपक नैन, सुनील शुक्ला, आलोक शर्मा, रामनरेश आदि उपस्थित रहे।


बदलाव:- अब आधार से लिंक बैंक खाते में ही भेजी जाएगी छात्रवृत्ति


लखनऊ : प्रदेश सरकार छात्रवृत्ति में घपले व घोटाले रोकने के लिए अगले सत्र से अहम बदलाव करने जा रही है। छात्रों को अब आवेदन के समय बैंक खाते का विवरण नहीं देना होगा। आधार से लिंक बैंक खाते में ही छात्रवृत्ति भेजी जाएगी। यदि किसी छात्र के एक से अधिक बैंक खाते आधार से जुड़े हैं तो सबसे अंत में जुड़े बैंक खाते में छात्रवृत्ति भेजी जाएगी। छात्रवृत्ति के आवेदन से लेकर कक्षाओं में बायोमीट्रिक उपस्थिति तक सब कुछ आधार के जरिये दर्ज की जाएगी। प्रदेश में करीब 57 लाख से अधिक छात्रों को समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति देते हैं। योगी सरकार छात्रवृत्ति में होने वाले घोटालों पर पूरी तरह नियंत्रण लगाने के लिए नए शैक्षिक सत्र से कई बदलाव करने जा रही है। छात्रवृत्ति के आवेदन के लिए अब आधार नंबर अनिवार्य किया गया है छात्रवृत्ति की वेबसाइट को आधार की वैबसाइट से जोड़ा जाएगा। यानी छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर आवेदन करने के लिए जैसे ही आधार नंबर भरेंगे, स्वतः ही आधार की वेबसाइट से उस नंबर की प्रमाणिकता की जांच हो जाएगी। आधार नंबर प्रमाणिक होने पर ही छात्र आवेदन पत्र भर सकेंगे।

वर्तमान में छात्रवृत्ति के आवेदन में छात्रों को बैंक खाता संख्या, शाखा का नाम व आइएफएस कोड आदि विवरण भरना होता है। इस कारण कई बार कॉलेज प्रबंधन छात्रवृत्ति में खेल कर जाते थे। सारा विवरण छात्र-छात्राओं का और एकाउंट नंबर मिलते-जुलते नाम वाले किसी दूसरे का दे देते थे।



बहिष्कार से निकलेगी एडेड जूनियर शिक्षक भर्ती की राह एक मार्च तक लगाई थी रोक, वकील कर रहे कार्यबहिष्कार

प्रयागराज : प्रदेश के 3049 अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूलों की शिक्षक भर्ती का विज्ञापन अगले सप्ताह जारी करने की तैयारी है। इसमें वकीलों का कार्यबहिष्कार भर्ती की राह आसान कर रहा है। वजह, हाईकोर्ट ने कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अदर्स जूनियर हाईस्कूल की याचिका पर सिर्फ एक मार्च तक के लिए स्थगनादेश जारी कर किया था। शिक्षा अधिकरण मुद्दे पर वकील एक मार्च को भी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। इसलिए सुनवाई संभव नहीं है और स्टे की मियाद पूरी हो जाएगी। ऐसे में परीक्षा संस्था दो मार्च को विज्ञापन घोषित कर सकती है।
ज्ञात हो कि एडेड जूनियर हाईस्कूल भर्ती में प्रधानाध्यापक के 390 व सहायक अध्यापक के 1504 सहित कुल 1994 पदों के लिए विज्ञापन अधर में है। इसके पहले शासनादेश में खामी की वजह से तय समय पर विज्ञापन जारी नहीं हो सका था। अब भर्ती का इंतजार करने वालों की मुराद पूरी हो सकती है। सरकार ने नियमावली में संशोधन करने के एक साल बाद रिक्त पद पर भर्ती कराने का आदेश दिया था, इम्तिहान कराने का जिम्मा परीक्षा नियामक राज्य ब्यूरो, प्रवागराज : प्रदेश के

3049 अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूलों की शिक्षक भर्ती का विज्ञापन अगले सप्ताह जारी करने की तैयारी है। इसमें वकीलों का कार्यबहिष्कार भर्ती की राह आसान कर रहा है। वजह, हाईकोर्ट ने कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अदर्स जूनियर हाईस्कूल की याचिका पर सिर्फ एक मार्च तक के लिए स्थगनादेश जारी कर किया था। शिक्षा अधिकरण मुद्दे पर वकील एक मार्च को भी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। इसलिए सुनवाई संभव नहीं है और स्टे की मियाद पूरी हो जाएगी। ऐसे में परीक्षा संस्था दो मार्च को विज्ञापन घोषित कर सकती है।

ज्ञात हो कि एडेड जूनियर हाईस्कूल भर्ती में प्रधानाध्यापक के 390 व सहायक अध्यापक के 1504 सहित कुल 1994 पदों के लिए विज्ञापन अधर में है। इसके पहले शासनादेश में खामी की वजह से तय समय पर विज्ञापन जारी नहीं हो सका था। अब भर्ती का इंतजार करने वालों की मुराद पूरी हो सकती है। सरकार ने नियमावली में संशोधन करने के एक साल बाद रिक्त पद पर भर्ती कराने का आदेश दिया था, इम्तिहान कराने का जिम्मा परीक्षा नियामक करना था। इसके पहले ही हाईकोर्ट ने भर्ती पर स्थगनादेश जारी हो गया था।



कल से खुलेंगे प्राइमरी स्कूल मनाया जाएगा उत्सव, स्कूलों में 11 महीने बाद शुरू होगी पढ़ाई, गुब्बारों, झंडियों व रंगोली से सजाए जाएंगे स्कूल




राज्य ब्यूरो, लखनऊ : कोरोना महामारी के कारण करीब 11 महीने से बंद चल रहे सरकारी व निजी प्राइमरी स्कूलों में सोमवार से फिर कक्षाएं गुलजार होंगी। लंबे समय बाद स्कूल आ रहे विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाने के लिए उत्सव मनाया जाएगा। स्कूलों को गुब्बारों और झंडियों और रंगोली से सजाया जाएगा। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) विजय किरण आनंद की ओर से सभी स्कूलों के शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कराते हुए नियमित कक्षाएं संचालित करें।

सरकारी व निजी प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक की कक्षाएं सोमवार से फिर शुरू होंगी। ऐसे में क्षेत्र में अभिभावकों से संपर्क कर शिक्षक विद्यार्थियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। प्रेरणा ज्ञानोत्सव अभियान के तहत एक किताब तैयार कर स्कूलों में भेजी गई है, इसमें उपचारात्मक शिक्षण के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। विद्यार्थियों के ज्ञान के स्तर को इसकी मदद से बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा विद्यार्थियों के छोटे छोटे समूह बनाकर कोविड-19 महामारी के अनुभवों को कहानी के रूप में कराया जाएगा प्रस्तुत। मिड डे मील में बच्चों की पसंद का नाश्ता व भोजन परोसा जाएगा। विद्यालय में रचनात्मक क्रियाकलाप पर जोर दिया जाएगा। मिट्टी के बर्तन, पेंटिंग व क्राफ्ट बनवाया जाएगा।

स्कूलों में नए बच्चों का प्रवेश फार्म 1500 रुपये और प्रवेश शुल्क 60 से 70 हजार, कोरोना संकट के बीच नए शैक्षिक सत्र में स्कूलों ने तय कर दी नई फीस


प्रयागराज। सीबीएसई, आईसीएसई से जुड़े स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू होने वाला है। शहर के निजी स्कूलों ने कोरोना संकट के बीच भी प्रवेश फार्म के साथ बढ़ा हुआ प्रवेश शुल्क तय कर दिया है। शैक्षिक सत्र 2020-21 में जो स्कूल फीस नहीं बढ़ा पाए थे, उन्होंने चुपके से प्रवेश के लिए नई स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी फीस तय कर दी है। स्कूलों की ओर से नई फीस तय किए जाने के बाद बच्चों के प्रवेश को लेकर लाइन में लगे अभिभावक तनाव में आ गए हैं।

आर्थिक संकट से जूझ रहे अभिभावकों पर बड़ी चोट : अभिभावकों का कहना है कि शहर के नामी सीबीएसई स्कूलों में प्रवेश फार्म 1500 रुपये एवं प्रवेश शुल्क लगभग 60 से 70 हजार पहुंच गई है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों को प्रवेश शुल्क के साथ दूसरे खर्चे माफ कर देने चाहिए। 

अभिभावकों ने शिक्षाधिकारियों से की शिकायत : शहर में सीबीएसई से जुड़े 70 से 75 प्रमुख स्कूल हैं इन स्कूलों में यूकेजी से लेकर 12 वीं तक की पढ़ाई होती है, इसी प्रकार एक दर्जन आईसीएसई से जुड़े स्कूल हैं। बड़े स्कूलों को कौन कहे, मोहल्ले के सामान्य विद्यालयों में भी 15 से 20 हजार प्रवेश शुल्क और 500 से 1000 प्रवेश फार्म के वसूले जा रहे हैं।

कोरोना संकट के समय स्कूलों ने वसूला बिल्डिंग, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी शुल्क

स्कूलों ने नए शैक्षिक सत्र में भी अभिभावकों से वार्षिक फीस के साथ, ट्यूशन, परीक्षा, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी, लैब आदि की फीस वसूलने की तैयारी कर ली है। यूकेजी से लेकर पांचवीं तक पढ़ने वाले बच्चे के अभिभावकों को फीस के रूप में दो लाख तक खर्च करने होंगे।


टीजीटी-पीजीटी सहायक शिक्षक भर्ती में कंप्यूटर शिक्षक के पद जोड़ने को संबंधित अधिकारी से संपर्क करें याची, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दिया आदेश

 

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी सहायक शिक्षक भर्ती में कंप्यूटर शिक्षकों का पद जोड़ने के आग्रह के मामले में याचियों को संबंधित प्राधिकारी के समक्ष मांग रखने की छूट दे दी है। साथ ही कोर्ट ने कोर्ट ने इसे वापस लिए जाने के आधार पर जनहित याचिका खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति जनहित याचिका पर दिया। मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश नरेंद्र कुमार मिश्रा व एक अन्य व्यक्ति की याचिका में टीजीटी-पीजीटी सहायक शिक्षक भर्ती में कंप्यूटर शिक्षकों के पद भी शामिल करने के निर्देश राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को देने की गुजारिश की गई थी। याचियों का कहना था कि स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा भी दी जाती है। वहां इसके लिए अलग से शिक्षक भी होने चाहिए इस मामले की सुनवाई के दौरान याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट से याचिका वापस लेने और संबंधित अफसर के अपनी मांग रखने की छूट दिए जाने का आग्रह किया अदालत ने इसकी छूट देते हुए वापस लिए जाने के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया।



फतेहपुर : विद्यालयों में शिक्षण कार्य पुनः आरम्भ किए जाने के अवसर पर विद्यालय स्तर पर उत्सव आयोजित करने के सम्बन्ध में

फतेहपुर : विद्यालयों में शिक्षण कार्य पुनः आरम्भ किए जाने के अवसर पर विद्यालय स्तर पर उत्सव आयोजित करने के सम्बन्ध में।

फतेहपुर : बच्चों के स्वागत में सजाए जाएंगे विद्यालय, कुछ इस तरह से चलेंगी कक्षाएं

फतेहपुर : जूनियर स्तर की कक्षाओं के संचालन के बाद अब प्राथमिक स्तर की कक्षाओं का कल यानि सोमवार से संचालन किया जाएगा। जिसमें कक्षा एक से पांच तक के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी। नौनिहाल अपने- अपने स्कूलों में जाएंगे । पहले दिन बच्चों के स्वागत के लिए परिषदीय विद्यालयों को गुब्बारों से सजाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जनपद में 1381 प्राथमिक स्कूल हैं, जिसमें करीब सवा लाख नौनिहाल पंजीकृत हैं।


शासन ने सूबे के सभी प्राथमिक स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई शुरू करने के लिए एक मार्च का आदेश जारी किया है। सभी प्राथमिक स्तर के स्कूलों में छात्र-छात्राएं पढ़ाए जाएंगे कक्षाएं शुरू करने से पहले कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करने को कहा गया है । साफ - सफाई के निर्देश दिए गए हैं।

सेनेटाइजर व मास्क रखने होंगे। स्कूलों में बच्चों की हाजिरी व सहमति पत्र को लेकर अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है। शिक्षक- शिक्षिकाएं भी गांव-गांव जाकर अभिभावकों को जागरुक करते हुए बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए सहमति पत्र भरा रहे हैं।

आंकड़ों पर एक नजर...

1381-  कुल प्राथमिक विद्यालय
 
125094 -  पंजीकृत कुल छा-छात्राएं

कुछ इस तरह से चलेंगी कक्षाएं

कक्षा- 1 और 5  -सोमवार, गुरुवार।

कक्षा- 2 और 4  -मंगलवार, शुक्रवार।

कक्षा 3  -बुधवार, शनिवार।

तैयारी...

रोली टीका के साथ पहले दिन बच्चों का होगा स्वागत

दोआबा के 1381 प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई की तैयारी शुरू

छोटे बच्चों को मास्क लगाने की चुनौती

कक्षा एक, दो व तीन में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र छह से नौ साल के बीच होती है। ऐसे में मास्क लगाकर पढ़ाई कराना बड़ा चुनौती होगी। अब लोगों के पास मास्क भी नहीं हैं। इसको लेकर अभिभावक थोड़ा सा चिंतित नजर आ रहे हैं। हालांकि अलग अलग दिनों में कक्षाएं लगने से बच्चे कम ही विद्यालय में उपस्थित रहेंगे।

कोरोना संक्रमण को लेकर बच्चों को दूर -दूर बिठाया जाएगा। साफ - सफाई के निर्देश दे दिए गए हैं। शासनादेश के तहत पहली मार्च से प्राथमिक स्कूलों में कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। पहले दिन बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए विद्यालयों को सजाया जा रहा है। साथ ही बच्चों का रोली टीका लगाया जाएगा।

-शिवेन्द्र प्रताप सिंह, बीएसए



फतेहपुर : प्राइमरी की कक्षाओं से आज गुलजार हो जाएंगे विद्यालय, दिनवार छात्रों के स्कूल आने की बनाई गई व्यवस्था


प्राइमरी कक्षाओं का दिनवार संचालन

दिन एवं कक्षाएं

सोमवार, गुरुवार --- 1 व 5
मंगलवार, शुक्रवार ---- 2 व 4
बुधवार और शनिवार---- 3


जूनियर कक्षाओं का दिनवार संचालन

दिन एवं कक्षाएं

सोमवार, गुरुवार ----- 6
मंगलवार, शुक्रवार----- 7
बुधवार और शनिवार ----- 8

फतेहपुर : कोरोना संक्रमण के चलते बंद हुए परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों का 10 फरवरी को शुरू कराया जा चुका है, जबकि सोमवार से प्राइमरी कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। 11 माह बाद पहुंच रहे प्राइमरी के छात्रों की हौसला अफजाई के लिए गुरुजनों को अपने स्तर से कार्यक्रम करने के निर्देश दिए गए हैं।

जिले में संचालित 1903 प्राथमिक और 747 उच्च प्राथमिक विद्यालय सोमवार को गुलजार हो जाएंगे। इसके लिए विभाग ने कमर कस ली है। लंबे समय से सीधी कक्षाओं से दूर रहे बच्चो को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निर्देश दिए गए है। बच्चों में तनाव न आए और उनमें विद्यालय के प्रति जुड़ाव पैदा करने के लिए खेल, अंत्याक्षरी, कहानी जैसे आयोजन दिए जाने पर जोर दिया गया है। 

एमडीएम परोसने का निर्देश : बीएसए ने 10 फरवरी के बाद पहली मार्च से खुल रहे स्कूलों में एमडीएम योजना को संचालित करने के लिए खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया है। उन्होंने कहाकि सभी प्रधानाध्यापकों को पर्याप्त खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट तथा रसोइयों को मानदेय भेजा जा चुका है। निर्धारित मेन्यू के अनुसार बच्चों को पका पकाया और पौष्टिकता से भरा भोजन दिया जाए।

लंबी अवधि के बाद बच्चे स्कूल पहुंचेंगे। ऐसे में बच्चों का फूल देकर स्वागत, रोली चंदन आदि कार्यक्रम खुद अपने स्तर से शिक्षक शिक्षिकाएं करेंगे। ऑनलाइन पठन पाठन को आधार बनाकर पढ़ाई करवाई जाए। एमडीएम, जूता, मोजा, बैग आदि पर जोर दिया जाए। 

शिवेंद्र प्रताप सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी

UP Board Scholarship : 10वीं क्लास से ऊपर की कक्षाओं के एससी छात्र-छात्राओं को दो किस्तों में मिलेगी छात्रवृत्ति

UP Board Scholarship : 10वीं क्लास से ऊपर की कक्षाओं के एससी छात्र-छात्राओं को दो किस्तों में मिलेगी छात्रवृत्ति

प्रदेश में कक्षा दस से ऊपर की कक्षाओं और अन्य व्यासायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को अब छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि दो किस्तों में मिलेगी। 

यह नयी व्यवस्था अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई वितरण पर आने वाले व्यय भार का केन्द्र और राज्य सरकार के बीच 40 और 60 प्रतिशत के अनुपात में हुए बंटवारे की वजह से लागू की जा रही है। इस छात्रवृत्ति योजना पर आने वाले कुल व्ययभार का 40 प्रतशित राज्यांश प्रदेश सरकार देगी और 60 प्रतिशत केन्द्रांश केन्द्र सरकार। समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक सिद्धार्थ मिश्र ने यह जानकारी दी है। 


उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के कक्षा दस से ऊपर की कक्षाओं और एमबीए, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, मेडिकल आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे ऐसे गरीब व जरूरतमंद छात्र-छात्राएं जिन्होंने छात्रवृत्ति और फीस भरपाई के लिए आवेदन किया हुआ है,जिला स्तरीय कमेटी से उनके आवेदन के सभी ब्यौरे का सत्यापन के बाद प्रत्येक छात्र-छात्रा की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की जो कुल राशि होगी उसका 40 प्रतिशत हिस्सा प्रदेश के समाज कल्याण विभाग की ओर से उनके बैंक खातों में भेज दिया जाएगा। 

इसके बाद इस सारे ब्योरे को एनआईसी एपीआई के जरिये आनलाइन केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। केन्द्र सरकार इस ब्योरे के आधार पर जो राशि हस्तांतरित करेगी उसे फिर इन छात्र-छात्राओं के खातों में भेजा जाएगा। यह व्यवस्था सिर्फ इस साल लागू रहेगी, अगले साल से केन्द्र सरकार द्वारा खुद इन छात्र-छात्राओं के बैंक खातों में अपने 60 प्रतिशत केन्द्रांश की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि भेज दी जाया करेगी। चालू शैक्षिक सत्र में ऐसे कुल 9 लाख 82 हजार 56 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है जिनमें से अब तक 3.5 लाख छात्र-छात्राओं के ब्यौरे का जिला कमेटी से सत्यापन हो चुका है।

फतेहपुर : आरटीई के तहत प्रवेश के लिए दो मार्च से करें ऑनलाइन आवेदन

फतेहपुर : आरटीई के तहत प्रवेश के लिए दो मार्च से करें ऑनलाइन आवेदन

फतेहपुर : निशुल्क शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदन की प्रक्रिया 2 मार्च से शुरू होगी। पहला चरण में 25 मार्च तक आनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। उसके बाद दो चरण और होंगे जिसमें दाखिले की प्रक्रिया होगी। अभिभावक आरटीई पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किन्हीं कारणों से जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते उनसे ऑफलाइन आवेदन लिए जाएंगे। जिनको फीड करने का जिम्मा खंड शिक्षाधिकारियों को दिया गया है।


सत्र 2021-22 में दाखिले के लिए प्रथम चरण में आवेदन प्रक्रिया 2 से 25 मार्च तक होगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा आवेदनों का सत्यापन 26 से 28 मार्च तक किया जाएगा। लॉटरी 30 मार्च को निकाली जाएगी और 5 मार्च तक चयनित बच्चों को निजी विद्यालयों में दाखिला कराया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया एक से 23 अप्रैल तक होगी। 24 से 26 अप्रैल तक आवेदनों का सत्यापन, 28 अप्रैल को लॉटरी और 5 मई तक चयनित बच्चों को दाखिला दिलाना होगा। तीसरे और अंतिम चरण में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया 29 अप्रैल से 10 जून तक होगी। 11 से 13 जून तक आवेदनों का सत्यापन, 15 जून को लॉटरी और 30 जून तक बच्चों को दाखिला दिलाना होगा। ऑफलाइन आवेदन करने की अंतिम दिन तिथि ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि के पांच दिन पहले की मानी जाएगी।

Saturday, February 27, 2021

सामान्य और एससी के ढाई लाख से ज्यादा छात्रों की शुल्क भरपाई फंसी, समय पर आवेदन के बावजूद शिक्षण संस्थानों के स्तर से डाटा नहीं हुआ अग्रसारित

सामान्य और एससी के ढाई लाख से ज्यादा छात्रों की शुल्क भरपाई फंसी, समय पर आवेदन के बावजूद शिक्षण संस्थानों के स्तर से डाटा नहीं हुआ अग्रसारित

लखनऊ :  प्रदेश में सामान्य और अनुसूचित जाति के ढाई लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति और शुल्क की भरपाई फंस गई है। शिक्षण संस्थानों के स्तर से इन छात्रों का डाटा अग्रसारित न किए जाने से यह स्थिति पैदा हुई है। इन वर्गों के आवेदन करने वाले 18.97 लाख छात्रों में से 16.31 छात्रों का ही डाटा अग्रसारित हुआ है।

इस बार शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों का डाटा अग्रसारित करने के लिए 17 जनवरी तक का समय दिया गया था। बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थानों ने अंतिम तिथि करीब आने पर ही विद्यार्थियों के डाटा को फॉरवर्ड करने का काम शुरू किया इससे छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर एकाएक लोड बढ़ जाने के कारण सभी छात्रों का डाटा अग्रसारित नहीं हो सका।


उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सामान्य वर्ग के 7.58 लाख और अनुसूचित जाति के 11.39 लाख छात्रों ने आवेदन किया था इनमें से सामान्य वर्ग के 6.49 लाख व अनुसूचित जाति के 9.82 लाख छात्रों का ही डाटा अग्रसारित हुआ है। इस तरह से 2.66 लाख छात्रों का डाटा अभी भी शिक्षण संस्थानों के स्तर पर ही पेंडिंग है।

अगर शासन ने छात्रों को राहत देने के लिए शिक्षण संस्थानों को डाटा फॉरवर्ड करने का एक और अवसर नहीं दिया, तो ये छात्र योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे। समाज कल्याण विभाग के अफसरों को कहना है कि शीघ्र ही पूरी स्थिति से शासन को अवगत कराया जाएगा। राहत के बाबत कोई निर्णय शासन ही ले सकता है।


जांच के फेर में सिर्फ 92 हजार एससी छात्रों को ही हो सकी शुल्क की भरपाई

27 फरवरी तक 22 हजार निजी संस्थानों में से महज 1,428 की आई रिपोर्ट

4.15 लाख विद्यार्थियों का डाटा हो चुका है सत्यापित, 11.39 लाख ने किया है आवेदन

लखनऊ। निजी शिक्षण संस्थानों की जांच 24 फरवरी तक पूरी न हो पाने के कारण अनुसूचित जाति के महज 92 हजार छात्रों को ही शुल्क की भरपाई हो सकी। जबकि इस वर्ग का सत्यापित डाटा ही 4.15 लाख है। कुल 11.39 लाख छात्रों ने आवेदन किया है। तयशुदा तारीख तक जिलों से निजी संस्थानों की जांच रिपोर्ट न आने पर सिर्फ सरकारी और एडेड संस्थानों के विद्यार्थियों को ही भुगतान हो सका। यह स्थिति तब है, जब 60 फीसदी केंद्रांश के लिए 28 फरवरी तक राज्यांश पाने वाले छात्रों का ब्योरा केंद्र सरकार को भेजना है।

गौरतलब है कि शासन ने निजी संस्थानों के मानकों आदि की जांच के बाद ही छात्रवृत्ति व शुल्क भरपाई करने के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण विभाग के मुताबिक 94 % छात्र निजी संस्थानों में पढ़ रहे हैं ।

निजी शिक्षण संस्थानों की जांच के लिए हर जिले में सीडीओ की अध्यक्षता में एक समिति गठित है । इसके अलावा बीटीसी संस्थानों की मान्यता की जांच के लिए बेसिक शिक्षा विभाग और बीएड व अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों की मान्यता संबंधी जांच के लिए उच्च शिक्षा विभाग की एक समिति भी बनाई गई है। इन तीनों कमेटियों की रिपोर्ट में सही पाए जाने पर भी निजी संस्थानों को योजना का लाभ दिया जाएगा । 

यह रिपोर्ट देने के लिए 24 फरवरी तक का समय दिया गया था। इसके बावजूद समाज कल्याण निदेशालय को 27 फरवरी तक 22 हजार निजी संस्थानों में से महज 1428 संस्थानों की रिपोर्ट मिली है।

यह भी सीडीओ की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट है। शेष दोनों समितियों की एक भी संस्थान की जांच रिपोर्ट निदेशालय को नहीं मिली है। इसलिए सरकारी और एडेड संस्थानों के ही छात्रों को शुल्क का भुगतान हो सका।

राज्यांश का भुगतान की रिपोर्ट पर मिलेगा केंद्रांश

वर्तमान शैक्षिक वर्ष से लागू व्यवस्था में केंद्रांश तभी मिलेगा, जब राज्यांश का भुगतान होने की रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी। केंद्र ने इस संबंध में 28 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी थी। अगर संबंधित केंद्रीय मंत्रालय ने तिथि आगे नहीं बढ़ाई तो बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र के स्तर से तिथि बढ़ाने के लिए उच्च स्तर पर वार्ता चल रही है।

छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत पात्र विद्यार्थियों को भुगतान के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इस बाबत समाज कल्याण विभाग से बात कर रहे हैं। आरके तिवारी, मुख्य सचिव,

जालौन : किताब वितरण में धांधली उजागर करने वाले शिक्षकों को मिल रहीं धमकियां, बीएसए ने किया निरीक्षण, दबाव में लेने की तैयारी

 
कालपी : किताब वितरण की झूठी रिपोर्ट शासन को भेजने के मामले में जांच शुरू होने पर शिकायत करने वाले शिक्षकों को अब धमकियां मिल रही हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान, महामंत्री इलियास मंसूरी, बृजेश श्रीवास्तव आदि का आरोप है कि निःशुल्क बंटने वाली किताबों के मामले की शिकायत के बाद अब उन्हें कार्रवाई करने की धमकियां मिल रही हैं, ताकि वह दबाव में आ जाएं। जिलाध्यक्ष ने कहा कि जल्द ही मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की जाएगी।

शिक्षक संघ ने मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा महानिदेशक निदेशक सचिव व कमिश्नर को भेजी है। पदाधिकारियों ने कहा कि बदले की भावना से उनपर अधिकारी कार्रवाई की रणनीति बना रहे हैं। जिससे उन्हें दबाव में लिया जा सके।

खल्ला में बीएसए ने किया निरीक्षण : महेबा ब्लाक के उच्च प्राथमिक कम्पोजिट विद्यालय का निरीक्षण करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद्र यादव पहुंचे। जहां पर निर्माणाधीन हैंडवाश यूनिट देखी और शिक्षकों की उपस्थिति देखी । संघ के महामंत्री इल्यास मंसूरी भी इसी विद्यालय में तैनात हैं। उन्होंने किताबें नहीं मिलने की बात कही तो बीएसए गाड़ी में बैठकर जाने लगे। प्रधानाध्यापक गुरुमुख सिंह ने कहा कि सितंबर, जनवरी व फरवरी में किताबों के लिए मांग पत्र दे चुके हैं।

किताबें बंटवाने की तैयारी में विभाग

उसरगांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के एकल कक्ष में बंद 505 किताबों का राजफाश होने के बाद विभाग उन्हें बंटवाने की तैयारी में है। दो दिन तक कक्ष की चाबी नहीं देने वाले संकुल शिक्षक ने अवकाश ले लिया है। वहीं प्रधानाध्यापिका मीरा ने जांच अधिकारियों को प्रार्थना पत्र में बताया कि एकल कक्ष की चाबी कई सालों से संकुल शिक्षक के पास रहती है। मेरा कोई उससे वास्ता नहीं है। 20 फरवरी को उसमें किताबें के भंडारण की बात आई तो सोमवार को चाबी मंगाई गई। उन्होंने चाबी को घर में होना बताया। दो दिन तक चाबी नहीं देना यह जांच का विषय है।



पारस्परिक स्थानांतरण के 10 दिन बाद भी नहीं हो सका विद्यालयों का आवंटन, शिक्षकों को सता रहा पंचायत चुनाव का डर

पारस्परिक स्थानांतरण के 10 दिन बाद भी नहीं हो सका विद्यालयों का आवंटन, शिक्षकों को सता रहा पंचायत चुनाव का डर


प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 17 फरवरी को पारस्परिक स्थानांतरण (म्यूचुअल ट्रांसफर ) का आदेश जारी होने के बाद भी अभी तक विद्यालय आबंटन नहीं हो सका है। 


स्थानांतरण का लाभ पाए शिक्षक इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो गईं तो उनका पदस्थापन फंस सकता है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल का कहना है कि शासन की ओर से शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का आदेश हो गया है, अब जल्द ही विद्यालय आवंटन भी कर दिया जाएगा।

बी.एड- 2021 के छात्र-छात्राओं को मिलेगा छात्रवृत्ति और फीस भरपाई का लाभ

बी.एड- 2021 के छात्र-छात्राओं को मिलेगा छात्रवृत्ति और फीस भरपाई का लाभ

प्रदेश में बी.एड. के अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग, अल्पसंख्यक तथा पिछड़ा वर्ग के गरीब व जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई का लाभ दिये जाने के आदेश जारी हो गये हैं। बीएड और बीटीसी के छात्र-छात्राओं को पूर्व में दी गई छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि के मामलों की जांच के चलते बीएड की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की राशि के वितरण पर रोक लगी हुई थी जबकि बीटीसी का सत्र कोरोना संकट की वजह से इस बार शून्य घोषित कर दिया गया है। गुरुवार को इस बार में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बी.एल.मीणा की ओर से एक आदेश जारी किया गया।


इस आदेश में कहा गया है कि वित्त विभाग के 5 नवम्बर 2020 के शासनादेश के जरिये बीएड / बीटीसी की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई भुगतान के सम्बंध में लगी रोक हटाए जाने के सम्बंध में निर्णय लिया गया है। इस शासनादेश में आगे कहा गया है कि एसोसिएशन आफ माइनारिटीज इंस्टीट्यूटशन प्रयागराज बनाम उ.प्र.राज्य व अन्य के मामले में हाईकोर्ट के 15 दिसम्बर 2020 को पारित आदेश के अनुपालन के क्रम में बीएड और बीटीसी व अन्य सभी पाठ्यक्रमों की छात्रवृत्ति और फीस भरपाई के मामलों की जांच जारी रहेगी।

इस जांच के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा जिलों के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति, बीटीसी शिक्षण संस्थानों की मान्यता संबंधी जांच के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित समिति जांच करती रहेगी। इसी तरह बीएड व अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों की मान्यता से संबंधित प्रकरणों की जांच के लिए उच्च शिक्षा की जांच कमेटी द्वारा वर्तमान और आगामी वर्षों में की जाने वाली जांच जारी रहेगी।

मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा यह जांच आठ बिन्दुओं पर की जाएगी। बताते चलें कि पिछले शैक्षिक सत्र 2019-20 में समाज कल्याण विभाग द्वारा बीएड के 1 लाख 123 और सामान्य वर्ग के गरीब 15 हजार 875 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई का लाभ दिया गया था जबकि पिछड़ा वर्ग के करीब 80 हजार बीएड छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए थे।

Friday, February 26, 2021

झाँसी : मिशन शक्ति को धार देगा जन-जागरूकता अभियान 27 फरवरी से 8 मार्च तक विद्यालयों में आयोजित किए जाएंगे विविध कार्यक्रम

 

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर चौपाल एवं शपथ ग्रहण समारोह हेतु विद्यालयों के खाते में भेजी जाएगी धनराशि

झाँसी : मिशन शक्ति के अन्तर्गत बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान, स्वावलम्बन हेतु चलाए जा रहे अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयों एवं कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में 27 फरवरी से 8 मार्च तक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। अभियान को धार देने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विद्यालयों में चौपाल एवं शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए विद्यालयों में 1 हजार रुपये की धनराशि भेजी जा रही है। इस सम्बन्ध में महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) विजय किरन आनन्द ने प्रदेश के समस्त जनपदों के बीएसए को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। महानिदेशक द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, सुगमकर्ता, शिक्षामित्र तथा पावर एंजिल गाँवों में भ्रमण कर अभिभावकों से सम्वाद स्थापित करेंगे। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिक्षक संकुल, एआरपी, डायट मेण्टर, एसआरजी, जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा), खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अलग अलग स्थानों पर अनिवार्य रूप से प्रतिभाग करने के निर्देश दिए गए हैं।

10 दिवसीय कार्यक्रम में 2 रविवार

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले 10 दिवसीय कार्यक्रमों की सूची तैयार करते समय रविवार के अवकाश का ध्यान नहीं रखा गया। 27 फरवरी से आरम्भ होने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में पहला रविवार 28 फरवरी को रहेगा। इस दिन विद्यालयों में अवकाश होने के कारण निर्धारित कार्यक्रम का आयोजन खटाई में पड़ सकता है। इसी प्रकार 7 मार्च को भी रविवार है और उस दिन कार्यक्रम आयोजित करना मुश्किल होगा।


ये होंगे कार्यक्रम:-

27 फरवरी : लिंगभेद, बाल विवाह, सामाजिक कुप्रथाओं पर बच्चों की पोस्टर प्रतियोगिता। 28 फरवरी : महिलाओं के लिए कानूनी अधिकारियों पर चर्चा एवं क्विज प्रतियोगिता।

1 मार्च : महिला एवं बाल अधिकारों पर आधारित नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति।

2 मार्च : माताओं एवं एसएमसी की महिला सदस्यों की बैठक कर सुरक्षा-संरक्षा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा सहित हेल्पलाइन नम्बरों के प्रयोग की जानकारी दी जाएगी।

3 मार्च : महिलाओं से सम्बन्धित मुद्दों पर स्लोगन निर्माण एवं क्विज प्रतियोगिता का आयोजन।

4 मार्च : बच्चे गाँव में स्लोगन की तख्तियाँ लेकर रैली निकालंगे।

5 मार्च : महिला एवं बाल अधिकारियों पर आधारित बाल अखबार का निर्माण।

6 मार्च : स्थानीय स्तर पर विशिष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को आमन्त्रित कर उनके अनुभव बच्चों के साथ साझा किए जाएंगे। 

7 मार्च : बच्चों द्वारा निर्मित किए गए पोस्टर, बाल अखबार, स्लोगन आदि सामग्री की प्रदर्शनी का आयोजन।

8 मार्च : अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विद्यालयों में चौपाल एवं शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। पावर एंजिल, मिशन शक्ति के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं एवं एसएमसी महिला सदस्यों एवं माँ समूह की महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा।



जालौन : खुला अव्यवस्थाओं का पिटारा, खोजी गईं पुस्तकें, नि:शुल्क पुस्तकों के वितरण में अफसरों की बाजीगरी का राजफाश

 

कालपी : नि:शुल्क पुस्तकों के वितरण में अफसरों की बाजीगरी का राजफाश होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। दैनिक जागरण की प्रकाशित खबर को जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
दो दिन की जद्दोजहद के बाद आखिरकार जांच टीम ने विद्यालय पहुंचकर एकल कक्ष का ताला खुलवाया। जिसमें पांच सौ किताबें बोरियों में मिली, लेकिन विडंबना है कि किताबें बिना बांटे ही अधिकारियों ने विद्यालय के सभी छात्रों को किताबें बंट जाने की रिपोर्ट शासन को भेज दी। जांच टीम ने आख्या दे दी है, अब कार्रवाई का इंतजार है।
कदौरा ब्लाक की बबीना बीआरसी के समीप ही कूड़े में परिषदीय विद्यालय की किताबें पाई गई थीं, जिसके बाद बीईओ ने कर्मियों के साथ बीआरसी बबीना में डंप किताबें शनिवार को उसरगांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के एकल कक्ष में बोरियों में बंद कर ताला लगवा दिया था। सोमवार को जानकारी जब राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारियों को हुई तो वे उसरगांव पहुंचे और ताला खुलवाकर किताबें देखने की बात कही। बीईओ व बीएसए से कहने पर भी दो दिन तक ताला नहीं खुला, तब जाकर संघ के पदाधिकारियों ने डीएम को पूरा मामला बताया।

डीएम के संज्ञान में आने पर खुला ताला

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने जब मामले में संज्ञान लिया तो बुधवार को बीएसए ने दो सदस्यीय टीम गठित की और जांच के लिए उसरगांव विद्यालय भेज। सदस्य जिला समन्वयक प्रशिक्षण विश्वनाथ दुबे व बीईओ कमलेश गुप्ता ने प्रधानाध्यापिका मीरा से एकल कक्ष खुलवाया। जिसमें बोरियों में बंद किताबें सामने आ गई। जिला समन्वयक प्रशिक्षण विश्वनाथ दुबे ने बताया कि एकल कक्ष में बोरियो में बंद किताबों की पूरी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई है। जांच के दौरान 505 किताबें ऐसी मिली हैं, जो छात्रों को बांटी जानी चाहिए।

इन किताबों का नहीं हुआ वितरण :

कलरव, कलरव मैथ, वर्क बुक, गिनतारा, कलख संस्कृत, पीयूषम पृथ्वी हमारा जीवन महान व्यक्तित्व, रेनबो गणित, विज्ञान आदि विषयों की 505 किताबे दो बोरियों में भरी मिलीं जिनकी पूरी विषय बार सूची बनाई गई। उन्होने बताया कि यह किताबें यहां क्यों रखी गई हैं और क्यों वितरित नहीं की गई, इसके लिए बीईओ पर कार्रवाई होगी। कुछ बोरियों में समृद्ध माड्यूल व अन्य सामग्री भी मिली है। मामले की जांच के बाद आख्या जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी कालपी व बीएसए को दे दी गई है। जांच में साफ है कि शिक्षक कई बार किताबें भेजने को कहते रहे पर किताबें नहीं भेजी गई।




Thursday, February 25, 2021

जालौन : अफसरों की 'बाजीगरी' में उलझा बचपन, बोरों में बन्द मिली पुस्तकें, शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया शत प्रतिशत आवंटन

जालौन : अफसरों की बाजीगरी में उलझा 'बचपन', बोरों में बन्द मिली पुस्तकें, शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया शत प्रतिशत आवंटन।

कैद में पुस्तकें, अफसरों की 'बाजीगरी ' में उलझा 'बचपन'

शासन को भेजी रिपोर्ट में बताया शत प्रतिशत बंट गई किताबें, कदौरा व महेबा के कई स्कूलों में पहुंची नहीं, बोरों में मिली बंद

यह चार मामले बताने के लिए काफी हैं कि कालपी में प्राथमिक शिक्षा का क्या हाल है। पिछले दिनों अफसरों ने शासन को भेजी रिपोर्ट में बाजीगरी दिखा दी। सरकारी आंकड़ों में शत प्रतिशत बच्चों को निश्शुल्क मिलने वाली किताबें बंट चुकी है। इसका राजफाश तब हुआ, जब शिक्षक संगठनों ने अधिकारियों की करतूत को सार्वजनिक तौर पर उजागर किया। मंगलबारको कदौरान व महेबा बनाक में चारी से रखी किताबों पुस्तकों को जलाने व फिकवाने की नाकाम कोशिश की गई। मामला तूल पकड़ने पर अफसर एक दूसरे की बगले झांक रहे हैं।

रात भर पदाधिकारियों ने की रखवाली : मंगलवार को भी राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारियों ने अधिकारियों को सूचना दी लेकिन किसी ने भी ताला खुलवाना उचित नहीं समझा। संघ के शिक्षकों ने आरोप लगाया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजी रिपोर्ट में शत प्रतिशत बच्चों को किताबें वितरित करना बताया है जबकि धरातल पर हकीकत अलग है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान के साद कई शिक्षक सोमवार की पूरी रात पूर्व माध्यमिक विद्यालय उसरगांव परिसर के बाहर एकल कक्षा में बंद किताबों की रखवाली करते रहे। मौके से अधिकारियों को फोन भी अवगत भी कराया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय महामंत्री अशोक वाजपेई मौके पर पहुंचे और दोपहर तक ताला खुलवाने के लिए प्रयासरत रहे। बीईओ अजीत यादव वडीसी प्रशिक्षण विश्वनाथ दुबे पहुंचे। और बीईओ कदौरा को फोन से ताला खुलवाने के लिए बुलाया गया लेकिन वह मौके पर नहीं आए। विद्यालय के बढ़ता देख विद्यालय से निकल गए।

मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर गलत रिपोर्ट प्रेषित की गई है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

संकुल शिक्षक विवेक कुमार बवाल प्रेमंद, बीएसए



केस- 1

उच्च प्राथमिक विद्यालय खल्ला बलाक महेबा में कक्षा छह की गणित की एक भी किताब नहीं पहुची, जवकि 38 छात्र नामांकित हैं। यहां गृह विज्ञान, कृधि विज्ञान पर्यावरण खेल व स्वास्थ विषय की भी किता अभी तक नहीं पहुंची है। वहीं शिक्षक ने एका अक्टूबर को बीइभी को पत्र लिखकर किताबों की माग की थी।

केस- 2 

प्राथमिक विद्यालय सिकरी रहमानपुर नाक महेवा में कक्षा तीन व पाच में गिनतारा की एक भी किताब नहीं पहुंची । इसी तरह कक्षा चार व पाच में रेनवो किताव किसी भी छात्र को नहीं मिली। विद्यालय में कुल छात्र नामांकित है। शिक्षक के मुताबिक किताड़ं की माग उन्होंने काफी पहले कर रखी है।

केस- 3

प्राथमिक विद्यालय बम्हौरी ब्लाक कदौरा में कक्षा एक, दो और तीन के छात्रों को एक किताब मुहैया नहीं कराई गई है। वहीं कक्षा चार कलरव व गिनतारा की किताब और कक्षा पाच में भी गिनतारा की किताइनहीं पहुंचाई गई है 178 अब पंजीकृत हैं। अभिभावक शिक्षक से इस बारे में कई बार पूछ चुके हैं।

केस- 4

पूर्व माध्यमिक विद्यालय इकौना ब्लॉक कदौरा में कक्षा एक के छात्रों को एक भी किताब नहीं दी गई है। कक्षा दो में के सापेक्ष 15 को ही कलरव की किताबें मुहैया कराई गई है। कक्षा चार में कलरव, रेनबो व संस्कृत की एक भी किताब नहीं दी गई। कक्षा में 47 छात्र है। वही विद्यालय में कुल 211 छात्र पंजीकृत है।

ब्लॉक : महोबा

प्राथमिक विद्यालय : 89 उच्च प्राथमिक विद्यालय : 38
कपोजिट विद्यालय : 21

कुल छात्र (2020-21) :11162


उसगाव पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बोरियों में बंद रखी छात्रों को दी जाने वाली किताबें

ब्लाक : कदौरा

प्राथमिक विद्यालय : 106
उच्च प्राथमिक विद्यालय : 35 कंपोजिट क्यालय :28
कुल छात्र (2020-21) p003


ताला न खुलने पर गाड़ी के आगे बैठे शिक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर बीइओ और डीसी ट्रेनिंग उसरगांव के एकत कक्ष में जांच करने पहुंचे थे

कालपी : उसरगांव में दो दिनों से निश्शुल्क बंटने वाली किताबें एकल कक्ष में बोरियों में सखी गई हैं, लेकिन वे दिनों से ताला नहीं खोला गया। मंगलवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से जांच के लिए बीइओ अजीत यादव व डीसी ट्रेनिंग विश्वनाथ दुबे बंद ताला खुलवाए बिना ही जाने लगे। जैसे ही दोनों अधिकारी गाड़ी में बैठकर चले तो महासंघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान, इल्यास मंसूरी, बृजेश श्रीवास्तव आदि शिक्षक उनकी गाड़ी के सामने बैठ गए और कहा कि एकल कक्ष का ताला खुलवा कर किताब देख लें कि यह किताब कौन सी हैं या फिर हम लोगों के ऊपर से गाड़ी चढ़ाकर निकाल लें। हम लोग जान दे देंगें लेकिन आपको बिना ताला खोले नहीं जाने दो। जिसके बाद अधिकारी गाड़ी से उतर गए। इसी बीच ज्ञान भारती चौकी प्रभारी अमित प्रताप सिंह मौके पर पहुंचे तो उन्होंने पूरी बात सुनी और दोनों जांच अधिकारियों को मौके से निकलवाया। इस पर शिक्षक नाराज हो गए और जिलाधिकारी के समक्ष जाने की बात कहीं। फिलहाल देर शाम तक ताला नहीं खुल सका।

आजमगढ़ : जांच के लिए नहीं पहुंचे शिक्षक, दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने वालों की हो रही जांच

आजमगढ़ : जांच के लिए नहीं पहुंचे शिक्षक, दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने वालों की हो रही जांच


आजमगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग से शिक्षकों की हुई भर्ती में दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने
 वालों की जांच हो रही है। मेडिकल बोर्ड ने अनुपस्थित दिव्यांग शिक्षकों को सूची जारी कर दी है। इसमें जिले के 15 दिव्यांग शिक्षक हैं।


शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रविंद्र कुमार शर्मा व अन्य की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए तीन फरवरी, 2016 को आदेश दिया कि अभ्यर्थियों की जांच मेडिकल बोर्ड गठित कर कराई जाए। शासन ने इसके अनुपालन में 13 मई, 2016 को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। यह काम करीब पांच साल बाद पूरा हुआ। जनपद के 15 शिक्षक वर्ष 2016 से 2019 तक कभी भी मेडिकल बोर्ड के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। मेडिकल बोर्ड ने उक्त शिक्षकों की सूची जारी कर दी है। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जनपद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात दिव्यांग अभ्यर्थी का अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बता दें कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित शिक्षकों की जांच हो रही है।

मेडिकल बोर्ड के समक्ष आज तक यह शिक्षक नहीं हुए उपस्थित
आजमगढ़। परिषदीय विद्यालयों में तैनात दिव्यांग शिक्षक जो वर्ष 2016 से 2019 के बीच आज तक उपस्थित न होने वाले शिक्षकों की सूची मेडिकल बोर्ड ने जारी कर दी है। कुल 204 शिक्षकों की सूची में 15 नाम आजमगढ़ जनपद में तैनात हुए शिक्षकों की है। इसमें 14 शिक्षक विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण वर्ष 2007 के और एक वर्ष 2008 का है।


विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, विशेष चयन 2008 तथा सामान्य चयन 2008 में चयनित दिव्यांग शिक्षकों की जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड द्वारा गठित टीम के समक्ष जिले के कई शिक्षक अनुपस्थित चल रहे हैं उक्त शिक्षकों का वेतन रोका जाएगा। अंबरीष कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आजमगढ़।

बदायूं : बीएसए कार्यालय में हंगामें पर लिपिक व चार शिक्षकों समेत 180 लोगों पर केस दर्ज, एक महिला शिक्षक समेत चार शिक्षक निलंबित

बदायूं : ट्रांसफर को लेकर बीएसए और बाबू आमने सामने, आफिस में दिन भर चला ड्रामा


बदायूं। तबादले को लेकर बुधवार की बीएसए दफ्तर में हंगामा करने के मामले में बीएसए एक लिपिक, उसकी पत्नी और ने चार शिक्षकों को नामजद करते हुए करीब 180 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने चार शिक्षकों को निलंबित भी कर दिया है। एक और शिक्षक के निलंबन की कार्रवाई चल रही है।


बीएसए कार्यालय में कई दिन से कनिष्ठ लिपिक अमित भास्कर के तबादले से गहमागहमी का माहौल है। बीएसए रामपाल सिंह राजपूत द्वारा दर्ज कराई एफआईआर के मुताबिक बुधवार को वह कार्यालय में बैठे कार्य निपटा रहे थे। उसी दौरान अमित भास्कर की पत्नी सुमन सिंह लगभग सौ-सवा सौ पुरुष और 50-60 महिलाएं कार्यालय में घुस आए। उनको चारों ओर से घेर लिया और भीड़ के साथ मिलकर गालीगलौज, अभद्र व्यवहार कर जान से मारने की धमकी दी। 

आरोप है कि भीड़ ने घेराबंदी करते हुए 'मारो इसे मारो और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए हमला बोल दिया। ये देखकर कार्यालय के कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दे दी। रोडवेज चौकी पुलिस पहुंच गई लेकिन हालात नहीं संभले तो सिविल लाइन थाने से पुलिस बुलाई गई। तब उन्हें आरंपियों के चंगुल से बचाया। बीएसए का कहना है कि हंगामा करने वालो में उच्च प्राथमिक विद्यालय चंदवा ब्लॉक म्याऊं के शिक्षक हरीश कुमार दिनकर, संविलियन विद्यालय सखानू के शिक्षक भारत सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय शिकरपुर के मोहर सिंह और जगत के सहायक अध्यापक हरिनंदन भी सिंह, हरिनंदन और प्राथमिक विद्यालय फतेहनगला की शिक्षिका कंचन को निलंबित कर दिया है। भारत सिंह को निलंबित करने की तैयारी चल रही है।


कनिष्ठ सहायक अमित भास्कर द्वारा ये हमला कराने के लिए हाटसएप पर मेसेज वायरल किया गया था, इसकी पूरी साजिश रची गई थी। बुधवार को कनिष्ठ सहायक अमित भास्कर की पत्नी ने मारपीट, गालीगलौज और जान से मारने की धमकी भी दी थी। - रामपाल सिंह राजपूत, बीएसए



बदायूं। बीएसए ने बाबू का तबादला क्या किया कि रियाटरमेंट के आखिरी दिनों में गंभीर आरोपों के बीच घिर गये हैं। बीएसए और बाबू के आमने-सामने आने से विभाग की भी खूब फजीहत हो रही है। डीएम ने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिये हैं। बीएसए का मामला इतना तूल पकड़ गया है, डीएम ने स्वंय ही संज्ञान ले लिया है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामपाल सिंह राजपूत का 28 फरवरी के लिये रिटायरमेंट हैं। बीएसए ने 22 फरवरी के लिये मुख्यालय पर तैनात कनिष्ठ लिपिक का उझानी नगर क्षेत्र के लिये तबादला कर दिया और इनके स्थान पर आनन फानन में मृतक आश्रित में एक नियुक्ति कर दूसरे बाबू को तैनात कर दिया। बीएसए ने जल्दबाजी में जो निर्णय लिया है, उसके बीच घिर गये हैं। 


पहले बाबू और बीएसए आमने सामने आये फिर बाद में जब बाबू की पत्नी कार्यालय पहुंची तो बीएसए पर छेड़छाड़ समेत अन्य गंभीर आरोप लग गये। बाबू का कहना है कि बीएसए ने पूर्व में भी मेरे खिलाफ द्वेषभावना के तहत कार्रवाई की थी। इसके बाद कोर्ट की शरण ली थी, कोर्ट के आदेश पर फिर से मुख्यालय पर ज्वाइनिंग मिल गयी थी। बीते दिनों सहायक अध्यापकों शिक्षकों की भर्ती प्रकिया एवं स्वेटर वितरण कार्य संपन्न कराया।

अब एक साथ बीएसए ने आरोप लगाते हुये कार्रवाई कर दी। बीएसए का आरोप है कि बाबू अनैतिक एवं नियम विरूद्ध कार्य करने के आदि हैं। ऐसे में जनहित एवं विभाग के हित में बाबू का मुख्यालय से तबादला किया गया।


बीएसए कार्यालय में हंगामा

बाबू की पत्नी बीएसए से मिलने पहुंची, इसके कुछ देर बाद कार्यालय में हंगामा हुआ। पुलिस मौके पर पहुंच गयी। पुलिस ने मामला रफादफा करा दिया। इसके बाद बाबू की पत्नी ने डीएम के यहां पहुंचकर पूरे मामले से अवगत कराया।

नियम विरुद्ध किया ट्रांसफर

मुख्य सचिव के 12 मई 2020 के आदेश के क्रम में सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी के ट्रांसफर पर रोक है। किन्हीं कारणों में अगर ट्रांसफर किया जाता है तो सक्षम अधिकारी का अनुमोदन जरूरी है। जबकि बीएसए ने अनुमोदन नहीं लिया। इसलिये नियम विरूद्ध तबादला किया गा है।

तबादला को लेकर बाबू का बीएसए से विवाद हुआ है, दोनों ओर से शिकायत आई है। मामले की जांच कराई जायेगी इसके बाद ही कार्रवाई की जायेगी, थाना प्रभारी को तहरीर देने की जानकारी मुझे नहीं है। - कुमार प्रशांत, डीएम

दिल्ली: नर्सरी से 8वीं तक के बच्चों की नहीं होगी परीक्षा, इस आधार पर किए जाएंगे प्रमोट

दिल्ली: नर्सरी से 8वीं तक के बच्चों की नहीं होगी परीक्षा, इस आधार पर किए जाएंगे प्रमोट


दिल्ली के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के बच्चे नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत अगली कक्षाओं में प्रमोट होंगे। वार्षिक परीक्षा की बजाय उनका मूल्यांकन असाइनमेंट व वर्कशीट के आधार पर किया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण बीते एक साल से स्कूल बंद हैं। वर्ष 2020 में भी इसी आधार पर बच्चों को प्रमोट किया गया था। शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए गाइडलाइंस भी जारी कर दी हैं।

कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 से स्कूल बंद हैं। अप्रैल से स्कूलों में नया सत्र शुरू होता है, ऐसे में एक बार फिर छात्रों को असाइनमेंट के आधार पर प्रमोट किया जा रहा है। बच्चों का मूल्यांकन 100 अंकों के आधार पर ही होगा। इसके लिए अंकों की वेटेज भी तय की गई है।


तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों की वर्कशीट का मूल्यांकन 30 अंकों, शीतकालीन अवकाश के दौरान दिए गए असाइनमेंट का मूल्यांकन 30 अंकों के आधार पर होगा। एक मार्च से 15 मार्च के बीच शिक्षक बच्चों को असाइनमेंट व प्रोजेक्ट देंगे। इनका मूल्यांकन 40 अंकों के आधार पर होगा। छठी से आठवीं तक के बच्चों का मूल्यांकन भी 100 अंकों के आधार पर होगा। इसमें वर्कशीट के 20 अंक, शीतकालीन अवकाश के दौरान दिए गए असाइनमेंट के लिए 30 अंक, व एक मार्च से 15 मार्च के बीच दिए जाने वाले असाइनमेंट और प्रोजेक्ट का मूल्यांकन 50 अंकों के आधार पर होगा।


कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए अपनाई गई वैकल्पिक लर्निंग एप्रोच का प्रभाव जानने के लिए ही यह मूल्यांकन किया जा रहा है। इस मूल्यांकन के आधार पर निदेशालय को अगले सत्र के लिए सीखने की रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी। सरकारी स्कूल के बच्चों के अंक लिंक पर अपलोड करने के लिए 15 से 25 मार्च तक का समय दिया गया है। सह-शैक्षिक गतिविधियों के लिए स्कूल बच्चों को ग्रेड देंगे। मूल्यांकन के बाद रिजल्ट 31 मार्च को घोषित किए जाएंगे। रिजल्ट जारी करने के लिए बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।


केजी से दूसरी तक के बच्चे भी होंगे प्रमोट
सरकारी स्कूलों में केजी से दूसरी कक्षा तक केबच्चों को भी अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने इन कक्षाओं के बच्चों के मूल्यांकन के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन कक्षाओं का मूल्यांकन शीतकालीन अवकाश में दिए गए असाइनमेंट, कोविड-19 केदौरान दी गई वर्कशीट (ऑफलाइन-ऑनलाइन) के आधार पर किया जाएगा। कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से टीचिंग लर्निंग एक्टिविटी भी बंद है। इन कक्षाओं के बच्चों को वर्कशीट दी जा रही हैं। अब मार्च में बच्चों को वर्कशीट का अंतिम सेट दिया जाएगा। उसके बाद केजी से दूसरी तक के छात्रों को ग्रेड-मार्क्स दिए जाएंगे।

श्रावस्ती : फर्जी शिक्षक होने के शक पर सेवा समाप्ति से पूर्व पक्ष रखने का मौका, अंतिम नोटिस जारी

श्रावस्ती : फर्जी शिक्षक होने के शक पर सेवा समाप्ति से पूर्व पक्ष रखने का मौका, अंतिम नोटिस जारी


जल्द होंगे जिले के अंदर परिषदीय शिक्षकों के तबादले, मृतक आश्रितों को शैक्षिक योग्यता अनुसार नौकरी देने का आदेश जल्द बोले बेसिक शिक्षा मंत्री

जल्द होंगे जिले के अंदर परिषदीय शिक्षकों के तबादले, मृतक आश्रितों को शैक्षिक योग्यता अनुसार नौकरी देने का आदेश जल्द बोले बेसिक शिक्षा मंत्री



लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि जिले के अंदर परिषदीय शिक्षकों के तबादले जल्द किए जाएंगे। परिषदीय शिक्षकों की लंबित मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। बुधवार को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से सिंचाई भवन में एक दिवसीय प्रांतीय संगोष्ठी आयोजित की गई।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए द्विवेदी ने कहा, शिक्षकों की पदोन्नति के लिए बजट सत्र समाप्त होने के बाद बैठक की जाएगी। पदोन्नति में आने वाली अड़चनों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मृतक आश्रितों को लिपिक के पद पर नियुक्ति देने के लिए जल्द आदेश जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में शिक्षकों को ड्रेस, एमडीएम सहित अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम को संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील पांडेय ने भी संबोधित किया।

पालीटेक्निक प्रवेश के लिए 26 फरवरी से होंगे आवेदन

पालीटेक्निक प्रवेश के लिए 26 फरवरी से होंगे आवेदन

एडेड और निजी पालीटेक्निक संस्थानों में वर्ष 2021-22 में डिप्लोमा एवं पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 26 फरवरी से शुरू होगी। बुधवार को इसकी तिथि तय कर दी गई। इस बार सभी प्रवेश परीक्षाएं आनलाइन होनी हैं, इसलिए 75 की जगह करीब 60 जिलों में ही केंद्र बनाने की योजना है। सिर्फ उन्हीं कालेजों को सेंटर बनाया जाएगा, जहां आनलाइन परीक्षा के सारे इंतजाम होंगे।


हर साल संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रदेश के 1,372 पालीटेक्निक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जाती है। पिछले साल कोविड की वजह से प्रवेश प्रक्रिया काफी देर से शुरू हुई थी। इस बार समय से आवेदन शुरू कराने की तैयारी है। प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन के विस्तृत निर्देश jeecup.nic. in और jeecup.org पर जल्द जारी होंगे। प्रवेश परीक्षाएं 15 से 20 जून तक आनलाइन होंगी। इसका समय सुबह नौ से 12 बजे और दोपहर में 2.30 से 5.30 बजे तक होगा।


JEECUP 2021: 15 से 20 जून तक होगी यूपी पॉलीटेक्निक संयुक्त प्रवेश परीक्षा

JEECUP 2021: प्रदेश भर के पॉलीटेक्निक संस्थानों में सत्र 2021-22 में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा 15 से 20 जून तक आयोजित होगी। प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन होगी। परीक्षा का विस्तृत कार्यक्रम जल्द ही वेबसाइट jeecup.nic.in पर जारी कर दिया जाएगा। अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह जानकारी सम्बद्ध अधिकारी संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद राम रतन ने दी।

उन्होंने बताया कि अभ्यर्थी संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से राजकीय, अनुदानित व निजी क्षेत्र की पॉलीटेक्निक संस्थाओ में प्रवेश ले सकते हैं। परीक्षा का प्रवेश पत्र परीक्षा के 10 दिन पहले प्राविधिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा। प्रदेश के पॉलीटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा में 10 वीं पास से लेकर स्नातक उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा अलग-अलग जिलों में बने केंद्रों पर ऑनलाइन होगी। हिन्दी या अंग्रेजी दोनों में से किसी भी भाषा में अभ्यर्थी परीक्षा दे सकते हैं।

UPJEE (POLYTECHNIC) के ग्रुप A, E1 और E2 की परीक्षा ऑफलाइन मोड से होगी। वहीं शेष B, C, D, F, G, H, I, K1, K2, K3, K4, K5, K6, K7 व K8 ग्रुप की परीक्षा ऑनलाइन मोड से होगी। 


आवेदन शुल्क :

प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए सामान्य और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी को फॉर्म भरने की फीस 350 रुपए व एससी, एसटी अभ्यर्थी को आवेदन के लिए 250 रुपए का भुगतान करना होगा।

15 अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन :

सम्बद्ध अधिकारी संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद राम रतन ने बताया कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 15 अप्रैल है।

इन डायरेक्ट लिंक से करें आवेदन



Wednesday, February 24, 2021

सुलतानपुर : ARP के अवशेष पदों पर चयन हेतु विज्ञप्ति जारी, चयन हेतु देखें अर्हता एवं शर्ते

सुलतानपुर : ARP के अवशेष पदों पर चयन हेतु विज्ञप्ति जारी, चयन हेतु देखें अर्हता एवं शर्ते

केंद्र से बजट मिलने पर होगा प्रेरकों के अवशेष मानदेय का भुगतान

केंद्र से बजट मिलने पर होगा प्रेरकों के अवशेष मानदेय का भुगतान



बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि प्रेरकों के बकाया मानदेय का  भुगतान केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है। 


प्रदेश सरकार ने केंद्र को प्रेरकों के मानदेय भुगतान का बजट जारी करने का प्रस्ताव भेजा है। केंद्र से बजट मिलते ही प्रेरकों के बकाया मानदेय का भुगतान कर दिया जाएगा।

परिवर्तन लागत और रसोइयों का मानदेय बढ़ाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं

परिवर्तन लागत और रसोइयों का मानदेय बढ़ाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं


सपा विधायक मोहम्मद फहीम इरफान ने मिड डे मील योजना में परिवर्तन लागत में वृद्धि और रसोइयों का मानदेय बढ़ाने का सवाल रखा।  


बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि मिड डे मील योजना के तहत परिवर्तन लागत में वृद्धि करने, रसोइयों का मानदेय बढ़ाने, बच्चों को खाने के लिए बर्तन व कक्ष उपलब्ध कराने और रसोई को अध्ययन कक्ष से दूर स्थापित करने की सरकार की कोई योजना नहीं है।

जूतों के साइज को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें, शिक्षकों को अपने खर्च पर करनी पड़ रही ढुलाई

जूतों के साइज को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें,  शिक्षकों को अपने खर्च पर करनी पड़ रही ढुलाई


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के छात्रों को शिक्षा विभाग से मिले जूतों के साइज को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें आ रही हैं। किसी छात्र का जूता बड़ा तो किसी का छोटा होने पैर में फिट नहीं हो रहा है। अब जूते बदलवाने के लिए शिक्षक गोदाम के चक्कर लगा रहे हैं।

साल बीतने के बाद परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को जनवरी में जूते-मोजे भेजे गए तो ये गलत नाप के निकल गए। एक मार्च से स्कूल आने के लिए बच्चों को इन्हें बांटा जा रहा है.तो कोई जूता छोटा होने तो कोई बड़ा होने की शिकायत कर रहा है।

उच्च प्राथमिक के कक्षा 6 से 8 के छात्र विद्यालय आने लगे हैं तो वे विद्यालय में ही जूते नापकर देख ले रहे हैं, लेकिन प्राथमिक कक्षा 1 से 5 तक के छात्र अभी विद्यालय नहीं आ रहे हैं तो उनके सामने साइज की समस्या आ रही है। लड़कों को फीते वाले तो लड़कियों को स्ट्रिप वाले जूते मुहैया कराए जा रहे हैं । दोनों ही वर्गों को साइज को लेकर शिकायतें है।

इन साइज के मिले जूते

उच्च प्राथमिक के कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को 5 से 7 नंबर तक के तो छात्राओं को 4 से 7 नंबर तक के जूते दिए गए। वहीं प्राथमिक के बच्चों को इससे कम नंबर के जूते दिए गए। जिले में करीब 196000 परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए जूते मुहैया कराए गए। एक ही क्लास में कुछ बच्चों को छोटे तो कुछ को बड़े साइज के जूते मिले।

शिक्षकों को अपने खर्च पर करनी पड़ रही ढुलाई

हर ब्लॉक के बीआरसी या उसके पास स्थित विद्यालय में अस्थायी गोदाम बनाकर जूते रखे गए हैं। विद्यालयों तक जूते न पहुंचने से शिक्षक अपने खर्च पर गोदाम से जूते विद्यालय तक ला रहे हैं। इसमें साइज गड़बड़ होने पर इन्हें गोदाम तक चक्कर लगाना पड़ रहा है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि कुछ बच्चों के जूते ज्यादा बड़े व छोटे होने से शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

फर्म की है जिम्मेदारी

अस्थायी गोडाउन बने हुए हैं। शिक्षक वहां से जूते बदलवा सकते हैं। अगर वहां पर भी सही साइज नहीं मिलेगा तो फर्म की जिम्मेदारी है सही साइज के जूते मुहैया कराए। जिले में 95 प्रतिशत जूते और 100 फीसदी मोजे व बैग बंट चुके हैं। -दिनेश कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी

शिक्षकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने की उठाई मांग

शिक्षकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने की उठाई मांग

लखनऊ। शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी और सुरेश कुमार त्रिपाठी ने विधान परिषद में असाध्य रोगों के इलाज के लिए शिक्षकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने का मुद्दा उठाया। कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए ध्रुव कुमार ने कहा कि शिक्षक कल्याण कोष और अनिवार्य बीमा की जो व्यवस्था थी उसे खत्म कर दिया गया है। सरकार ने शिक्षकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा की कोई घोषणा बजट में भी नहीं की है। 


इसके जवाब में नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा कहा कि कोविड काल के दौरान सभी का निशुल्क इलाज किया गया है। शिक्षकों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा पहले से दी जाती रही है। शिक्षकों को चिकित्सीय सहायता की जो सुविधाएं पूर्व में दी जाती थीं, उसे सपा सरकार ने 18 जून 2015 को खत्म कर दिया था। निर्दलीय समूह के राज बहादुर सिंह चंदेल ने वित्त विहीन शिक्षकों को पारिश्रमिक देने का मामला उठाया। इस पर नेता सदन ने कहा कि न तो मुख्यमंत्री ने और न ही उन्होंने ऐसा कोई वादा किया था

मदरसा शिक्षकों का भी हुआ करेगा तबादला, मदरसा नियमावली में संशोधन करने की तैयारी

मदरसा शिक्षकों का भी हुआ करेगा तबादला, मदरसा नियमावली में संशोधन करने की तैयारी


लखनऊ : प्रदेश सरकार अब मदरसा शिक्षकों का भी तबादला करेगी। इसके लिए सरकार मदरसा नियमावली में संशोधन करने जा रही है। नियमावली में ऐसे प्रविधान किए जा रहे हैं, जिससे प्रबंधकों की मनमानी पर भी अंकुश लग सके। सरकार मदरसा शिक्षकों की भर्तियां भी चयन आयोग से कराने पर विचार कर रही है।


प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे हैं। इनमें करीब नौ हजार शिक्षक हैं। मदरसों के लिए उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन एवं सेवा नियमावली लागू है। प्रदेश सरकार इस नियमावली में नई शिक्षा नीति के अनुसार संशोधन करने जा रही है।

इस मोबाइल एप से भी जान सकेंगे बच्चे के सीखने-समझने का स्तर, जान‍िए कैसे?

लांच हुआ 'प्रेरणा लक्ष्य' एप, ऐसे करेगा काम, करें एक क्लिक में डाउनलोड

इस मोबाइल एप से भी जान सकेंगे बच्चे के सीखने-समझने का स्तर, जान‍िए कैसे?


लखनऊ बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी ने किया प्रेरणा लक्ष्य एप का शुभारंभ। एप के माध्यम से शिक्षक और अभिभावक यह जान सकेंगे कि बच्चों के सीखने का स्तर क्या है? विद्यार्थियों के प्रेरणा लक्ष्य प्राप्त करने पर उन्हें प्रेरक बालक/बालिका के रूप में घोषित किया जाएगा।


लखनऊ  । परिषदीय स्कूलों के बच्चों के सीखने-समझने के स्तर को अब मोबाइल एप के जरिये भी जाना जा सकेगा। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी ने 'प्रेरणा लक्ष्य एप' का मंगलवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सभागार में शुभारंभ किया।

✍️ प्ले स्टोर से यह एप डाउनलोड करने का लिंक : https://play.google.com/store/apps/details?id=org.samagra.missionPrerna

इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रेरणा लक्ष्य एप के माध्यम से शिक्षक और अभिभावक यह जान सकेंगे कि बच्चों के सीखने का स्तर क्या है? यह भी पता चल सकेगा कि कक्षावार कौन सी दक्षताएं हासिल करने के उन्हें बच्चे पर अधिक ध्यान देना होगा। प्रेरणा लक्ष्य एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध और निश्शुल्क है। एप का प्रयोग ऑफलाइन भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रेरणा लक्ष्य एप का गूगल के  'रीड अलांग' एप से समन्वय किया गया है। इसके माध्यम से बच्चे की रीडिंग क्षमता और बौद्धिक ज्ञान का आकलन किया जा सकेगा। इस एप में एससीईआरटी द्वारा विषय विशेषज्ञों के माध्यम से बच्चों के उपयोग के लिए विस्तृत प्रश्नों को तैयार किया गया है।


मंत्री ने कहा कि इस एप के द्वारा विद्यार्थियों के प्रेरणा लक्ष्य प्राप्त करने पर उन्हें प्रेरक बालक/बालिका के रूप में घोषित किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रेरक विद्यालय/प्रेरक ब्लॉक के थर्ड पार्टी मूल्यांकन के लिए पहले से ही सकारात्मक वातावरण का सृजन हो सकेगा। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग के मिशन प्रेरणा के तहत प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए ह‍िंदी और गणित विषयों में लर्निंग गोल (प्रेरणा लक्ष्य) निर्धारित किये गए हैं।

✍️ प्ले स्टोर से यह एप डाउनलोड करने का लिंक : https://play.google.com/store/apps/details?id=org.samagra.missionPrerna

लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) दफ्तर में 'प्रेरणा लक्ष्य' एप लांच किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग लगातार प्रगति की ओर अग्रसर है। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कराई जा रहीं हैं।



उन्होंने कहा कि 'प्रेरणा लक्ष्य' एप एक परिवर्तनात्मक असेसमेंट टूल है। इसमें शिक्षक और अभिभावक द्वारा बच्चों के सीखने का स्तर कक्षावार बच्चों की दक्षता से जुड़ी जानकारियां दी जाएगी। एप में एससीईआरटी की ओर से विषय विशेषज्ञों के जरिए बच्चों के लिए उपयोगी विस्तृत प्रश्नों का निर्माण किया गया है। एप के विशेषज्ञ रोहित त्रिपाठी ने कहा कि प्रेरणा लक्ष्य एप पूर्णतः निःशुल्क है। इस एप का प्रयोग ऑफ लाइन भी किया जा सकता है। इस अवसर पर निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

✍️ प्ले स्टोर से यह एप डाउनलोड करने का लिंक : https://play.google.com/store/apps/details?id=org.samagra.missionPrerna

Tuesday, February 23, 2021

दिल्ली : ऑफलाइन परीक्षा के लिए बच्चों को बाध्य नहीं कर सकते स्कूल : शिक्षा निदेशालय


दिल्ली : ऑफलाइन परीक्षा के लिए बच्चों को बाध्य नहीं कर सकते स्कूल : शिक्षा निदेशालय


बच्चों के पास ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही विकल्प हैं।
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के पास भी बड़ी संख्या में अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर शिकायतें की हैं।मौजूदा समय में बच्चों का स्कूल आना कतई उचित नहीं है। हाल ही में दिल्ली में दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के मामलों की भी पुष्टि हुई है।


नई दिल्ली  । राजधानी में कोरोना के मामले घटने के बाद दिल्ली सरकार द्वारा शैक्षिक गतिविधियों में थोड़ी ढील देने के बाद निजी स्कूलों ने ऑफलाइन परीक्षा के लिए विद्यालय आने के लिए बच्चों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इससे अभिभावक और बच्चे दोनों परेशान हैं। वहीं, गृह मंत्रालय की ओर से जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि कोई भी स्कूल बिना अभिभावकों की सहमति के बच्चों को ऑफलाइन परीक्षा के लिए जबरन नहीं बुला सकता।


फिलहाल बच्चों के पास ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही विकल्प हैं। लेकिन, इसके बावजूद भी स्कूल अभिभावकों की सहमति के बिना 9वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इसको लेकर अभिभावकों की ओर से दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) से भी शिकायतें की गई हैं। इस पर आयोग ने संबंधित स्कूल से जवाब भी मांगा है।


वहीं, इस मामले पर शिक्षा निदेशालय का कहना है कि स्कूल अभिभावकों पर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए किसी प्रकार का दबाव नहीं बना सकते हैं। ये कतई सहीं नहीं है। जब तक सरकार पूरी तरह से अनलॉक नहीं घोषित कर देती तब तक तो बच्चे का स्कूल आना पूरी तरह वैकल्पिक है। कोई भी स्कूल बच्चे को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों को बाध्य नहीं कर सकता है।


स्कूल बुलाने पर अगर कोई बच्चा बीमार हो गया तो फिर इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन को लेनी होगी। जिन अभिभावकों को स्कूल की तरफ से बच्चे को भेजने के लिए बाध्य किया जा रहा है वो शिक्षा निदेशालय को लिखित में शिकायत कर सकते हैं । निदेशालय इन स्कूलों पर कार्रवाई करेगा। वहीं, इस मामले पर दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि बच्चों को आफलाइन परीक्षा के लिए जबरन स्कूल बुलाने से बड़ी संख्या में बच्चे और अभिभावक चिंतित हैं। इसके लिए मेरे पास भी कई सारे बच्चों की शिकायतें आई हैं।


वहीं, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के पास भी बड़ी संख्या में अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर शिकायतें की हैं।मौजूदा समय में बच्चों का स्कूल आना कतई उचित नहीं है। हाल ही में दिल्ली में दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के मामलों की भी पुष्टि हुई है। ऐसे में बच्चों को स्कूल बुलाना खतरे से खाली नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार अतिशीघ्र निजी स्कूलों को आदेश जारी कर 9वीं और 11वीं के बच्चों की परीक्षाएं ऑनलाइन कराने का आदेश जारी करे, जिससे बच्चों और अभिभावकों को राहत मिल सके।

बीटेक डिग्री वाले नहीं बन सकते गणित के शिक्षक, हाईकोर्ट ने शिक्षक बनने की योग्यता में छूट देने से किया इंकार, जाने पूरा मामला

बीटेक डिग्री वाले नहीं बन सकते गणित के शिक्षक, हाईकोर्ट ने शिक्षक बनने की योग्यता में छूट देने से किया इंकार, जाने पूरा मामला



बीटेक (इंजीनियरिंग) की डिग्री वाले व्यक्ति गणित के शिक्षक (टीजीटी) नहीं बन सकते। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा बीटेक की डिग्री धारक महिला को गणित विषय के शिक्षक नियुक्त करने से इनकार किए जाने को सही ठहराते हुए यह फैसला दिया है। न्यायालय ने कहा कि गणित विषय के टीजीटी बनने के लिए स्नातक में सभी वर्षों में गणित विषय का अध्ययन जरूरी है।



जस्टिस मनमोहन और आशा मेनन की पीठ ने कहा कि बीटेक में एक या दो सेमेस्टर में गणित पढ़ाई जाती है। ऐसे में बीटेक की डिग्री को गणित में स्नातक नहीं माना जा सकता है। उच्च न्यायालय ने इसके साथ ही सुभाश्री दास की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने लिखित परीक्षा में उतीर्ण होने के बाद भी केवीएस द्वारा गणित के टीजीटी के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं होने के आधार पर साक्षात्कार में शामिल होने से वंचित किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने शिक्षक बनने की योग्यता में किसी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।


याचिकाकर्ता सुभाश्री दास की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय शैक्षणिक शिक्षा परिषद ने 2015 में बीटेक की डिग्री के आधार पर बीएड करने की अनुमति दी है। ऐसे में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा उन्हें गणित का टीजीटी बनने से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। याचिका में कहा गया था कि केवीएस को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया था कि केवीएस ने इस पद के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा और बीएड अनिवार्य योग्यता बताया था। ऐसे में बीटेक की डिग्री के आधार पर बीएड करने वाले को गणित का टीजीटी बनने से नहीं रोका जा सकता।


एनसीटीई का निर्देश बाध्यकारी नहीं
उच्च न्यायालय ने कहा है कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई नियम बताने में पूरी तरह से नाकाम रहा है जिसमें यह कहा गया हो कि राष्ट्रीय शैक्षणिक शिक्षा परिषद द्वारा बीएड पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए तय मानदंड सभी सरकारों, संस्थानों और संगठनों के लिए बाध्यकारी हो। पीठ ने याचिकाकर्ता की उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि कई राज्य सरकारों ने बीटेक की डिग्री के आधार पर बीएड करने वालों को शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य माना है।

दखल नहीं देगा अदालत
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला केवीएस में शिक्षा के गुणवत्ता से जुड़ा है, जहां शिक्षा के उच्च मानदंड को पूरा करना है। न्यायालय ने कहा कि जहां योग्यता का उच्च मानक स्थापित करना है, ऐसे मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा।

2018 में निकली थी भर्ती
केवीएस ने 2018 में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। इसमें याचिकाकर्ता सुभाश्री ने भी आवेदन किया था। उन्होंने लिखित परीक्षा में सामान्य श्रेणी में 83वां स्थान प्राप्त किया था। लेकिन, केवीएस ने पर्याप्त योग्यता नहीं होने के आधार पर उन्हें साक्षात्कार से वंचित कर दिया। इसके खिलाफ उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की। न्यायाधिकरण ने भी मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।