तदर्थ शिक्षकों को मिलेगा विनियमितीकरण का तोहफा!, एडेड माध्यमिक कालेजों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्त शिक्षक होंगे विनियमित
प्रदेश के एडेड माध्यमिक कालेजों में वर्षों से तदर्थ रूप में तैनात शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम के तहत वे शिक्षक विनियमित नहीं हो पाए वे। इसलिए अब अधिनियम में नई धारा जोड़ने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। अमल होते ते सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ होगा।
चयन बोर्ड अधिनियम 1952 में धारा-33(0) को 22 मार्च 2016 को जोड़ा गया था। इससे एडेड कालेजों में अल्पकात्तिक रिक्ति के सापेक्ष प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक श्रेणी में सात अगस्त 1993 से 25 जनवरी 1999 तक के मध्य नियुक्त और मौलिक रिक्ति के सापेक्ष पदोन्नति व सीधी भर्ती द्वारा सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक के बीच नियुक्त तदर्द शिक्षकों को विनियमित किया गया था।
इसमें प्रविधान किया गया कि जो कदवं शिक्षक बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 15 के अनुसार नियुक्त नहीं किए गए हैं और कोर्ट के अंतरिम व अनंतिम आदेश से वेतन प्राप्त कर रहे हैं, वे विनियमित होने के हकदर नहीं होगा। प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की तादाद 555 है। वहीं, कालेजों के प्रचंधतंत्र ने भी नियमानुसार प्रक्रिया का पालन न करके मौलिक रिक्ति के सापेक्ष शिक्षकों की नियुक्तियां की है, जो कोर्ट के आदेश पर चेतन पा रहे हैं। अब इन शिक्षकों को लाभ देने की तैयारी है।
तदर्थ नियुक्तोयों में चयन बोर्ड जिम्मेदार : एडेड माध्यमिक कालेजों में शिक्षकों के चयन के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड स्थापित किया गया था। चयन बोर्ड ने समय पर रिक्त पर्व के सापेक्ष अभ्यर्थियों . का चयन नहीं किया। वहीं, - कालेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ी और शिक्षकों की संख्या बहुत कम हो गई। इस कठिनाई से उबरने के लिए कालेजों में तदव शिक्षक नियुक्त हुए।
वेतन पाने वालों को भी मिले लाभ : शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पंडेय ने विशेष सचिव को भेज प्रस्ताव में लिखा है कि 2016 में विनियमित करने का प्रविधान होने पर भी सैकड़ों शिक्षकों को लाभ नहीं मिला, क्योंकि वे तो वेतन पा रहे के, लेकिन अन्य लाभों से वंचित हैं। घन राजकोष से दिया जा रहा है, इसलिए इन्हें विनियमित करने के लिए अधिनियम में धारा-ह के बाद अब 'ज' जोड़ा जाए।
बदलाव से खुल सकते हैं और भी रास्ते : माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भले ही वर्ष 2000 तक के शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी की है, लेकिन इससे शीर्ष कोर्ट में लंबित संजय सिंह प्रकरण में विनियमित होने की मांग कर रहे शिक्षकों के रास्ते भी खुल सकते हैं। वर्ष 2000 के बाद बड़ी संख्या में शिक्षक एडेड कालेजों में तदर्थ रूप से नियुक्त हैं।
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