फतेहपुर : 350 सरकारी स्कूलों में अभी भी पीने का पानी नहीं, दो साल में भी कायाकल्प योजना नहीं सुधार पाई हालात
फतेहपुर : बात चिंता की है और बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाती है। परिषदीय स्कूलों को मूलभूत सुविधाओं से संतृप्त करने के लिए दो साल पहले शुरू की गई कायाकल्प योजना बीच रास्ते ही दम तोड़ने लगी। आज तक इस योजना से एक भी विद्यालय संतृप्त नहीं हो सका। जिले के 350 विद्यालय तो ऐसे हैं जहां पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है।
बड़ी उम्मीदों के साथ दो साल पहले लांच की गई यह योजना सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई। प्रधानों की भी बड़ी भूमिका तय की गई थी लेकिन उन्होंने भी इसमें कोई रुचि नहीं ली। योजना के तहत स्कूलों में संसाधन जुटाने के साथ सुंदरीकरण के काम कराने थे। पीने के पानी से लेकर रंगाई पुताई, फर्नीचर, शौचालय आदि की व्यवस्था की जानी थी। लेकिन जिले के 2650 स्कूलों में एक भी संतृप्त नहीं हुआ। 323 विद्यालयों में बालक, 248 में बालिका के लिए शौचालय नहीं हैं। 746 स्कूलों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। 1534 स्कूलों के शौचालयों में टायल्स नहीं लगे हैं। 101 स्कूलों में नि:शक्तों के लिए अलग से शौचालयों की व्यवस्था नहीं हो पाई है। 200 स्कूलों की अभी तक रंगाई पुताई तक नहीं कराई गई है। 600 स्कूलों में नि:शक्तों के लिए अभी तक रैंप नहीं बनाए गए हैं। 455 स्कूलों में वायरिंग नहीं है।
बेसिक शिक्षा विभाग के डीसी निर्माण एमएल वर्मा ने बताया कि शासन से जारी कायाकल्प योजना के मानक जिले के गिने चुने विद्यालयों में पूरे होंगे। बार-बार डीएम के माध्यम से पंचायत राज विभाग को लिखा पढ़ी कराने के बावजूद परिषदीय स्कूलों में संसाधनों की कमी है। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद कुछ स्कूलों में प्रशासकों ने सुंदरीकरण काम शुरू कराया है। इसकी भी रिपोर्ट मांगी जा रही है।
एडेड स्कूलों को नहीं मिला लाभ
बेसिक शिक्षा विभाग के 50 एडेड स्कूलों को कायाकल्प योजना से बाहर रखा गया है। इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन भत्ते के साथ छात्राओं को मिलने वाली अन्य सभी सुविधाएं तो मिलती हैं, लेकिन स्कूल भवनों की हालत बदतर है। इन स्कूलों को कायाकल्प योजना की पूरी तरह से दरकार हैै।
स्कूल के ऊपर से गुजरी लाइन हटाने का प्रावधान नहीं
कुछ परिषदीय स्कूलों को कायाकल्प योजना का लाभ भले ही मिला हो, लेकिन यहां पर पढ़ने वाले बच्चे असुरक्षित हैं। नगर क्षेत्र का प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय सथरियांव के ऊपर से एचटी लाइन गुजरी है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जान को हर समय खतरा बना रहता है, लेकिन कायाकल्प योजना में इस समस्या के निराकरण का कोई प्रावधान नहीं है।
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