मदरसों में निशुल्क पढ़ाई बंद, अब सभी से लिए जाएंगे निर्धारित शुल्क
अगले शैक्षिक सत्र में प्राइवेट स्कूलों की तरह मदरसों में भी पहले से निर्धारित शुल्क लिया जाएगा हालांकि यह शुल्क प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले काफी कम होगी। परिषद ने शुल्क संग्रह की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया है।
गोरखपुर । मदरसों में अब निशुल्क पढ़ाई नहीं होगी। मान्यता प्राप्त और गैर अनुदानित मदरसे अब हिसाब से शुल्क का निर्धारण कर सकेंगे। मदरसा शिक्षा परिषद ने शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया तय कर दी है। मदरसा प्रबंधन को शैक्षिक सत्र शुरू होने के एक माह पहले छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क का अनुमोदन करेगी। प्रदेश में यह पहली बार होगा कि मदरसों के छात्रों से किसी तरह का शुल्क लिया जाएगा। अब तक मुफ्त शिक्षा दी जाती है। छात्र-छात्राओं से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता रहा।
अगले सत्र से लिया जाएगा शुल्क
अगले शैक्षिक सत्र में प्राइवेट स्कूलों की तरह मदरसों में भी पहले से निर्धारित शुल्क लिया जाएगा, हालांकि यह शुल्क प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले काफी कम होगी। परिषद ने शुल्क संग्रह की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया है। शुल्क संरचना का निर्धारण करते समय क्षेत्रीय असमानता, आर्थिक विषमता तथा शैक्षिक स्तर का भी विशेष ध्यान रखना होगा। रजिस्ट्रेशन शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क, संयुक्त वार्षिक शुल्क एवं विकास शुल्क लिया जा सकेगा। विद्यार्थियों को फीस की रसीद देनी होगी।
पहले नहीं ली जाती रही फीस
दरअसल मदरसे लोगों से मिलने वाले चंदे से चलते हैं इसलिए वहां पढऩे वाले बच्चों से किसी तरह ही फीस नहीं ली जाती। हास्टल में रहने वाले बच्चों के लिए भी खाने व रहने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता, लेकिन उनसे भी शुल्क लिया जाएगा। गोरखपुर में दस अनुदानित और दौ सौ मान्यता प्राप्त व गैर अनुदानित मदरसे हैं जिनमें तकरीबन 32 हजार से ज्यादा बच्चे बढ़ते हैं। ऐसे में शुल्क लिए जाने पर 30 हजार बच्चे प्रभावित होंगे। उनके सामने फीस देकर शिक्षा ग्रहण करने की समस्या पैदा हो जाएगी। कुल मिलाकर अब मदरसों में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं को शुल्क देना ही पड़ेगा। शुल्क न दे पाने की स्थिति में पढ़ाई नहीं हो पाएगी। मदरसा परिषद के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने सभी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेजकर शुल्क लिए जाने के निर्णय से अवगत करा दिया है।
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