कालपी : नि:शुल्क पुस्तकों के वितरण में अफसरों की बाजीगरी का राजफाश होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। दैनिक जागरण की प्रकाशित खबर को जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
दो दिन की जद्दोजहद के बाद आखिरकार जांच टीम ने विद्यालय पहुंचकर एकल कक्ष का ताला खुलवाया। जिसमें पांच सौ किताबें बोरियों में मिली, लेकिन विडंबना है कि किताबें बिना बांटे ही अधिकारियों ने विद्यालय के सभी छात्रों को किताबें बंट जाने की रिपोर्ट शासन को भेज दी। जांच टीम ने आख्या दे दी है, अब कार्रवाई का इंतजार है।
कदौरा ब्लाक की बबीना बीआरसी के समीप ही कूड़े में परिषदीय विद्यालय की किताबें पाई गई थीं, जिसके बाद बीईओ ने कर्मियों के साथ बीआरसी बबीना में डंप किताबें शनिवार को उसरगांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के एकल कक्ष में बोरियों में बंद कर ताला लगवा दिया था। सोमवार को जानकारी जब राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारियों को हुई तो वे उसरगांव पहुंचे और ताला खुलवाकर किताबें देखने की बात कही। बीईओ व बीएसए से कहने पर भी दो दिन तक ताला नहीं खुला, तब जाकर संघ के पदाधिकारियों ने डीएम को पूरा मामला बताया।
डीएम के संज्ञान में आने पर खुला ताला
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने जब मामले में संज्ञान लिया तो बुधवार को बीएसए ने दो सदस्यीय टीम गठित की और जांच के लिए उसरगांव विद्यालय भेज। सदस्य जिला समन्वयक प्रशिक्षण विश्वनाथ दुबे व बीईओ कमलेश गुप्ता ने प्रधानाध्यापिका मीरा से एकल कक्ष खुलवाया। जिसमें बोरियों में बंद किताबें सामने आ गई। जिला समन्वयक प्रशिक्षण विश्वनाथ दुबे ने बताया कि एकल कक्ष में बोरियो में बंद किताबों की पूरी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई है। जांच के दौरान 505 किताबें ऐसी मिली हैं, जो छात्रों को बांटी जानी चाहिए।
इन किताबों का नहीं हुआ वितरण :
कलरव, कलरव मैथ, वर्क बुक, गिनतारा, कलख संस्कृत, पीयूषम पृथ्वी हमारा जीवन महान व्यक्तित्व, रेनबो गणित, विज्ञान आदि विषयों की 505 किताबे दो बोरियों में भरी मिलीं जिनकी पूरी विषय बार सूची बनाई गई। उन्होने बताया कि यह किताबें यहां क्यों रखी गई हैं और क्यों वितरित नहीं की गई, इसके लिए बीईओ पर कार्रवाई होगी। कुछ बोरियों में समृद्ध माड्यूल व अन्य सामग्री भी मिली है। मामले की जांच के बाद आख्या जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी कालपी व बीएसए को दे दी गई है। जांच में साफ है कि शिक्षक कई बार किताबें भेजने को कहते रहे पर किताबें नहीं भेजी गई।
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