सामान्य और एससी के ढाई लाख से ज्यादा छात्रों की शुल्क भरपाई फंसी, समय पर आवेदन के बावजूद शिक्षण संस्थानों के स्तर से डाटा नहीं हुआ अग्रसारित
लखनऊ : प्रदेश में सामान्य और अनुसूचित जाति के ढाई लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति और शुल्क की भरपाई फंस गई है। शिक्षण संस्थानों के स्तर से इन छात्रों का डाटा अग्रसारित न किए जाने से यह स्थिति पैदा हुई है। इन वर्गों के आवेदन करने वाले 18.97 लाख छात्रों में से 16.31 छात्रों का ही डाटा अग्रसारित हुआ है।
इस बार शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों का डाटा अग्रसारित करने के लिए 17 जनवरी तक का समय दिया गया था। बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थानों ने अंतिम तिथि करीब आने पर ही विद्यार्थियों के डाटा को फॉरवर्ड करने का काम शुरू किया इससे छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर एकाएक लोड बढ़ जाने के कारण सभी छात्रों का डाटा अग्रसारित नहीं हो सका।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सामान्य वर्ग के 7.58 लाख और अनुसूचित जाति के 11.39 लाख छात्रों ने आवेदन किया था इनमें से सामान्य वर्ग के 6.49 लाख व अनुसूचित जाति के 9.82 लाख छात्रों का ही डाटा अग्रसारित हुआ है। इस तरह से 2.66 लाख छात्रों का डाटा अभी भी शिक्षण संस्थानों के स्तर पर ही पेंडिंग है।
अगर शासन ने छात्रों को राहत देने के लिए शिक्षण संस्थानों को डाटा फॉरवर्ड करने का एक और अवसर नहीं दिया, तो ये छात्र योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे। समाज कल्याण विभाग के अफसरों को कहना है कि शीघ्र ही पूरी स्थिति से शासन को अवगत कराया जाएगा। राहत के बाबत कोई निर्णय शासन ही ले सकता है।
जांच के फेर में सिर्फ 92 हजार एससी छात्रों को ही हो सकी शुल्क की भरपाई
27 फरवरी तक 22 हजार निजी संस्थानों में से महज 1,428 की आई रिपोर्ट
4.15 लाख विद्यार्थियों का डाटा हो चुका है सत्यापित, 11.39 लाख ने किया है आवेदन
लखनऊ। निजी शिक्षण संस्थानों की जांच 24 फरवरी तक पूरी न हो पाने के कारण अनुसूचित जाति के महज 92 हजार छात्रों को ही शुल्क की भरपाई हो सकी। जबकि इस वर्ग का सत्यापित डाटा ही 4.15 लाख है। कुल 11.39 लाख छात्रों ने आवेदन किया है। तयशुदा तारीख तक जिलों से निजी संस्थानों की जांच रिपोर्ट न आने पर सिर्फ सरकारी और एडेड संस्थानों के विद्यार्थियों को ही भुगतान हो सका। यह स्थिति तब है, जब 60 फीसदी केंद्रांश के लिए 28 फरवरी तक राज्यांश पाने वाले छात्रों का ब्योरा केंद्र सरकार को भेजना है।
गौरतलब है कि शासन ने निजी संस्थानों के मानकों आदि की जांच के बाद ही छात्रवृत्ति व शुल्क भरपाई करने के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण विभाग के मुताबिक 94 % छात्र निजी संस्थानों में पढ़ रहे हैं ।
निजी शिक्षण संस्थानों की जांच के लिए हर जिले में सीडीओ की अध्यक्षता में एक समिति गठित है । इसके अलावा बीटीसी संस्थानों की मान्यता की जांच के लिए बेसिक शिक्षा विभाग और बीएड व अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों की मान्यता संबंधी जांच के लिए उच्च शिक्षा विभाग की एक समिति भी बनाई गई है। इन तीनों कमेटियों की रिपोर्ट में सही पाए जाने पर भी निजी संस्थानों को योजना का लाभ दिया जाएगा ।
यह रिपोर्ट देने के लिए 24 फरवरी तक का समय दिया गया था। इसके बावजूद समाज कल्याण निदेशालय को 27 फरवरी तक 22 हजार निजी संस्थानों में से महज 1428 संस्थानों की रिपोर्ट मिली है।
यह भी सीडीओ की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट है। शेष दोनों समितियों की एक भी संस्थान की जांच रिपोर्ट निदेशालय को नहीं मिली है। इसलिए सरकारी और एडेड संस्थानों के ही छात्रों को शुल्क का भुगतान हो सका।
राज्यांश का भुगतान की रिपोर्ट पर मिलेगा केंद्रांश
वर्तमान शैक्षिक वर्ष से लागू व्यवस्था में केंद्रांश तभी मिलेगा, जब राज्यांश का भुगतान होने की रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी। केंद्र ने इस संबंध में 28 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी थी। अगर संबंधित केंद्रीय मंत्रालय ने तिथि आगे नहीं बढ़ाई तो बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र के स्तर से तिथि बढ़ाने के लिए उच्च स्तर पर वार्ता चल रही है।
छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत पात्र विद्यार्थियों को भुगतान के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इस बाबत समाज कल्याण विभाग से बात कर रहे हैं। आरके तिवारी, मुख्य सचिव,
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