शिक्षा सेवा अधिकरण को लेकर तेज होगा आंदोलन, नौ मार्च को प्रयागराज बंद
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने शिक्षा सेवा अधिकरण बिल वापस लेने की मांग को लेकर अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बार एसोसिएशन शिक्षकों, छात्रों और व्यापारी संगठनों की मदद लेगा। रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान हाईकोर्ट बार के पदाधिकारियों ने कहा कि बिल वापसी तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इससे कोई समझौता नहीं होगा। न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव अनिश्वितकालीन नहीं है और इस पर भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा।
हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह और महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने बताया कि उनकी पहली मांग विधेयक की वापसी है क्योंकि इसके गठन के पीठे सरकार और अधिकारियों की मंशा सही नहीं है। अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार फैसले ले रहे हैं। पिछले अनुभव बताते हैं कि अधिकरण जिस उद्देश्य से बनाए गए, वे उसे पूरा करने में असफल हैं। केंद्र सरकार ने भी कई अधिकरणों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट भी अधिकरणों की प्रासंगिकता पर टिप्पणी कर चुका है।
अमरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में हाईकोर्ट के कुल मुकदमों में लगभग 25 प्रतिशत शिक्षा और इससे जुड़े संदर्भों के है। दो लाख मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में और 75 हजार मुकदमे लखनऊ बेंच में हैं। इनकी सुनवाई के लिए इलाहाबाद में 10 और लखनऊ बेंच में पांच पीठ हैं। ये सभी मुकदमे अब अधिकरण में स्थानांतरित होंगे और उनकी सुनवाई के लिए नौ रिटायर ब्यूरोक्रेट होंगे, जिन्हें न्यायिक कार्य न तो अनुभव है और न ही जानकारी।
स्प्ष्ट है कि सरकार शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए न्याय के दरवाजे बंद करना चाहती है। अमरेंद्र नाथ सिंह का कहना है कि मौजूदा बिल में अधिकरण का प्रारूप स्पष्ट नहीं है। इसके निर्णयों के खिलाफ अपील कहां होगी, इसका जिक्र नहीं है। वादकारी को अपना पक्ष रखने के लिए वकीलों के अलावा भी अन्य लोगों की मदद लेने की छूट दी गई है, जो उचित नहीं है।
महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का कहना है कि नौ मार्च को प्रयागराज बंद का अह्वान किया गया है। इसे शिक्षक संघों, छात्र संगठनों और व्यापारी संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है। सोमवार की बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा
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