पंचाट के जरिये सुलझेगा यूपी बोर्ड का पुस्तक विवाद, नए सत्र में नहीं हुआ माध्यमिक शिक्षा की पुस्तकों का टेंडर
प्रयागराज : नया शैक्षिक सत्र शुरू होने को है। यूपी बोर्ड से संबद्ध 27 हजार से अधिक माध्यमिक कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को किताबें मुहैया कराने की जगह पुस्तकों की बिक्री के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। नए सत्र में किताबों के लिए टेंडर नहीं हो सका है। बोर्ड प्रशासन ने प्रकरण निस्तारण के लिए पंचाट तैनात करने का अनुरोध भी ठुकरा दिया था, जिस पर प्रकाशकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने इस मामले में आर्बीट्रेशन की तैनाती की है। अब उम्मीद जगी है कि विवाद खत्म होगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने शैक्षिक सत्र 2020-21 में एनसीईआरटी की किताबों के मुद्रण व वितरण के लिए टेंडर जारी किया था। प्रकाशकों से रायल्टी व जीएसटी भुगतान के लिए पत्रचार हुआ तो कोरोना संक्रमण का हवाला दिया गया।
कहा गया कि संक्रमण के दौरान बोर्ड के निर्देश पर ऑनलाइन पढ़ाई हुई, जिससे किताबों की बिक्री प्रभावित रही, अधिकांश किताबें बिकी ही नहीं। साथ ही किताबों का मुद्रण भी पूरा नहीं हो सका है। बोर्ड प्रशासन ने इन तर्को को नहीं माना और वास्तविक संख्या के आधार पर रायल्टी व जीएसटी भुगतान के साथ ही पंचाट की नियुक्ति को ठुकरा दिया।
बोर्ड के दावों में ही विरोधाभास
यूपी बोर्ड एक ओर प्रकाशकों से भुगतान कराने पर अड़ा है, वहीं नए सत्र में किताबें मुहैया कराने पर कहा जा रहा है कि पिछले सत्र में कोरोना के कारण किताबें बिकीं नहीं, बाजार में उपलब्ध हैं। सवाल यह है कि यदि किताबें बिकीं नहीं तो भुगतान किस बात का मांगा जा रहा? सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने कहा कि जिन विषयों का पाठ्यक्रम बदला है, उनकी किताबें एनसीईआरटी से मुहैया कराने की तैयारी है।
प्रकाशकों को कोर्ट से राहत
रायल्टी व जीएसटी भुगतान को लेकर प्रकाशक हाई कोर्ट पहुंचे। उनका कहना था कि कोविड के कारण करार के तहत किताबें नहीं छापी गयी। मांग भी नहीं थी, विशेष स्थिति में छूट देने से बोर्ड ने इन्कार किया है। करार में पंचाट (आर्बीट्रेशन) का क्लाज है। इसलिए पंचाट नियुक्त हो। हाई कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरएल मेहरोत्र को आर्बीट्रेटर नियुक्त किया है, जो विवाद सुलझाएंगे, उन्होंने सहमति भी दे दी है।
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