नई शिक्षा नीति आई पर शिक्षक के पद नहीं जा रहे भरे
राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को नालंदा और तक्षशिला जैसी प्रतिष्ठा दिलाने की बातें तो हो रही है, लेकिन जब उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं होंगे, तो यह मुकाम कैसे हासिल हो पाएगा। स्थिति कुछ ऐसी ही है। देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पर्याप्त शिक्षक ही नहीं है। यह कमी भी कोई सौ-दो सौ शिक्षकों की नहीं है, बल्कि अकेले केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में ही 14 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। इनमें सबसे खराब स्थिति केंद्रीय विश्वविद्यालयों की है, जहां फिलहाल शिक्षकों के छह हजार से ज्यादा पद खाली हैं। आइआइटी, एनआइटी और आइआइएम का भी कुछ ऐसा ही हाल है।
उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को लेकर यह सवाल उस समय उठ रहे है, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सरकार तेजी से लागू करने में जुटी है। खासबात यह है कि नीति में शिक्षकों के खाली पदों को लेकर चिंता जताई गई है, साथ ही कहा गया है कि जब तक शिक्षकों के खाली पदों को भरा नहीं जाएगा, तब तक नीति का फायदा मिल पाना मुश्किल है। यही वजह है कि सरकार से उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को लेकर सवाल किए जाने लगे हैं। हाल ही में संसद में भी इसे लेकर सवाल पूछे गए हैं। इस बीच सरकार ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक केंद्रीय स्तर के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की कुल संख्या 42 हजार है, इनमें से 14,268 पद खाली हैं। इन संस्थानों में केंद्रीय विश्वविद्यालय,आइआइटी, टिपलआइटी, एनआइटी, आइआइएम जैसे संस्थान शामिल हैं।
शिक्षा मंत्रलय की ओर से संसद को दी गई जानकारी में बताया गया है कि मौजूदा समय में सभी 42 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 18 हजार हैं, इनमें से 6,074 पद खाली हैं। आइआइटी में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 10 हजार हैं, इनमें से 3,876 पद खाली हैं। टिपलआइटी में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 919 हैं, जबकि इनमें से 461 पद खाली हैं।
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