फतेहपुर : बदहाली से जूझ रहे जिले के परिषदीय विद्यालय, कायाकल्प योजना के तहत नहीं कराए गए काम
फतेहपुर : कायाकल्प योजना का सच जिले में परिषदीय स्कूलों को देख कर लगाया जा सकता है। हालात ये हैं कि स्कूलों का कायाकल्प कराने में सिर्फ खानापूरी की गई है। लाखों का बजट खर्च होने के बावजूद स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। मरम्मत के अभाव में शौचालय खराब पड़े हैं, ऐसे में छात्र-छात्राओं को खुले में शौच जाना मजबूरी है।
देवमई ब्लाक के प्राथमिक स्कूल कपरिया ऊसर में कायाकल्प योजना से कुछ भी काम नहीं कराया गया है। यहाँ शौचालय खुले पड़े हैं, इनमें मिट्टी और ईंट के टुकड़े भरे हैं। स्कूल का हैंडपंप खराब है। स्कूल खुल गए हैं, लेकिन बच्चों को पीने का पानी घरों से लाना पड़ रहा है। एमडीएम बनाने के लिए रसोइया भी दूर स्थित हैंडपंप से पानी भर कर लाती हैं।
असोथर के प्राथमिक विद्यालय सरकंडी का शौचालय कंडम है। शौचालयों में पानी की व्यवस्था भी नहीं है स्कूल के एक भी कमरे में टाइल्स नहीं लगाए गए हैं। किसी भी विद्यालय में हैंडवास यूनिट नहीं है। अतिरिक्त कक्ष की बैठ गई फर्श : प्राथमिक विद्यालय सरकंडी में 2009-10 में बने अतिरिक्त कक्षा भवन की फर्श टूट गई है। दरवाजे खिड़की क्षतिग्रस्त हो गए हैं। रंगाई पुताई न होने के कारण कक्ष खंडहर होता जा रहा है।
अधूरे काम पूरा कराने के लिए खंड विकास अधिकारी को पत्र लिखा गया है। इसके साथ ही स्कूलों की स्थिति की बीईओ से रिपोर्ट मांगी गई है। - शिवेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए
बजट के अभाव से स्कूलों में अपेक्षा के मुताबिक काम नहीं हो पाया है, एक साल से सामुदायिक शौचालय बनवाने पर जोर था। अब ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया है - अजय आनंद सरोज, डीपीआरओ
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