यूपी बोर्ड : तीन दशक में दोगुना से अधिक बेटियां जाने लगीं स्कूल
बालिका शिक्षा के प्रति यूपी में जागरुकता बढ़ रही है। तीन दशक में 10वीं जाने वाली छात्राओं की संख्या दोगुना से अधिक हो गई है जो पूरे समाज के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि बेटी शिक्षित होगी तो समाज शिक्षित होगा और आगे बढ़ेगा। दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाले यूपी बोर्ड से हाईस्कूल की परीक्षा के लिए पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या देखने से इस बात की पुष्टि होती है। वर्ष 1991 की हाईस्कूल परीक्षा के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में कुल 17,75,602 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 14,04,519 (79.10 प्रतिशत) बालक और 3,71,083 (20.89 प्रतिशत) बालिकाएं थीं। साफ है कि 10वीं की परीक्षा के लिए पंजीकरण कराने वाले पांच में से चार छात्र और सिर्फ एक छात्रा थी।
इसके ठीक तीन दशक बाद 2021 की हाईस्कूल परीक्षा के लिए पंजीकृत कुल 29,94,312 परीक्षार्थियों में से 1674022 (55.90 फीसदी) बालक और 1320290 (44.09 प्रतिशत) बालिकाएं हैं। वहीं इंटरमीडिएट की बात करें तो 1991 में 25 प्रतिशत छात्राएं थीं। जो 2021 में 43.50 फीसदी हो गई है। ये आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यूपी बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राएं आमतौर पर मध्यम, निम्न मध्यम या गरीब तबके से आते हैं।
देखें : 10वीं में कैसे बढ़ा बेटियों की शिक्षा का ग्राफ
वर्ष प्रतिशत
1991 20.89
1995 23.88
2000 25.42
2005 32.98
2010 40.53
2015 45.27
2021 44.09
नीना श्रीवास्तव (पूर्व सचिव यूपी बोर्ड) ने कहा, निश्चित रूप से समाज में बालिका शिक्षा को लेकर जागरुकता बढ़ी है। हमारी बोर्ड परीक्षाओं में भी छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो सुखद है।
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