शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़े का दब गया सच, एफआईआर दर्ज होने के बाद भी धूल फांक रही हैं फाइलें
राजधानी लखनऊ इंटर कॉलेजों में 2015 में एलटी ग्रेट शिक्षकों की नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े की जांच प्रक्रिया 6 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। इस संबंध तत्कालीन ज्वॉइंट डायरेक्टर रही सुत्ता सिंह की ओर से वजीरगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन जांच प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। बताया जा रहा है कि आरोपियों के पक्ष में पुलिस ने कुछ मामलो में फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी है।
हालांकि सभी तथ्यों के साथ अभ्यर्थियों की फाइलें विभाग में धूल फांक रही हैं। हैरानी की बात यह भी है कि फाइलों के बारे में अधिकारी किसी भी प्रकार की जानकारी से इनकार कर रहे हैं। इस मामले में जब मुकदमा दर्ज हुआ था तब थोड़ी तेजी दिखी, उसके बाद तत्कालीन जडी का तबादला होने के बाद मामले को ठंठे बस्ते में डाल दिया गया। अगर अधिकारी गंभीरता से पैरवी करते तो शायद आज परिणाम कुछ और होता।
ये था मामला
2015 में लखनऊ मंडल के 741 पदों पर एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में चयन का आधार मेरिट तय किया गया था। वहीं आवेदन करने वाले अभ्यार्थियों ने भारी संख्या में अपने बीएड व स्नातक के शैक्षिक अभिलेख फर्जी लगा दिए थे। इस बात का खुलासा तब काउंसलिंग के लिए जमा किए गये दस्तावेजों का सत्यापन लखनऊ विश्वविद्यालय से हुआ। इसमें कुछ अन्य विश्वविद्यालयों के मामले भी आये लेकिन उन विशेष ध्यान नहीं दिया। लेकिन 216 केस सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय के निकले थे। इस संबंध में विभाग ने एफआईआर तो दर्ज करायी लेकिन पुलिस का जाच मै कोई सहयोग नहीं किया।
इन विश्वविद्यालयों के दस्तावेज भी थे संदिग्ध
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी (आगरा) पूर्वाचल यूनिवर्सिटी मानव भारती यूनिवर्सिटी श्रीधर बिलानी यूनिवर्सिटी राजस्थान बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय आयोध्या फैजाबाद, डॉ.राजेश्वर सेवाश्रम महाविद्यालय प्रतापगढ़
एफआईआर तत्कालीन जेडी की और से दर्ज करायी गयी थी, लेकिन इसमें पुलिस ने अभी तक क्या किया इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। -सुरेन्द्र तिवारी, जेडी माध्यमिक लखनऊ मंडल
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