कंपोजिट ग्रांट का देना होगा हिसाब, स्कूलों की दीवार पर अंकित करना होगा हर साल का खर्च
सभी परिषदीय स्कूलों को कंपोजिट स्कूल ग्रांट दी जा रही है। इसके तहत स्कूलों ने क्या कार्य कराया है, उसका विवरण अब स्कूलों को देना होगा। यह विवरण फाइल में बंद नहीं होगा बल्कि स्कूल की दीवार को पेंट कराकर उसपर अंकित कराना ही होगा।
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■ देखें संबंधित आदेश
सभी परिषदीय स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को अपने यहां आई कंपेजिट ग्रांट का विवरण देना है। इसके लिए स्कूल की वह दीवार चुनी जाए जो सब से पहले दिखती हो। उसपर 1.8 मीटर (छह फिट) ऊंची व 1.5 मीटर (पांच फिट) चौड़ाई के क्षेत्र में पेंटिंग कराई जाए। उस स्थान को सीमेंट बेस्ड पुट्टी से समतल भी कराना होगा उसके बाद दो कोट में पीले रंग से पुताई कराई जानी चाहिए फिर लाल रंग से किनारा बनाकर काले रंग से खर्च का विवरण अंकित कराना होगा। बता दें कि इसके लिए बीते वर्ष 25 दिसंबर तिथि तय की गयी थी, लेकिन बजट का विवरण नहीं बताया गया।
प्रदेश के प्राइमरी तथा उच्च प्राइमरी स्कूलों के कायाकल्प के तहत काम हुआ है। हर साल स्कूलों को जरूरी सुविधाओं के लिए शासन कंपोजिट ग्रांट दे रहा है। रंगाई पुताई, फर्नीचर, लाइब्रेरी, ब्लैक बोर्ड, मल्टीपल हैंड वाशिंग सहित तमाम चीजों को खरीदने वलगाने के लिए तीन वर्ष से लगातार बजट दिया गया है। तमाम स्कूलों ने इसका अच्छा इस्तेमाल किया है जबकि कुछजगह बंदरबांट की शिकायते आयी हैं। ऐसे में जांच हुई तो सारा खेल सामने आ जायेगा ।
स्कूलों को सत्रवार दर्ज करना होगा विवरण
खास बात यह कि स्कूलों को सत्रवार विवरण अंकित कराना है। यदि किसी | विद्यालय ने धनराशि का प्रयोग नहीं किया है तो भी बताना होगा कि उस रकम का प्रयोग नहीं हुआ। विद्यालय समिति के साथ ही आसपास के लोग भी इस कार्य को देखेंगे। यदि किसी को शिकायत होगी तो भी उस संबंध में जन सामान्य अपनी बात रख सकेगा। यह कदम सिर्फ इसलिए उठाया जा रहा है कि पारदर्शिता बनी रहे। प्रदेश के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में खर्च होने वाला पैसा सार्वजनिक होगा। शासन से मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट किस मद में खर्च हुई इसे विद्यालयों की दीवारों पर लिखवाना होगा। दीवारों पर वर्ष वार और मद वार विवरण लिखना होगा।
महानिदेशक का ये था आदेश
महानिदेशक ने 25 दिसंबर तक पिछले 3 वित्तीय वर्ष में खर्च हुई रकम का ब्योरा लिखने का आदेश दिया था इसमें वर्ष 2018-19, 2019-20 तथा 2020-21 में दी गई धनराशि तथा व्यय धन राशि का विवरण लिखाने को कहा गया था। लेकिन अधिकांश स्कूलों में इसका पालन नहीं किया गया।
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