नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जूनियर कक्षाओं से ही शुरू होगा व्यावसायिक शिक्षा में प्रशिक्षण
व्यावसायिक शिक्षा में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए बुनियादी शिक्षा से ही विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों को बिजली का काम, बढ़ई या किसी व्यावसायिक शिल्पकार का प्रशिक्षु बन कर काम करना पड़ेगा। स्कूलों में 10 दिन बस्ता रहित पीरियड में ये अनुभव दिया जाएगा। । अपने काम का अनुभव देने के लिए नई शिक्षा नीति में ये प्राविधान किया गया है।
स्थानीय समुदाय व राज्य स्थानीय जरूरतों के मुताबिक ऐसे कौशलों की मैपिंग करनी होंगी। जिस तरह की जरूरत उस क्षेत्र में होगी, उसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। मसलन, मिट्टी के बर्तनों का निर्माण, बढ़ईगिरी, धातु का काम, बागवानी, कलाकार आदि के साथ विद्यार्थियों को प्रशिक्षु बन कर काम करना पड़ेगा। 10 दिन सभी स्कूलों में एक पीरियड बस्ता रहित होगा।
इसके अलावा कक्षा छह से 12 तक व्यावसायिक विषयों को समझने के लिए अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। ये कोर्स ऑनलाइन भी हो सकते हैं। साल भर में ऐसे बस्तारहित दिन तय कर विभिन्न प्रकार की कलाओं, क्विज, खेल और व्यावसायिक हस्तकलाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
यूपी बोर्ड में व्यावसायिक शिक्षा के हस्तकला संबंधित विषय कक्षा 11 से शुरू होते हैं। वैकल्पिक शिक्षा में कक्षा 9-10 में रीटेल, सुरक्षा, स्वास्थ्य व स्वास्थ सेवाएं, आईटी पढ़ाया जाता है लेकिन कक्षा 11 में ऐसे कई व्यावसायिक शिक्षा के विषय हैं जिनमें युवा खुद का काम शुरू कर सकते हैं।
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