पेशेवर शिक्षा दिलाना सरकार का दायित्व है, अहसान नहीं - सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर स्तर पर शिक्षा तक पहुंच बनाना राज्य सरकार का दायित्व है। उच्च (पेशेवर) शिक्षा पाना भले ही मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन इस तक पहुंच बनाना सरकारी अहसान भी नहीं है। सरकार का यह दायित्व उन छात्रों के लिए कहीं ज्यादा महत्व रखता है, जिनकी गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच जाति, वर्ग, लिंग, धर्म और भौगोलिक क्षेत्र के कारण बाधित होती है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने लद्दाख के छात्रों फरजाना बतूल और मोहम्मद मेहदी वजीरी की याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। दोनों छात्रों ने केंद्रीय पूल में चुने जाने के बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिल सुनिश्चित करने की गुहार लगाई थी। पीठ ने दोनों को दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने का आदेश दिया।
दाखिले के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त
छात्रों की ओर से पेश दलीलों से संतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को संबंधित कॉलेजों में प्रवेश देने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि दाखिले की औपचारिकताओं को एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए। शीर्ष अदालत ने एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति का भी सुझाव दिया है जो यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्रीय फूल सीटों के तहत नामांकित छात्रों को दाखिला मिले।
यह है मामला: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नवंबर, 2000 में केंद्रीय पूल से लद्दाख के लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एक एक सीट आवंटित की थी। इस नीति के अनुसार, लद्दाख प्रशासन ने इनमें प्रवेश के लिए याचिकाकर्ताओं को नामित किया था। बावजूद इसके इन दोनों को प्रवेश नहीं दिया गया था। इसके बाद दोनों छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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