UP पंचायत चुनाव में लगे 700 से ज्यादा शिक्षकों की मौत पर गरमाई सूबे की सियासत, सभी शिक्षक संघों ने की एक सुर से मतगणना स्थगित करने की मांग।
प्रयागराज : प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढऩे का ठीकरा ग्राम पंचायत चुनाव पर फोड़ा गया है। प्राथमिक शिक्षक महासंघ का आरोप है कि पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण से लेकर मतदान तक में राज्य निर्वाचन आयोग ने कोरोना गाइडलाइन का ठीक से पालन नहीं कराया, जिससे हालात भयावह बने। महासंघ का दावा है कि चुनाव ड्यूटी करने वाले करीब 706 शिक्षक कोविड संक्रमण से जान गंवा चुके हैं, बड़ी संख्या में शिक्षक बीमारी से जूझ रहे हैं। इसलिए दो मई को होने वाली मतगणना रोकी जाए। महासंघ ने गुरुवार को फिर मृत शिक्षकों की बढ़ी सूची भेजी है।
महासंघ ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को भेजे पत्र में लिखा है कि कोरोना महामारी के समय पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं। 12 अप्रैल को ही संघ ने आयोग से अनुरोध किया था कि निर्वाचन से पहले कोविड से बचाव की गाइडलाइन का पालन किया जाए लेकिन, उस अनुरूप व्यवस्था नहीं की गई। शिक्षक-कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपायों के महामारी के समय मतदान कराने के लिए भेजा गया, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक व कर्मचारी संक्रमित हुए।
अब तक करीब 706 शिक्षक काल के गाल में समा चुके हैं। उन्हीं जिलों में सबसे अधिक मौतें हुई हैं जहां मतदान हो चुका है। अब संक्रमण से जूझ रहे शिक्षकों की मतगणना में ड्यूटी लगा दी गई है और अव्यवस्था के बीच उनका प्रशिक्षण कराया जा रहा है। शिक्षक व कर्मचारियों में भय व्याप्त है। ऐसे में पंचायत चुनाव की मतगणना स्थगित की जाए, अन्यथा संघ मतगणना बहिष्कार का भी निर्णय ले सकता है।
महासंघ अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग को बुधवार को प्रदेश में 577 मृत शिक्षकों की सूची भेजी थी। गुरुवार को फिर 706 शिक्षकों की सूची भेजी गई है, इनमें कर्मचारी शामिल नहीं है। यदि आयोग ने संज्ञान न लिया तो महासंघ अहम निर्णय ले सकता है। ऐसे ही राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार भड़ाना, महामंत्री डा. रवि भूषण यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मतगणना को स्थगित करने व संक्रमित शिक्षकों व कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
गौरतलब है कि इस मुद्दे पर हाई कोर्ट ने भी फटकार लगाई थी और राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मृत सरकारी कार्मिकों की संख्या का ब्यौरा तलब किया है।
पंचायत चुनाव में लगे लगभग 706 शिक्षकों की मौत को लेकर गुरुवार को सियासत गर्मा गई। प्रमुख विपक्षी दल शिक्षकों की लड़ाई में उनके साथ उतर आए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इनके परिवारीजनों को 50-50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। वहीं शिक्षक दलों ने चुनाव आयोग से मतगणना टालने की मांग की है। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ ने गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग को 706 मृत शिक्षकों की जिलावार सूची निर्वाचन आयोग को सौंपी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में 135 शिक्षकों की मृत्यु पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया कि 706 शिक्षकों की अब तक मृत्यु हो चुकी है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा है कि निर्वाचन आयोग से हम लगातार मतगणना टालने की मांग कर रहे हैं। हमारे शिक्षक साथी मर रहे हैं और उनकी गिनती भी नहीं हो रही है।
उप्र विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि आजमगढ़, रायबरेली, खीरी, लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज आदि जिलों में दो-दो दर्जन शिक्षकों की मौत हो चुकी है। उनका आरोप है कि चुनाव के प्रशिक्षण देते समय अधिकारियों ने खुद कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। कई जिलों में चुनाव होने तक शिक्षक संक्रमित हो चुके थे। प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा शिक्षक कोरोना संक्रमण से ग्रसित हैं।
गुरुवार को शिक्षक महासंघ के संयोजक व पूर्व एमएलसी हेम सिंह पुण्डीर नेता शिक्षक दल सुरेश त्रिपाठी, शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने भी निर्वाचन आयोग को परिस्थितियों की जानकारी देते हुए मतमणना टालने की मांग की है।
शिक्षकों की मृत्यु दुखत और डरावनीः प्रियंका गांधी
यूपी पंचायत चुनावों की ड्यूटी में लगे लगभग 500 शिक्षकों की मृत्यु की खबर दुखद और डरावनी है। चुनाव ड्यूटी करने वालों की सुरक्षा का प्रबंध लचर था तो उनको क्यों भेजा? सभी शिक्षकों के परिवारों को 50 लाख रु मुआवाजा व आश्रितों को नौकरी की माँग का मैं पुरजोर समर्थन करती हूँ।
मृत शिक्षकों के परिवार को 50 लाख मिलेः अखिलेश यादव
पंचायत चुनावों में इलेक्शन ड्यूटी में जिन अधिकारियों, शिक्षकों व कर्मचारियों की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है उनके परिवारों को उप्र सरकार तत्काल 50 लाख की सहायता राशि प्रदान करे। भाजपा सरकार सुरक्षा दे अन्यथा सरकारी कर्मी व शिक्षक मतगणना का बहिष्कार करने पर बाध्य हो जाएंगे।
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