शिक्षक संघ का दावा, पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान 1600 शिक्षकों की हुई मौत, एक करोड़ मुआवजे के लिए सीएम को लिखा पत्र
प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोरोना से मृत शिक्षक / कर्मचारियों के आश्रितों को सहायता के सम्बन्ध में सीएम को भेजा ज्ञापन
UP में पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान कोविड-19 संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों और बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की संख्या 1,621 तक पहुंच गई है. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची में इसकी जानकारी दी गई है. इसके पहले संघ ने 28 अप्रैल को सूची जारी करते हुए कोरोना संक्रमण से 706 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत होने की जानकारी दी थी.
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की आठ मांगें
संघ ने 16 मई को मुख्यमंत्री को यह सूची भेजते हुए चुनाव ड्यूटी में गुजरे हुए सभी शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता, उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने सहित आठ मांगें की हैं.
प्राथमिक शिक्षक संघ ने जो सूची जारी कर दावा किया है, जिसके अनुसार प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है. इन सभी लोगों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी की थी. इस सूची में जान गंवाने वाले शिक्षकों के नाम, उनके विद्यालय के नाम, पदनाम, ब्लॉक व जनपद का नाम, मृत्यु की तिथि और दिवंगत शिक्षक के परिजन का मोबाइल नंबर भी दिया गया है.
आजमगढ़ में सबसे अधिक मौतें
इस सूची के अनुसार सबसे अधिक आजमगढ़ जिले में 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है.
प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र शर्मा के मुताबिक हाईकोर्ट ने भी माना है कि इन शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया जाए. इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है, उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए. वहीं बाकियों को क्लर्क के पद पर नियुक्ति दी जाए.
सबसे अधिक आजमगढ़ जिले में 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है.
शिक्षकों ने मांग की है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने के बाद कोविड 19 के संक्रमण के कारण मरने वाले शिक्षकों को 2005 से पहले लागू पुरानी पेंशन दी जाए। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया है कि अब तक 1600 शिक्षकों की मौत हो चुकी है, जिन्होंने पंचायत चुनाव में ड्यूटी की थी।
इससे पहले तीन चरणों के चुनाव के बाद संक्रमित होकर मृत हुए 706 शिक्षकों की सूची संघ ने राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी थी, जिसका सत्यापन जिलाधिकारियों के माध्यम से करवाया जा रहा है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि हाईकोर्ट ने भी माना है कि इन शिक्षकों-कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया जाए। इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए। वहीं बाकियों को लिपिक के पद पर नियुक्त दी जाए।
उन्होंने इन शिक्षकों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि इनकी ग्रेच्युटी की धनराशि भी दी जाए। वहीं कोरोना संक्रमित शिक्षकों के इलाज में खर्च हुई धनराशि की प्रतिपूर्ति भी सरकार करे। संघ ने चुनाव में अनुपस्थित शिक्षकों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी खत्म करने का अनुरोध किया है और कहा है कि बेसिक शिक्षकों से आरटीई एक्ट के तहत शिक्षण के अलावा और कोई भी काम नहीं लिया जाए।
उधर, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कहा है कि एक पखवाडे में कोरोना से मृत बेसिक शिक्षक/कर्मचारियों की संख्या 706 से बढक़रर 1600 तक पहुंच गई। इतनी जनहानि के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों को बेसिक शिक्षकों के साथ व्यवहार नहीं बदला।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 1600 के पार हो गई है। संघ ने आरोप लगाया है कि सरकार ने शिक्षकों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी है। लेकिन जिलों में अधिकारी शिक्षकों को कोरोना कंट्रोल रूम सहित अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाकर शिक्षकों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार लगातार शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है। मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी से गत दिनों हुई बार्ता में आश्वासन मिला था कि चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद भी शिक्षकों के निलंबन और वेतन काटने की कार्रवाई की जा रही है।
शर्मा ने सरकार से कोरोना संक्रमण के कारण असमय मौत का शिकार हुए शिक्षकों के आश्रितों को एक करोड़ रुपये का भुगतान और अश्रितों को जल्द देने की मांग की है।
No comments:
Write comments